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हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग की अगर असामयिक मौत होती है तो इसकी जिम्‍मेदार सिर्फ फेसबुक नहीं और भी बहुत से कारण होंगे ?

आजकल फेसबुक से होने वाली हानियों पर सबकी तीखी नजर है। इंसान यह तो चाहता है कि वह तकनीक का पूरा लाभ उठाए लेकिन हिंदी ब्‍लॉगर संतोषी त्रिवेदी कहते हैं कि वह इस विषय पर  होने वाली हानियों से सचेत नहीं रहना चाहता और बुराईयों की गिरफ्त में आ जाता है। अगर वह विवेक का समुचित इस्‍तेमाल करे तो कोई तकनीक कभी भी नुकसानदेह नहीं हो सकती है। 

फेसबुक से हो‍ने वाले नुकसान से सब परिचित हैं क्‍या जो पाठक इस पोस्‍ट को पढ़ रहे हैं, वे अंतर्जाल और इससे जुड़ी हुई खामियों से परिचित नहीं हैं। ऐसा तो नहीं माना जा सकता कि वे सिर्फ इस माध्‍यम की खूबियां ही जानते हैं और खामियों का उन्‍हें इल्‍म नहीं है। इस विषय पर चौखट ब्‍लॉग के पवन चंदन का मानना है कि फेसबुक हमारा बहुत उपयोगी समय हमसे छीन लेना है। इस मात्र मनोरंजन और समय पास करने का साधन तो माना जा सकता है लेकिन इसमें लगाए गए समय की भरपाई से लिए इससे अभी आय प्राप्ति के कोई विकल्‍प नहीं दिखाई दे रहे हैं। जबकि फेसबुक इससे इसकी प्रत्‍येक एप्‍लीकेशन से भरपूर कमाई के लिए जुटा हुआ है। 

कमाई किसी भी जरिए से अगर समुचित मानवीय नैतिकताओं को ध्‍यान में रखकर की जाती है तो उसमें कोई बुराई नहीं है। आखिर पैसे की जरूरत कदम दर कदम पड़ती है। ऐसे में अगर कोई माध्‍यम इसकी स्‍वीकृति कानूनों के तहत देता है तो उसे अपनाने में कोई बुराई नहीं है। हिन्‍दी ब्‍लॉगर रवीन्‍द्र प्रभात की राय इसलिए महत्‍व रखती है क्‍योंकि वह इस संबंध में पुरस्‍कारों के जन्‍मदाता है। उनके मन में और कार्य में इसके उदाहरण रोजाना दिखाई दे रहे हैं। 

इस पर चर्चा करते हुए प्रगतिशील ब्‍लॉग लेखक संघ के मनोज पांडेय का मानना है कि माध्‍यम कोई बुरा नहीं होता बशर्ते कि उपयोगकर्ता सजग रहे और इसकी बुराईयों की ओर खिंचाव महसूस न करे। मनोज हिंदी ब्‍लॉगिंग के उत्‍थान के लिए सहजता के साथ सक्रिय लोगों की टीम को लेकर कार्य कर रहे हैं। 

हिन्‍दी ब्‍लॉगर और एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन अपने मन की बात बतलाते हुए कहते हैं कि इस माध्‍यम पर सिर्फ टिप्‍पणी में समय बरबाद न करके, रचनात्‍मक कार्यों के करने में जुटना अधिक श्रेयस्‍कर है। सुमन नाइस फेम टिप्‍पणीकर्ता हैं।

कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि माध्‍यम कोई बुरा नहीं है लेकिन जहां पर रचनाकार दिग्‍भ्रमित हुआ तो उससे साहित्‍य की और माध्‍यम की रचनात्‍मकता को हुए नुकसान की तो भरपाई की जा सकती है और न उसे रोका ही जा सकता है। इसी प्रकार हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में आजकल जो गिरावट का स्‍तर देखने को मिल रहा है, वह ब्‍लॉगिंग में दिखाई दे रहे मतभेद और मनभेद का सबब है। इससे बचने के प्रयास सभी कोअपने-अपने स्‍तर पर करने चाहिएं। 

