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मन को इन्द्रधनुष का
हर रंग भा रहा है
मुझे तो भा रहा है
आभामंडल इसका।
प्रस्तुति एवं कविताकश : अविनाश वाचस्पति
लिंक देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहंसी के फवारे में- अजब प्रेम की गजब कहानी
नेहा शरद जी ... ठीक है जी !
जवाब देंहटाएंइन्द्र धनुष.. -यथा नाम तथा गुण , जागृत रंगों का समन्वय बेहतर बन पड़ा है. मुझमें रहते हैं करोडो लोग ,भ्रष्ट जो देखन मैं चला.पोस्टर पोयम्स, नजरिये,चेपलिन की आत्मकथा.. आदि आदि . नेहा -शरद को असीम संभावनाओं की गुंजाइश-उस दिशा में चलते रहने की शुभकामना के साथ ही अपने हिस्से के रंगों को इन्द्रधनुष के कैनवास पर बिखेरने का वायदा. मेरा ब्लॉग kishordiwase.blogspot.com देखकर बताइयेगा. अपना ख्याल रखिये.
जवाब देंहटाएंlink khulta nahin hai...!
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