हिन्दी एवं हिंदी ब्लॉगिंग के हित में इस समाचार का प्रकाशन समाचार पत्र/पत्रिकाओं, ब्लॉगों, वेबसाइटों इत्यादि पर किया जा सकता है।
यह फोटो किसने खींची |
नई दिल्ली, भारत की राजधानी के दिल कनॉट प्लेस के द एम्बेसी रेस्तरां में एक हिंदी ब्लॉगर संगोष्ठी लखनऊ से पधारे हिन्दी के मशहूर ब्लॉगर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी के सम्मान में सामूहिक ब्लॉग नुक्कड़डॉटकॉम के तत्वावधान में शनिवार को आयोजित की गई। इस मौके पर हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रभाव को सबने एकमत से स्वीकारा। देश विदेश में हिंदी के प्रचार प्रसार में हिन्दी ब्लॉगिंग के महत्व को सबने स्वीकार किया और इसकी उन्नति के मार्ग में आने वाली कठिनाईयों पर व्यापक रूप से विचार विमर्श किया गया। संगोष्ठी में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद के जाने माने हिंदी ब्लॉगरों ने शिरकत की। सोशल मीडिया यथा फेसबुक, ट्विटर को हिंदी ब्लॉगिंग का पूरक माना गया। एक मजबूत एग्रीगेटर के अभाव को सबने एक स्वर से महसूस किया और तय किया गया कि इस संबंध में सार्थक प्रयास किए जाने बहुत जरूरी हैं। फेसबुक आज एक नेटवर्किंग के महत्वपूर्ण साधन के तौर पर विकसित हो चुका है। इसका सर्वजनहित में उपयोग करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है।
खुद ही पहचान लीजिए...? |
भड़ासफॉरमीडिया के मॉडरेटर यशवंत सिंह ने जानकारी दी कि आगरा में एक ब्लॉगर अपने तकनीक ब्लॉग के जरिए एक से डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह तक कमाई कर रहे हैं। इसके अलावा भी कई जगहों पर ब्लॉगिंग से कमाई हो रही है। यह स्थिति निश्चय ही सुखद है। प्रत्यक्ष न सही, परंतु परोक्ष रूप से हिंदी ब्लॉगिंग से हो रही कमाई को अविनाश वाचस्पति ने भी स्वीकारा।
गिलास भी भरे थे |
सबने माना कि फिजूल की अश्लील एवं धार्मिक उन्माद संबंधी पोस्टों पर जाने से हर संभव बचा जाए। इस दूषित प्रवृत्ति पर भी चिंता प्रकट की गई कि चार पोस्टें लिखकर स्वयं को साहित्यकार समझने वालों को अपनी आत्ममुग्धता से निजात पानी चाहिए। यह बुराईयां स्वस्थ ब्लॉगिंग के विकास के लिए हितकर नहीं हैं।
प्रेषक : पवन चंदन, 1/12, रेलवे कालोनी, सेवा नगर, नई दिल्ली 110003 फोन 9990005904
महत्वपूर्ण है चेहरों में पसरी हुई मुस्कराहट ! कुनेन से चेहरे लिए घूमते रहने से यही ज्यादा बेहतर है !
जवाब देंहटाएंसिद्धार्थ जी को शुभकामनायें ! अमरेन्द्र जी , अविनाश जी और संतोष त्रिवेदी और अन्य ब्लागर साथियों के बार बार लगातार , सफेदी की चमकार , दन्त निखार विज्ञापन के साथ साथ डाक्टर दराल साहब को ढूंढ ढूंढ कर थक गया :)
ऐसी फोटोग्राफी ? ये अच्छी बाsssत नईं है :)
अली साब इसके ज़रा पहले वाली पोस्ट पर भी नज़र डालिए वहाँ सदाबहार दराल साब दिख जायेंगे...इसमें भी अभी इंतजाम करता हूँ !