आजकल किसी को किसी की अच्‍छी बात भी नहीं सुहाती है और लोकप्रियता पाने के क्रम में ऐसी उलजुलूल बचकानी हरकतें स्‍वाभाविक हैं। जिनकी बानगी फेसबुक पर तो कम, लेकिन हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत की पोस्‍टों में अधिक दिखलाई पड़ रही है। 

अभी तो हिंदी ब्‍लॉगिंग में लोकप्रियता पाने संबंधी कोई प्रावधान नहीं है फिर भी तुरंत मशहूर होने और जब जगह चर्चित होने के लिए ऐसे उपाय किए जा रहे हैं जो किसी भी तरह से उचित नहीं माने जा सकते। इससे यह साफ जाहिर है कि सच्‍चे रचनाकार इस माध्‍यम से क्‍यों दूर होते जा रहे हैं, जबकि कुछ ने तो इस माध्‍यम को अभी अपनाया ही नहीं है। 

यदि यही सब रहा तो हिंदी ब्‍लॉगिंग की आकस्मिक मौत के जिम्‍मेदार हम खुद ही होंगे। वह बात अलग है कि मानेंगे नहीं और सामने वाले और उसके कृत्‍यों को ही इसका जिम्‍मेदार ठहराते रहेंगे। वैसे किसी भी नए माध्‍यम के साथ आरंभिक दस बरसों में ऐसी स्थितियों-परिस्थितियों का होना अस्‍वाभाविक नहीं है लेकिन इस कगार से लुढ़कें न और समय रहते संभल जाएं। इसकी बेहद सख्‍त जरूरत है। जिसके लिए अपनी जिम्‍मेदारी का अहसास होना बहुत जरूरी है। 

इसे अगर आप उपदेश नहीं, अपने मन की आवाज मानेंगे तो अवश्‍य ही इससे बचने का हल खोज ही लेंगे अन्‍यथा इस में खो जाएंगे और फिर कभी स्‍वयं को तलाश भी नहीं पाएंगे। 
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हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग और सोशल मीडिया एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं : ब्‍लॉगिंग संगोष्‍ठी में सबने एकमत से स्‍वीकारा


हिन्‍दी एवं हिंदी ब्‍लॉगिंग के हित में इस समाचार का प्रकाशन समाचार पत्र/पत्रिकाओं, ब्‍लॉगों, वेबसाइटों इत्‍यादि पर किया जा सकता है।
यह फोटो किसने खींची

नई दिल्‍ली, भारत की राजधानी के दिल कनॉट प्‍लेस के द एम्‍बेसी रेस्‍तरां में एक हिंदी ब्‍लॉगर संगोष्‍ठी लखनऊ से पधारे हिन्‍दी के मशहूर ब्‍लॉगर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी के सम्‍मान में सामूहिक ब्‍लॉग नुक्‍कड़डॉटकॉम के तत्‍वावधान में शनिवार को आयोजित की गई। इस मौके पर हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के प्रभाव को सबने एकमत से स्‍वीकारा। देश विदेश में हिंदी के प्रचार प्रसार में हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के महत्‍व को सबने स्‍वीकार किया और इसकी उन्‍नति के मार्ग में आने वाली कठिनाईयों पर व्‍यापक रूप से विचार विमर्श किया गया। संगोष्‍ठी में दिल्‍ली, नोएडा, गाजियाबाद के जाने माने हिंदी ब्‍लॉगरों ने शिरकत की। सोशल मीडिया यथा फेसबुक, ट्विटर को हिंदी ब्‍लॉगिंग का पूरक माना गया। एक मजबूत एग्रीगेटर के अभाव को सबने एक स्‍वर से महसूस किया और तय किया गया कि इस संबंध में सार्थक प्रयास किए जाने बहुत जरूरी हैं। फेसबुक आज एक नेटवर्किंग के महत्‍वपूर्ण साधन के तौर पर विकसित हो चुका है। इसका सर्वजनहित में उपयोग करना हम सबकी नैतिक जिम्‍मेदारी है।

