शुरू हुआ है देखो अभी
बीतता भी नहीं है कभी
बीत जाएगा तब भी
रीतेगा नहीं कभी
रीतने पर भी कोई
जीतेगा क्या कभी ?
करना है इमेज पर क्लिक
मेज पर नहीं ठकठकाना है
और पढ़ जाना है
मजा न आएगा
गारंटी इसकी भी है
देखिए फैशन के दौर में
दे रहे हैं गारंटी
इससे अधिक नहीं बजा सकते
हम किसी भी मंदिर की घंटी।
सोपानstep मासिक के सौजन्य से।
मूर्खता सात्विक गुण है
जवाब देंहटाएंअप्रैल का महीने का असर है कि
इस महीने मे बने हुए लोग भी
बनाने के फिराक मे लगे रहते हैं
बढ़िया आलेख रहा.
जवाब देंहटाएंआभार पढ़वाने का.
आवारा सजदे
जवाब देंहटाएंवो घबराये जो समझदार हो ....
जवाब देंहटाएंमूर्ख को कोई क्या कह के मूर्ख बनाएगा ...
इसलिए निश्चिंत हैं ... फिकर नॉट ...:)
वाणी की टिप्पणी मेरी भी मानी जाय....
जवाब देंहटाएंहम तो मूर्खाधिराज्ञी
हाँ नहीं तो...!!
"मूर्ख की सबसे बड़ी पहचान की वह खुद को बुद्धिमान समझे और बाकी सबको मूर्ख..."..बस यह कहकर तो आपने सबकुछ कह दिया....बढ़िया आलेख
जवाब देंहटाएंavinaash ji
जवाब देंहटाएंkya kahe ........sabse jyaada khushi ki baat to yahi hai ki ,moorkh bane rahe ..zindagi acchi katti hai ....
vijay
हा... हा... हा... बुद्धिमान दिवस... बहुत खूब ......
जवाब देंहटाएंसुंदर अतिसुन्दर!। यह आलेख हमारे साथ बाटने के लिए हार्दिक धन्यवाद । इसके लिए सदैव आपका आभारी रहूँगा।
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