27 वॅ साल मॅ ही दस्तक देने लगता है बिढापा ???

आज देश के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र मॅ पढा कि वाशिंगटन मॅ छपने वाले अखबार डॆली मेल मॅ यह लेख छपा कि एक जाने-माने रिसर्चर टिमथी साल्टहाउस ने एक 7 वर्षॉ तक 2000 लोगॉ पर शोध किया और यह जानने का प्रयास किया कि आयु के प्रभावी की सबसे कम आयु क्या हो सकती है. उन्हॉने 18 से 60 वर्ष की आयु के लोगॉ से बात की, उनके आंकडे जुटाये. अंतत: परिणाम यह सामने आया कि 27 वर्ष की आयु मे ही हम मॅ से अधिकांश लोगॉ की यादाश्त कमज़ोर होने लगती है. हम चीज़ॅ रखकर असामान्य रूप से भूलना शुरू कर देते हैं जैसे कोई दैनिक उपयोग की वस्तु (चाबी, किताब,घडी या फिर जूते) अपने हाथॉ से रखकर भूलजाना कि हमने कहाँ रखी है.यह शोध स्वस्थ और पढे-लिखे लोगॉ पर हुआ और नतीजे पर पहुँचने मॅ 7 साल लगे.

क्या वाकई ऐसा होता है??


इसके एक्दम उलट भारतीय विचार तो यह कहता है कि 25 वर्षॉ के समय यौवन अपने पूर्ण आवेग मॅ होता है और 40 वर्ष की आयु तक वह शारीरिक रूप से बिलकुल सक्षम होता है. लेकिन यह विचार 25 वर्षॉ तक ब्रह्मचर्य के पालन पर भी बल देता है. ऐसे मॅ यह परिणाम चौंकाने वाला है.

क्या ऐसा तो नहीं कि निरंकुश यौनाचार और भोगवादी मानसिकता का ही परिणाम आज मानव को असमय बुढापे के रूप मॅ हम सब के सामने हो ???
क्या यह सत्य है कि पश्चिम योग की ओर इसी लिये बढ रहा है कि वो जान चुका है कि भोग जीवन के सागर की वो मोटर बोट है जो शरीर को मृत्यु के घाट तक बडी तेजी से ले जाती है???

तो आज कौन सी जीवन पद्धति है जो हमॅ इस अनमोल जीवन को सुफल और सफल रूप मॅ जीने का अवसर दे सकेगी ???



आप की क्या राय है इस विषय मॅ. कृपया टिप्पणी करॅ और मुझे भी जानने का अवसर दॅ.

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