खुद ही पहचान लीजिए...?
सामूहिक ब्‍लॉग नुक्‍कड़ के मॉडरेटर एवं चर्चित व्‍यंग्‍यकार  अविनाश वाचस्‍पति ने हिंदी ब्‍लॉगिंग को समाज की बुराईयों से बचाने और प्राइमरी कक्षाओं में इसके पाठ्यक्रम आरंभ करने को वक्‍त की जरूरत के मामले को इस अवसर पर भी दोहराया। जिसका सभी उपस्थिति ब्‍लॉगरों ने सर्वसम्‍मति से समर्थन किया।  एक और हिंदी ब्‍लॉगर संतोष त्रिवेदी ने कहा कि बहुत ही छोटे से नोटिस पर दूर दराज से ब्‍लॉगरों का इस संगोष्‍ठी में शामिल होना साबित करता है कि हिंदी ब्‍लॉगिंग का प्रभाव शिखर की ओर तेजी से बढ़ रहा है। कंटेंट के स्‍तर पर आ रही गिरावट पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए जनसत्‍ता के संपादकीय विभाग में कार्यरत् फजल इमाम मल्लिक ने माना कि ऐसी स्थितियां तो प्रत्‍येक तकनीक के आरंभ में  आती ही हैं। यह एक ऐसा मंच है जिसका पूरी जिम्‍मेदारी के साथ तभी उपयोग किया जा सकता है जबकि इस प्रकार के मेल मिलाप होते रहें। उन्‍होंने सबसे आवाह्न किया कि ब्‍लॉगर अपने अपने क्षेत्रों में इस प्रकार के भरसक प्रयास करें।
भड़ासफॉरमीडिया के मॉडरेटर यशवंत सिंह ने जानकारी दी कि आगरा में एक ब्‍लॉगर अपने तकनीक ब्‍लॉग के जरिए एक से डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह तक कमाई कर रहे हैं। इसके अलावा भी कई जगहों पर ब्‍लॉगिंग से कमाई हो रही है। यह स्थिति निश्‍चय ही सुखद है। प्रत्‍यक्ष न सही, परंतु परोक्ष रूप से हिंदी ब्‍लॉगिंग से हो रही कमाई को अविनाश वाचस्‍पति ने भी स्‍वीकारा।
गिलास भी भरे थे
स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी ब्‍लॉगों के मॉडरेटर के. राधाकृष्‍णन, पी 7 से जुड़े हर्षवर्द्धन त्रिपाठी, स्‍वतंत्र पत्रकार विष्‍णु गुप्‍त, अयन प्रकाशन के भूपाल सूद, डॉ. टी. एस. दराल, हिंद युग्‍म के शैलेश भारतवासी, सुलभ सतरंगी, कुमार कार्तिकेयन, अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, खुशदीप सहगल इत्‍यादि ने हिंदी ब्‍लॉगिंग के स्‍वस्‍थ विकास के लिए कई पहलुओं पर उद्देश्‍यपूर्ण चिंतन किया।इस अवसर पर डॉ.दराल  द्वारा उठाये गए विषय "फेसबुक के ब्लॉगिंग को खा जाने की आशंका" पर विमर्श भी हुआ और इसी पर खुशदीप जी ने एक डायलॉग सुनाया,"मेरे पास फेसबुक है,ट्विटर है,ब्लॉगिंग है,तुम्हारे पास क्या है ? ...काम-धंधा ".यह सुनते ही सब ठठाकर हंस पड़े !
सबने माना कि फिजूल की अश्‍लील एवं धार्मिक उन्‍माद संबंधी पोस्‍टों पर जाने से हर संभव बचा जाए। इस दूषित प्रवृत्ति पर भी चिंता प्रकट की गई कि चार पोस्‍टें लिखकर स्‍वयं को साहित्‍यकार समझने वालों को अपनी आत्‍ममुग्‍धता से निजात पानी चाहिए। यह बुराईयां स्‍वस्‍थ ब्‍लॉगिंग के विकास के लिए हितकर नहीं हैं।

इसे कहते हैं ... क्‍या कहते हैं ?
...
प्रेषक : पवन चंदन, 1/12, रेलवे कालोनी, सेवा नगर, नई दिल्‍ली 110003 फोन 9990005904


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अन्‍ना हजारे टंकी पर चढ़े : हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग की टंकी प्रवृत्ति के बने शिकार


