हाशिए पर कांग्रेस का चाणक्य!
गुमनामी के अंधेरे में जिंदगी बसर करने मजबूर हैं कुंवर साहेब
अर्जुन सिंह की सेवाओं को दरकिनार किया कांग्रेस ने
(लिमटी खरे)
गुमनामी के अंधेरे में जिंदगी बसर करने मजबूर हैं कुंवर साहेब
अर्जुन सिंह की सेवाओं को दरकिनार किया कांग्रेस ने
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 08 जून। बीसवीं सदी के अंतिम के लगभग तीन दशकों तक कांग्रेस की नैया के खिवैया माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर अर्जुन सिंह को सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस ने दूध में से मक्खी की तरह निकाल फंेका है। आज आलम यह है कि कुंवर अर्जुन सिंह के निवास पर कोई उनका हाल जानने जाने की जहमत भी नहीं उठाता है। कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को घेरकर रखने वाली कोटरी ने उनके कान भर भर कर कुंवर अर्जुन सिंह की सालों की मेहनत और नेहरू गांधी परिवार के प्रति उनकी निष्ठा को धूल धुसारित ही कर दिया है।
गौरतलब है कि अस्सी के दशक में देश के हृदय प्रदेश मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कुंवर अर्जुन सिंह को विषम परिस्थितियों में अलगाववाद और आतंकवाद से झुलस रहे पंजाब प्रांत में शांति बहाली के लिए वहां का महामहिम राज्यपाल बनाकर भेजा था। अपनी तेज बुद्धि और चाणक्य नीति पर चलकर उन्होंने पंजाब में अमन चैन कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद तिवारी कांग्रेस का गठन उनके लिए परेशानी का सबब बना पर तिवारी कांग्रेस का गठन उन्होंने नरसिंहराव की खिलाफत के चलते किया था। कुंवर अर्जुन सिंह को कांग्रेस की सरकार में सदा ही तवज्जो मिलती रही है, और वे हमेशा सरकार के बनने पर कद्दावर मंत्रालय पर काबिज भी रहे हैं।
विडम्बना यह है कि उमरदराज हो चुके कुंवर अर्जुन सिंह अर्जुन सिंह को इस बार जब मन मोहन सिंह दुबारा सत्ता में आए तब मंत्रालय से विहीन कर दिया गया। उनकी पुत्री को लोकसभा का टिकिट तक नहीं दिया गया। पिछले कुछ सालों से कुंवर अर्जुन सिंह के विरोधी उन्हें हाशिए पर लाने में लगे हुए थे, कहा जा रहा है कि कान की कच्ची हो चुकीं सोनिया गांधी ने भी अर्जुन विरोधियों की बातों में आकर उन्हें राजनैतिक बियावान से गुमनामी के अंधेरे में ढकेल दिया है।
कभी कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता समझे जाने वाले कुंवर अर्जुन सिंह आज गुमनामी के अंधेरे में ही जीवन जी रहे हैं। कल मीडिया से घिरे रहने वाले कुंवर अर्जुन सिंह के दरबार में अब उनसे उपकृत होने वाले पत्रकार भी जाने से कतराने लगे हैं। कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सोनिया के प्रबंधकों ने उनके कान भरकर नेहरू गांधी परिवार के ट्रस्ट से भी बाहर का रास्ता दिखवा दिया है। अर्जुन सिंह और परिवार के एक अन्य विश्वस्त माखन लाल फौतेदार के स्थान पर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और मुकुल वासनिक को स्थान दे दिया गया है।
खतो खिताब की राजनीति के जनक माने जाने वाले कुंवर अर्जुन सिंह ने अपनी इस उपेक्षा के बाद भी अपना मुंह सिलकर ही रखा है, जिससे राजनैतिक विश्लेषक हैरानी में हैं। एक समय था जबकि कुंवर अर्जुन सिंह द्वारा लिखे गए पत्र संबंधित तक बाद में पहुंचा करते थे, मीडिया की सुर्खियां पहले ही बन जाया करते थे, पर इस बार कुंवर अर्जुन सिंह ने खामोशी अख्तिायर कर रखी है जो उनके स्वभाव से मेल नहीं खा रही है।
पिछले दिनों मध्य प्रदेश में अपने मित्र के पास बैतूल के 'बालाजीपुरम' की यात्रा के उपरांत राजधानी भोपाल में भी मीडिया से मुखातिब कुंवर अर्जुन सिंह ने यह कहकर सभी को चौंका दिया था कि राजनीति में उन्हें आराम की फुर्सत नहीं मिली सो अब वे अर्जित अवकाश (अर्न लीव) भोग रहे हैं। सालों साल कांग्रेस में रहकर नेहरू गांधी परिवार की ढाल बने रहे कुंवर अर्जुन सिंह के साथ उमर के इस पडाव में कांग्रेस के नेतृत्व के इस सुलूक की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है।
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