दिल्ली वालों होशियार, भारत वालों होशियार , दुनिया वालों होशियार अरे भाई आराम से कोई आफत नहीं है - - दिल्ली आज प्रयास कर रही है ग्लोबल वार्मिंग से निबटने के लिए। आप आइये इसे सफल बनायें और जागरूक करें खुद को और सभी को । आज अगर दिल्ली एक घण्टे का साथ दे तो १६० किलोवाट बिजली बचेगी । नारी ब्लाग की रचना जी के अहवान के साथ हम सभी । आइये दिल्ली सामूहिक प्रयास को सफल बनायें । यहां देखें - " मैं अपनी धरती को वोट दूंगी, आप भी दें कैसे?क्यूँ?? जाने??
नारी का अहवान , रचना जी का प्रयास
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आइये हम सभी एक साथ इस प्रयास को सफल बनायें ।
जवाब देंहटाएंहां , हम सब आपके और रचना जी के साथ हैं।
जवाब देंहटाएंहम करें रोज फिजूलखर्ची
जवाब देंहटाएंहर चीज की
और बचाएं
सिर्फ दिन में एक घंटे
क्यों नहीं हम रोज ही
आदत में करते शुमार
फिजूलखर्ची बंद करने की।
हमें नि:संदेह इस सामूहिक अभियान को अपना छोटा-सा योगदान देकर सफल बनाना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन इसकी आदत डालें। ऐसा मान लें कि बिजली की आपूर्ति पीछे से हो ही नहीं रही। हमने देखा है कि हममें से लगभग सभी अपने घरों में, दफ़्तरों में ज़रूरत न होने पर भी लाइट्स, पंखे, कंप्यूटर आदि ऑन रखते हैं। अगर हम इस ओर थोड़ा -सा भी ध्यान दें तो न केवल बिजली और धन की बचत करेंगे बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को बहुत हद तक कम कर ने में सफल होंगे। बस, पहल करने और दृढ़-संकल्प करने की आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा मेरे ब्लॉग समयचक्र में
जवाब देंहटाएंसमयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : आज " धरती -प्रहर" में एक वोट धरती को भी दीजिये
बिजली, पानी, पेट्रोल, डीजल पर कंट्रोल अत्यंत आवश्यक है, एक - एक पल, घडी, घंटे का संयम हम सभी के लिये लाभप्रद है।
जवाब देंहटाएंbaat to sabhi ki theek hai. meri b yhi raay hai
जवाब देंहटाएंपश्चिम से प्रोत्साहित होकर उठाया गया अंधानुसरण में लिया गया कदम. बिल्कुल वैसे ही जैसे कि विषबेल की जड़ को न काटकर पत्तियों को काटने का प्रयत्न किया जाये. भारत में इसकी मूल समस्या को पहचान कर खत्म करने की जगह पश्चिमी देशों का पिछलग्गू बनना फैशन बन गया है, इसलिये यह सब किया जा रहा है.
जवाब देंहटाएंAARE NEK KAAM MAI KAAHE KAA ANDHAANUKARAN. KHOOB BACHAAO BIJLEE.
जवाब देंहटाएंHARI PICHHLAGGOO