कोई भी हिन्‍दी ब्‍लॉग बनाए
टंकी पर चढ़ने से बच जाए
पॉसीबल नहीं है

पासीबल तो
भ्रष्‍टाचार मिटाना भी नहीं है
पेट्रोल के रेट घटाना भी नहीं है

पर 'अन्‍ना हमारे'
टंकी पर जल्‍दी चढ़ गए
ब्‍लॉग मिटाने में जुट गए

भ्रष्‍टाचार मिटाने आए
ब्‍लॉग बंद करके खुश हो गए
खुद नहीं पोस्‍ट लगाते हैं

ऐसा ही होता है
ब्‍लॉग पर कौन सी जगह पर
हम भी जानें, हस्‍ताक्षर होता है

पर हम क्‍यों विवाद में पड़ रहे हैं
न्‍यू मीडिया पर नई पुस्‍तक
दि संडे इंडियन में आई है समीक्षा

पढ़ते हैं उसे इमेज पर क्लिक करके
और पुस्‍तक मंगवा कर सारे हिंदी ब्‍लॉगर
गहन अध्‍ययन मनन चिंतन कर रहे हैं

जो भी पुस्‍तक खरीदना चाहें
वे nukkadh@gmail.com पर तुरंत मेल भिजवाएं
अद्यतन की हुई पूरी जानकारी पाएं।
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दीपावली पर हिंदी ब्‍लॉगिंग की पुस्‍तकों से छूट वापिस लेने की संभावनाएं

पिछले दिनों हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग पर  जिन दो पुस्‍तकों का प्रकाशन हिन्‍दी साहित्‍य निकेतन, बिजनौर ने किया है। इस दीपावली पर उन पुस्‍तकों के विक्रय पर एक सौ रुपये तक बढ़ाए जाने की संभावनाएं हैं क्‍योंकि  दोनों पुस्‍तकों की अब सीमित प्रतियां ही बची हैं। अर्थशास्‍त्र के मांग और पूर्ति के सिद्धांत को ध्‍यान में रखे जाने से इस दीपावली के बाद से पुस्‍तकें 450/- रुपये के स्‍थान पर 600/- रुपये जमा कराने पर मिलेंगी। वैसे तो सिर्फ एक सौ रुपये की आज के युग में कोई खास अहमियत तो नहीं है क्‍योंकि अगर आप कहीं पर आइसक्रीम खाने के लिए खड़े हो जाते हैं तो एक सौ रुपये तो यूं ही चले जाते हैं। अगर आप पेट्रोल पंप पर पेट्रोल, डीजल या गैस लेने के लिए लाईन में लगते हैं तो क्‍या आपको यह बतलाने की जरूरत है कि एक सौ रुपये में खरीदे गए ईंधन से कितने दिन वाहन चलाया जा सकता है। दूध लेने भी जायेंगे तो एक सौ रुपये में तीन किलो खरीद भी लाएं परंतु घी, मक्‍खन, पनीर तो एक किलो खरीदने के बारे में सोचिएगा भी मत। हां, अगर दीपावली पर किसी को देने के लिए यदि आप गिफ्ट की तलाश में हैं तो चाकलेट, बिस्‍कुट का डिब्‍बा अवश्‍य ही आपको एक सौ रुपये में मिल जाएगा। 
मेरी तो यह सलाह है कि आप इस दीपावली पर अपने मित्रों को दोनों पुस्तकें उपहार स्‍वरूप भिजवा ही दीजिए और एक सौ रुपये अवश्‍य बचा लीजिए। आखिर दीपावली पर की गई बचत से मन को खूब सुकून मिलता है।

प्रक्रिया वही है जो नीचे लिखी है :-

(१) पुस्तक का नाम : हिंदी ब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति
यह पुस्तक अविनाश वाचस्पति और रवीन्द्र प्रभात के द्वारा संपादित है
 मूल्य : 495/- ( डाक खर्च अलग से )
प्रकाशक : हिंदी साहित्य निकेतन, 16, साहित्‍य विहार, बिजनौर (ऊ.प्र.) 246701