हटाएंसंतोष जी ,
हटाएंदराल साहब को यहां चस्पा किया ये तो ठीक है पर आपने कहा कि इससे ज़रा पहले वाली पोस्ट पर नज़र डालिए तो वही किया ? मगर वहां तो सदाबहार दराल साहब हज़ार हज़ार के नोटों की शक्ल में दिखाई दे रहे हैं :)
रपट के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअली भाई, अगर सभी अच्छी बातें हम ही करेंगे तो आपका इंतजार कैसे करेंगे।
जवाब देंहटाएंस्वयं को साहित्यकार समझने वालों को अपनी आत्ममुग्धता से निजात पानी चाहिए।
जवाब देंहटाएंsangoshti kae sadsyon par bhi yae rule laaguu haen naa !!!!!
रचना जी,आपके रहते साहित्यकार होने का खतरा कौन मोल ले सकता है ?
हटाएंApne sukh se bhi sukhi hona chahiye, saamne walon ke Dukh me kab tak Rachna Prakiyya sukh talaashegi, sahityakaron ka yeh Gun to nahin Santosh bhai. Mol Daam to kahin kharch hona hi nahin chahiye ? Vivadon ki nani maidaan me kood chuki hain.
हटाएंआपका फोन नम्बर ट्राई किया
जवाब देंहटाएंबारम्बार एक मोहतरमा ने क्राई किया
'आप जिस नंबर पर बात करना चाहते है अभी संभव नहीं है .. कुछ समय बाद कोशिश करें'
क्या यह नम्बर आपका नहीं है
868166586
जी हां, यह नंबर मेरा नहीं है। कोई क्राई हो अथवा फ्राई को हमें तो भुने हुए चने खाने में ही स्वाद आता है।
हटाएंअच्छे संकल्प के साथ समापन। यह सुखद है।
जवाब देंहटाएंहम उस सुख में विश्वास रखते हैं जो दूसरे को भी सुख दे न कि दूसरे के दुख में सुख की बलात् प्रक्रिया हो।
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस तरह अपने लिंक पोस्ट की टिप्पणियों में न छोड़ें और प्रचार के अन्य सकारात्मक उपायों का सहारा लें। जल्द ही आपकी टिप्पणी को पोस्ट से हटा दिया जाएगा।
हटाएंअपन का कनेक्सन कटा है, कैफे पर कम वक़्त में नेट की खुन्ची लगा रहा हूँ :)
जवाब देंहटाएंमजेदार था मिलना, खासकर कि छिद्रान्वेषण आदि दुर्गुणों से मुक्त रही मीटिंग. दराल जी आदि कई जागरूक ब्लागरों से पहली बार मुलाक़ात हुई और उनके ब्लागीय सरोकार कई दृष्टियों से आश्वस्तिमूलक लगे कि ब्लागरों की नजर में सार्थकता और हिन्दी में बहुतेरे विषयों की अभाव-पूर्ति जरूरी समझी जा रही है.
संतोष जी ने सही ही स्मरण कराया पान वाले वाकये का, बात यह थी वह पान का बर्फीला पलीता था, पलीते की ही तरह तोपची ने सबके मुंह में लगाया था, आखिर ब्लॉगर भी तो तोप चीज होता है :))
ब्लॉगर से अधिक तोपची तो ब्लॉगराएं होती हैं। मेरा तो अब तक का अनुभव यही है अमरेन्द्र भाई। इनसे बचकर रहना चाहिए बाबा और स्वामियों को।
हटाएंहँसी खुशी बतियाते ब्लॉगर किसे अच्छे नहीं लगते!
जवाब देंहटाएंआभार सूचनात्मक रिपोर्ट का
पाबला जी, हंसी खुशी बतियाते ब्लॉगर ही नहीं, सभी सभी को अच्छे लगते हैं सिर्फ कुछेक वीरांगनाओं को छोड़ दिया जाए तो, जिन्हें कुछ विशेष ब्लॉगर ही पसंद आते हैं जो उनकी तारीफ में कशीदाकारी करें।
हटाएंअच्छी राजी ख़ुशी वाली पोस्ट मगर एक भी महिला ब्लॉगर नजर नहीं आई !!
जवाब देंहटाएंशांतिपूर्वक ब्लॉग मीट के लिए बहुत बधाई !