ललित जी डर के आगे जीत है


" जबलपुरिया दबंगई -हजूर जापान की सुनामी से विचलित होकर आप कुछ अधिक व्यग्र नज़र आ रहे हैं. हम तो फ़गुआहट से प्रभावित अपने मत दाताओं यानी माननीय सुधि पाठकों भावना की कदर करते हुए चाह रहे थे कि वार्ता कुण्ठा जन्य परिस्थियों की वज़ह से अवरुद्ध न हो. आपने हमारी सद भावना को सर्वथा ग़लत दिशा दी...! आप भी क्या कर सकते हैं विजया-सेवनोपरांत ऐसा ही लिखा जाता है. 
"विजया को ऐसो नशा हो गये लबरा मौन
पत्नि से पूछे पति:-"हम आपके कौन..?"
ललित जी डर के आगे जीत है भई ..!!
मुझे "मूंछ उमेठन चुनौती से भय नहीं याद रखिये यह भी कि खरा आदमीं हूं कुम्हड़े का फ़ूल नहीं जो तर्जनी देख के डर जाऊं ! जब से होश सम्हाला है जूझता ही आया हूं किंतु आपकी पीडा मैं समझ सकता हूं आप ने आक्रोशवश जो भी लिखा उसे नज़र अंदाज़ करते हुए मैं सम्पूर्ण स्थितियों से पर्दा उठा देना चाहता हूं ताकि आप जैसे मित्र से मेरा जुड़ाव सतत रहे
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5 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्दाबाद!! जिन्दाबाद!!

    आंदोलन का शंखनाद किया जाये!!

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  2. फोटू तो सालिड हिंचवाये हो भाई... :)

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  3. पौडर जादा हो गया न
    जे छायांकन वाले भैया हैं न
    उनका कमाल है

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  4. "विजया को ऐसो नशा हो गये लबरा मौन
    पत्नि से पूछे पति:-"हम आपके कौन..?"
    होली की हार्दिक सुभकामनाएं!

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