सामूहिक हिन्दी ब्लॉग पिताजी पर पिताजी दिवस के लिए अपनी रचनाएं, संस्मरण, कविताएं, किसी भी विधा में हों, पिताजी ब्लॉग पर लगाएं, जो जुड़े हुए हैं, इस ब्लॉग से वे तो लगाएं ही। जो जुड़ना चाहें, वे अपनी इच्छा avinashvachaspati@gmail.com पर भिजवाएं। उन्हें आमंत्रण भेज दिया जाएगा। सभी रचनाएं 20 जून 2010 को ही लगाएं। उससे पहले भी लगा सकते हैं परंतु 20 जून को अवश्य लगाएं। भूल न जाएं, इसलिए ग्यारह दिन पहले ही स्मरण करा दिया गया है और उल्टी गिनती शुरू होती है अब ..........
यदि आपके पास ऐसा कुछ भी नहीं है तो ग्यारह दिन बहुत होते हैं। यादों, स्मृतियों को कलमबद्ध करने के लिए। तो जुट जाइये हिन्दी ब्लॉगरों ..... एक नेक कार्य में।
हिन्दी ब्लॉगरों 20 जून को पिताजी दिवस है : पिताजी ब्लॉग पर आपका स्वागत है
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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पिताजी 20 जून को पिताजी दिवस
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पिताजी दिवस को मेरी और से चंद लाइनें समर्पित हैं.-
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों में घुली है जो दुआ, भूला नहीं,
मेरी मस्ज़िद में जो रहता है खुदा, भूला नहीं,
आप चलते हैं मेरी आँखों की अंगुली पकड़ कर,
मैं अंधेरों में भी अपना रास्ता भूला नहीं.
pitaji divas par
जवाब देंहटाएंyah post jaroor dekhen, link neeche diya hua hai
http://sanjaykuamr.blogspot.com/2010/04/blog-post_26.html
कुछ समय पहले मैंने हमने जानी है रिश्तों में रमती खुशबू श्रृंखला लिखी थी। इसकी दो कड़ियों में यहां और यहां अपने पिता के बारे में लिखा था। मेरे सारे लेख कॉपीलेफ्टेड हैं। इनका प्रयोग जैसे चाहें वैसे कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारी दी……………जरूर भेजेंगे।
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंअविनाश जी ,आप ने पिता जी ब्लॉग बना कर सचमुच महत्वपूर्ण काम किया है .मां की महत्ता तो चारों ओर विद्यमान है.जब कि पिता की महत्ता उपेक्षित रही है.संघर्ष और पिता एक दुसरे के पर्याय हैं .हम सबने यह अपने अपने अनुभव से जाना है.साल में एक वार पिता दिवस मनाना पिता के साथ अन्याय है क्योंकि पिता का आशीर्वाद ,पिता का वलिदान और पिता का संघर्ष तो हर दिन हर साँस में है. चूँकि इसके पीछे की निहित भावना पवित्र है इस लिए मैं कोई प्रश्न नहीं उठा रहा हूँ .मैं उठा रहा हूँ पिता के ऋण का बोझ जो उठ ही नहीं रहा है,कोशिश करूँगा कि काव्य अनुभूति समर्पित कर इस ऋण का शतांश चूका सकूँ.
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