(२) पुस्तक का नाम : हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास
लेखक का नाम : रवीन्द्र प्रभात
मूल्य : 250 /-( डाक खर्च अलग से)
प्रकाशक : हिंदी साहित्य निकेतन, 16, साहित्‍य विहार, बिजनौर (ऊ.प्र.) 246701



रुपये 450/- केवल भेजने के लिए आप अपनी सुविधानुसार निम्‍नलिखित तीन विकल्‍पों में किसी एक का चयन कर सकते हैं
1. आप मनीआर्डर से सीधे हिंदी साहित्य निकेतन, 16, साहित्‍य विहार, बिजनौर (ऊ.प्र.) 246701 के पते पर राशि भेज सकते हैं परंतु मनीआर्डर के पीछे संदेश में अपना पूरा पता, फोन नंबर ई मेल आई डी के साथ अवश्‍य  लिखें।
2. तकनीक का लाभ उठाते हुए आप बैंक ऑफ बड़ौदा, बिजनौर के नाम हिन्‍दी साहित्‍य निकेतन के खाता संख्‍या 27090100001455 में नकद जमा करवा सकते हैं। इस सुविधा का लाभ उठाने के बाद जमा पर्ची का स्‍कैन चित्र मेल पर अपनी पूरी जानकारी के साथ अवश्‍य भिजवायें।
3. आप यह राशि हिन्‍दी साहित्‍य निकेतन के नाम ड्राफ्ट के द्वारा भी डाक अथवा कूरियर के जरिए भेज सकते हैं। चैक सिर्फ सी बी एस शाखाओं के ही स्‍वीकार्य होंगे।
आप जिस भी विकल्‍प का चयन करें, उसका उपयोग करने के बाद इन ई मेल पर सूचना भी अवश्‍य भेजने का कष्‍ट कीजिएगा
giriraj3100@gmail.com, ravindra.prabhat@gmail.com & nukkadh@gmail.com पर जरूर भेजिएगा।





वैसे जब हम आपको सच्‍चाई बतला रहे हैं तो आपको मालूम हो ही जाना चाहिए कि संपादकद्वय किसके साथ हैं। इसलिए मौका मत चूकिए, आलस छोड़ दीजिए और तुरंत जाकर पैसा (नहीं रुपया) जमा कर सूचना ई मेल से भेज दीजिए और किसी फीमेल के चक्‍कर में मत रहिए क्‍योंकि वे तो दीपावली पर आपसे हजारों खर्च कराकर भी संतुष्‍ट नहीं होंगी।
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हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग : अभिव्‍यक्ति की नई क्रांति पुस्‍तक की समीक्षा पढि़ए

खरीदना चाहें तो nukkadh@gmail.com पर ई मेल कीजिए। मूल्‍य सिर्फ 450/- रुपये। इसके साथ आपको हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग का इतिहास पुस्‍तक भी भेजी जाएगी। 
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हिंदी ब्‍लॉगिंग की टूटती कमर : डॉ. अमर कुमार का जाना


नुक्‍कड़ समूह की विनम्र आदरांजलि
अभी थोड़ी देर पहले भाई अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने फोन करके इस दुखद घटना की जानकारी दी .मैं बिलकुल सन्न और हतप्रभ रह गया.अभी पिछली बारह अगस्त को पहली बार उनसे भेंट हुई थी.उनसे मिलने के बाद हमने उनसे यह कहा था कि मैं उन पर एक पोस्ट लिखूँगा,वापस आने के बाद कुछ लिखा भी पर न जाने कैसे-कैसे व्यवधान आते गए और आज देखो उस कहानी का उपसंहार लिख रहा हूँ जिसकी प्रस्तावना, कथानक कुछ भी न लिख पाया था!

बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए,जबसे मैं डॉ. साहब से परिचित हुआ ! कोई छः महीने हुए होंगे जब वो अचानक मेरे ब्लॉग पर आये और उनकी टीप पढकर मैं उनके ब्लॉग पर पहुँचा ! उनका लेखन तो अच्छा लगा ही ,रायबरेली के हैं  ... पूरा पढ़ने और अपनी बात कहने के लिए यहां पर क्लिक कीजिए
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साहित्‍य जन से दूर क्‍यों, पढ़ सकते हैं इस शीर्षक को ऐसे भी, हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में रमता है मन क्‍यों


आज दिनांक 3 जुलाई 2011 के दैनिक जनसत्‍ता में मनोज सिंह के विचार एक सच्‍चाई को ब्‍यां कर रहे हैं। मैं तो इनसे पूरी तरह सहमत हूं। आपको इसमें कोई विसंगति नजर आती है, तो बतलाएं। अथवा आप भी सहमति जतलाएं। जो जन साहित्‍य से दूर हो रहे हैं, वे हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के पास आ रहे हैं। मेरा ऐसा मानना है, इस प्रक्रिया में तेजी दिखलाई दे रही है, जो एक अच्‍छी बात है। वैसे इससे अच्‍छी बात तो यह होती, अगर साहित्‍यकार जनता की भाषा में रचना करने को अच्‍छा समझते। पर वे अपने ज्ञान को प्रदर्शित करने का जरिया अगर साहित्‍य को मानते हैं और पाठकों तक उनकी बात नहीं पहुंच रही है और वे किंचित मात्र भी चिंतित नहीं हैं तो यह नि:संदेह साहित्‍य का दुर्भाग्‍य है। अब हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के साहित्‍य के दिन शीर्ष पर हैं, कल वे इससे भी ऊंचे शिखर पर होंगे। फिर साहित्‍यकार खरखराहट करते मिलेंगे, अगर वे सच्‍चाई की आहट पर ध्‍यान न धरेंगे या अपने लेखन में माकूल बदलाव नहीं लाएंगे। 
मैं चाहता हूं कि मैं अपनी सारी बात न कहूं, पहले आप इस पर अपने अपने विचार प्रस्‍तुत करें। चाहे आप साहितयकार हैं अथवा हिन्‍दी ब्‍लॉगर। आपने हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग अभी शुरू ही क्‍यों न की हो, आपके विचारों का भी संपूर्ण विनम्रता के साथ नुक्‍कड़ पर स्‍वागत है। 

उपर दी गई इमेज पर एक या दो बार क्लिक करने पर रचना को आप सरलता से पढ़ सकते हैं। यह लेख आज के जनसत्‍ता से साभार लेकर अविकल रूप में आपके विचारों के लिए प्रस्‍तुत किया जा रहा है। 

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खबर जो हिंदी ब्‍लॉगिंग के लिए संजीवनी साबित हुई है आप भी पढ़ लीजिए

खबरें विस्‍तार से
छपीं जो अखबार में
कार्यक्रम 30 अप्रैल 2011 का
पुस्‍तक लोकार्पण और
सम्‍मान पुरस्‍कार अर्पण समारोह
हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग को दी नई ऊंचाईयां
आप भी ऊंचे आइये







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हुर्रे ....... ब्‍लॉग स्‍पाट की मरम्‍मत पूरी : हिन्‍दी ब्‍लॉगरों का अंग्रेजी ब्‍लॉगिंग में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है

हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के अनुभव ने फेरी लगवाई, हो रही है कमाई
एक अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण बैठक में यह तय पाया गया है कि पिछले दिनों एक हिन्‍दी ब्‍लॉगर के अंग्रेजी ब्‍लॉगिंग में प्रवेश को लेकर जो धम धमाल मचाया गया है। उसके विरोध स्‍वरूप आज ब्‍लॉग स्‍पाट ने ब्‍लॉगों पर मरम्‍मत के नाम पर अलीगढ़ से मंगवाकर ताले लटकवा दिए।
जब यह आश्‍वासन मिला कि अब वे ऐसा कारनामा नहीं करेंगे और न ही किसी को इस तरह की कारगुजारियों के लिए प्रेरित करेंगे, तब ब्‍लॉग स्‍पाट से इन तालों को हटवा दिया गया है।
इससे स्‍पष्‍ट है कि हिन्‍दी ब्‍लॉंगिंग से गद्दारी करने वालों को ब्‍लॉग स्‍पाट भी माफ नहीं करता है। अतएव, वे अपनी इस तरह की करतूतों पर रोक लगाएं। जिसे देश और भाषा के स्‍वाभिमान के नाम पर आंच न आए।
जांच में यह भी सामने आया है कि हिन्‍दी ब्‍लॉगर को अंग्रेजी ब्‍लॉगिंग में कमाई का लालच दिखला कर जिस प्रख्‍यात ब्‍लॉगर ने भड़काया था, उसके गीतों को अंग्रेजी में लयबद्ध रूप में लिखने के आदेश पारित कर दिए गए हैं।

