जीने में भी है और मरने में तो जोखिम खूब सारे हैं। मर्जी से मरना भी अपराध माना जाता है। इसलिए जब अपराध करना ही है तो हवा में ही क्यों न किया जाए। हो सकता है कानून हवा में मार न कर पाये। जब सरकार चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है तो सरकार की सीमा में जहाज उड़ाने के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए क्योंकि अनिवार्यता है, इसलिए फर्जी की जरूरत पड़ती है। अगर देश चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती तो वो भी फर्जी बनाए जा रहे होते। जिस देश में स्कूटर, कार, बस, ट्रक, रेल और जहाज उड़ाने वाले लाइसेंस फर्जी मिल रहे हैं तो क्या आश्चर्य कि देश चलाने वाले भी फर्जी लाइसेंस दिखलाकर
ब्लॉगिंग करूं, जहाज उड़ाऊं या देश चलाऊं - जल्दी से बतलाओ जी
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
Labels:
अविनाश वाचस्पति,
देश,
फर्जी लाईसेंस
Labels:
अविनाश वाचस्पति,
देश,
फर्जी लाईसेंस