जरा बताएँगे,सीएनईबी जैसे चैनलों में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच कौन करेगा?: "देश की जनता ने 15वीं लोकसभा का चुनाव परिणाम देखा, और देख रहा है मनमोहन सरकार की दूसरी पारी भी। साढ़े 18 प्रतिशत मंहगाई वाले देश के लोग 61वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। आज़ादी के इन 63 वर्षों में जितना घोटाला मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुआ, इससे पहले कभी नहीं। शासक के हाथ में जब दूबारा सत्ता आती है तब वह और भी निरंकूश और बेफिक्र हो जाता है। चाहे 20 साल तक बिहार की गद्दी पर राज करने का सपना देखने वाला लालू प्रसाद यादव हो या पश्चिम बंगाल में वामपंथियों की सरकार हो या फिर मिश्र के इजिप्ट में गद्दाफी की सरकार हो।
लेकिन, कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने दूसरी पारी में ही भ्रष्टाचार की सभी सीमा को लांघने को आतुर दिख रहे हैं। निरंकुशता का इससे बड़ा उदाहरण और कोई नहीं दिया जा सकता। जब प्रधानमंत्री 2जी घोटाले पर भरी संसद में साफ कह देते है, इस संबंध में मुझे नहीं मालूम? प्यादा से लेकर सिपाही तक और मंत्री से लेकर राजा सबके सब भ्रष्ट । वर्ष 2010 में हजारों टन गेंहूं केवल सही ढंग से रख - रखाव नहीं रहने की वजह से सड़ गये और सरकार मुंह ताकती रह गई? शरद पवार को चेहरे से लेकर पैर के नाखून तक में फिर लकवा मार दिया और निढाल पड़े रहे?
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जरा बताएँगे,सीएनईबी जैसे चैनलों में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच कौन करेगा?
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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यद्यपि मनमोहन सिंह देश के उच्च-कोटि के अर्थ-शास्त्रियों में गिने जाते हैं.तथापि देश की अर्थ-व्यवस्था को देख कर नहीं लगता कि एक उच्च-कोटि के अर्थशास्त्री के मार्ग-दर्शन में चौपट हुई है .यहाँ बहाना बनाया जा सकता है कि सारा-का-सारा नियंत्रण तो सोनिया या युवराज जी के हाथ में है .युवराज जी के काम करने का ये तरीका है कि जहाँ कहीं भी गैर-कांग्रेसी-शासित राज्यों में कुछ ऐसा-वैसा घटित होता है तो युवराज जी आस्तीन चढाते हुए बताए-विना-बताए पहुच ही जाते हैं और वहां जाकर ऐसी कपीय-हरकतें करते हैं यदि अकेले में उस पर विचार करते होंगे तो बड़ा शरमाते होंगे. इन्हें कौन बताए कि जिसे ढूँढने के लिए यू.पी और बिहार तक जाते हो वो तो तुम्हें दिल्ली और हरियाणा में भी मिल जाएगा और उससे भी कहीं ज्यादा प्रतिशत में.
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