क्‍योंकि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के गेट पर लगा हुआ ताला हट गया है इसलिए अब आप सब खुशियां मना सकते हैं। इन खुशियों को जारी रहने देने के लिए इस पोस्‍ट पर टिप्‍पणी न करने की सूरत में ...........;; होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के लिए ब्‍लॉगर स्‍वयं जिम्‍मेदार होंगे। 
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हिन्‍दी ब्‍लॉगर हिन्‍दी भवन में हिन्‍दी साहित्‍य निकेतन से प्रकाशित हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग पुस्‍तक के लोकार्पण पर आपका इंतजार कर रहे हैं : आप शामिल हो रहे हैं हां ...



तारीख तीस है
अप्रैल माह की
दिन शनिवार
मतलब
रविवार की
नहीं है छुट्टी



हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग की
पिएंगे जी भर कर घुट्टी
घुट्टी पिलाने वाले
कार्ड में नाम
दिख रहे हैं
कुछ पीने वाले
भी हैं शामिल
मैं हूं, हां।

पर आप क्‍यों
पीछे छिप रहे हैं
आकर करें
टिप्‍पणी अपने आने की
कार्यक्रम को अपनी
उपस्थिति से जोरदार
बनाने की।

जिन्‍होंने पुस्‍तक की
करा ली हैं बुक प्रतियां
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नई दुनिया को नाम बतलाने में शर्म आ रही है


http://blogsinmedia.com/

नई दुनिया में ब्लॉग लेखों का इस्तेमाल करते हुए लेख: नाम किसी ब्लॉग या ब्लॉगर का नहीं


जिन ब्लॉगों की सामग्री हूबहू ली गई हैं उनमें रवि रतलामी (रविशंकर श्रीवास्तव) काअभिव्यक्ति में लेख, बी एस पाबला के ब्लॉग बुखार से 3 पोस्ट, अविनाश वाचस्पति केनुक्कड़ से एक पोस्ट, शिवम मिश्रा के बुरा भला से एक पोस्ट, नवभारत टाईम्स पर मंगलेश डबराल का ब्लॉग आधारित लेखांश मुख्य पूरा पढ़ने और कुछ कहने के लिए यहां पर क्लिक कीजिए आपको बहुत सारी जानकारी मिलेगी।

आप जब वहां पर पहुंचेंगे तो जिन लोगों ने ब्‍लॉग इन मीडिया में पंजीकरण नहीं कर रखा है, उन्‍हें रजिस्‍ट्रेशन करने के लिए कहा जाएगा, आप न तो शर्माइयेगा और न घबराइयेगा। तुरंत रजिस्‍ट्रेशन कर लीजिएगा तभी वहां पर आप अपनी बात कह पायेंगे। 
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हिन्दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए


इस समाचार को ब्‍लॉगहित में कहीं भी प्रकाशित किया जा सकता है।
नयी दिल्ली/ हिन्‍दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए और आज मैं इस मंच से पूरा एक दशक हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के नाम करने की घोषणा करता हूं। इस एक दशक में आप देखेंगे कि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग सबसे शक्तिशाली विधा बन गई है। जिस प्रकार मोबाइल फोन सभी तकनीक से युक्‍त हो गया है, उसी प्रकार हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग सभी प्रकार के संचार का वाहक बन जाएगी। प्रख्‍यात व्‍यंग्‍यकार और चर्चित ब्‍लॉग नुक्‍कड़ के मॉडरेटर अविनाश वाचस्‍पति ने जब यह आवाह्न किया तो पूरा सभागार तालियों की करतल ध्‍वनि से गूंज उठा।
उन्‍होंने कहा कि मीडियाकर्मियों और हिन्‍दी ब्‍लागरों का समन्‍वयन अवश्‍य ही इस क्षेत्र में सकारात्‍मक क्रांति का वाहक बनेगा। जिस प्रकार हिन्‍दी ब्‍लॉगर और मीडियाकर्मी एकसाथ मिले हैं, उसी प्रकार यह परचम सभी क्षेत्रों में लहराना चाहिये। प्रत्‍येक क्षेत्र में से हिन्‍दी ब्‍लॉगर बनें और अपने अपने क्षेत्र की उपलब्धियों को सामने लायें। हिंदी मन की भाषा है और इस भाषा की जो शक्ति है वो हिन्‍दी के राष्‍ट्रभाषा न बनने से भी कम होने वाली नहीं है। वे राजधानी के आदर्श नगर में आयोजित हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग की कार्यशाला और ब्‍लॉगर सम्‍मेलन के मौके पर उपस्थित समुदाय को संबोधित कर रहे थे।
आई बी एन सेवन के अनिल अत्री ने कहा कि हिंदी भाषा सम्पूर्ण राष्ट्र को जोड़ने की क्षमता रखती है..विश्व मंच पर राष्ट्र का गौरव भाषा बन सकती है..हिंदी खुद में एक संस्‍कृति और संस्कार है..दिल से बोली जाने और दिल से सुनी जाने वाली इस भाषा को पढ़ने और लिखने वालों की संख्या देशभर में कम नहीं है।
इस कार्यशाला की उपलब्धि उत्‍तराखंड खटीमा से पधारे डॉ. रूपचन्‍द्र शास्‍त्री ‘मयंक’ और चित्‍तौड़गढ़ से पधारी इंदुपुरी गोस्‍वामी रहीं। दिल्ली में प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया से भी भारी संख्या में पत्रकारों ने शिरकत कर वेब पत्रकारिता के गुर भी सीखे और यह अनुभव किया कि आज हिंदी किस मुकाम पर है और इसे शिखर पर पहुंचाया जा सकता है। इस कार्य शाला में शिरकत कर रहे मीडियाकर्मियों ने अपने अपने ब्‍लॉग बनाये और संकल्प किया कि वे भी अब नियमित रूप से ब्लॉग लिखा करेंगे।
उपस्थित लोगों में उल्‍लेखनीय चर्चित ब्‍लॉगर अजय कुमार झा, पवन चंदन, सुरेश यादव, पाखी पत्रिका की उप संपादक प्रतिभा कुशवाहा, संगीता स्‍वरूप, वंदना गुप्‍ता, शिशिर शुक्‍ला, राजीव तनेजा, शोभना वेलफेयर सोसायटी के सुमित तोमर, हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में पी एच डी कर रहे केवल राम, अनिल अत्री, विनोद पाराशर, उपदेश सक्‍सेना, संजीव शर्मा, सुनील कुमार इत्‍यादि के नाम उल्‍लेखनीय हैं। मीडियाकर्मियों में इंडियान्‍यूज के वी के शर्मा, सहारा टी वी के रजनीकांत तिवारी, आज तक के आनंद कुमार, सतीश शर्मा , संजय राय , राजेश खत्री , योगेश खत्री , हर्षित , दीपक शरमा , राजेंदर स्वामी ने अपने अपने ब्‍लाग बनाये।
ब्‍लॉग लिखने की तकनीकी जानकारी पद्मावली ब्‍लॉग के पद्म सिंह, ब्‍लॉगप्रहरी के कनिष्‍क कश्‍यप और अविनाश वाचस्‍पति ने सामूहिक रूप से दी। इस कार्यशाला का आयोजन और संचालन अनिल अत्री ने किया। आदर्श नगर में करीब सुबह 11 बजे से शुरू हुई हिन्‍दी ब्‍लॉगिग की यह कार्यशाला शाम 5 बजे तक निरंतर चलती रही. इस कार्यशाला में देश के कई नामी साहित्‍यकार लेखक और दिल्ली के हिंदी पत्रकारों ने भाग लिया.
प्रस्‍तुति : नुक्‍कड़ संपादकीय टीम।
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हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के रहस्‍य

इंटरनेट पर जीवित उड़ान
रहस्‍य
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