नमस्कार, मैं संगीता मनराल इनर वायस नामक (निजी) ब्लाग में लिखती हूँ अविनाश जी से नुक्कङ पर लिखने का न्योता मिला तो तुरंत हाँ कर दी नुक्कङ हर शहर, गाँव, कस्बे में होता है, हर गली को जोङता है, पूरे जहान की खबर रखता है तो आज से अपना सफर नुक्कङ पर शुरु करती हूँ
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आजकल चुनाव की सुगबुगाहट चारों ओर है, कई दलों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिये है सभी पार्टी ने अपने अपने मतों से प्रधानमंत्री के दावोदारों कि घोषणा भी कर दी है कहीं किसी के बयानों से छींटाकशी है तो कहीं किसी के खेमे में गुलमोहर बयार आ गई है, कोई आया राम से गया राम, तो कोई गया राम से आया राम हो गया है बस चहूँ ओर यही आलम है रोड शो और फिर रोड बनने का काम भी तो ज़ोरों पर है, हमारे इलाके में ही करीब ४-५ जगह रोड बनने का काम शुरु है
आज सुबह घर से आफिस के लिये निकली, स्टाप पर करीब २० मिनट इंतजार करने के बाद जब कोई बस नहीं आई तो पूछताछ से मालूम हुआ की रुट में कुछ बदलाव लाया गया है, सभी बसें इस स्टाप से ना जाकर दूसरे स्टाप से जा रही हैं शायद वहाँ से प्रधानमंत्री का काफिला गुजरने वाला है तो भई उनकी सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुये ये बदलाव किये गये है अब पब्लिक का क्या है, वो तो किसी भी हाल में अपने को खुश रख लेती है, तो मैं भी बुङबुङाते हुये पैदल चलकर दूसरे स्टाप तक चली गई और बस आने का इंतजार करने लगी ज्यादा तो कुछ नहीं, लेकिन आफिस करीब ३०-४० मिनट देरी से पँहुची और रेड मार्क से उपस्थिती दर्ज की
खैर मुद्दा ये है की पब्लिक कब तक यूँही हर हाल में खुश रहने की कोशिश करती रहेगी आम आदमी की कीमत कुछ नहीं और एक मंत्री के लिये करीब १० सिपहसलार, अगर उनकों मालूम है की राजनीती में आने पर जान जोखिम में है तो फिर वो राजनीती में आते ही क्यों है, मेरा मानना यह है कि वो अगर ये बोलते है की हम निश्काम भावना से पब्लिक की सेवा करना चाहते है तो फिर ये दिखावा क्यों, इतने सुरक्षा इंतजामात क्यों?? आप इस पर क्या राय रखते है??
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आजकल चुनाव की सुगबुगाहट चारों ओर है, कई दलों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिये है सभी पार्टी ने अपने अपने मतों से प्रधानमंत्री के दावोदारों कि घोषणा भी कर दी है कहीं किसी के बयानों से छींटाकशी है तो कहीं किसी के खेमे में गुलमोहर बयार आ गई है, कोई आया राम से गया राम, तो कोई गया राम से आया राम हो गया है बस चहूँ ओर यही आलम है रोड शो और फिर रोड बनने का काम भी तो ज़ोरों पर है, हमारे इलाके में ही करीब ४-५ जगह रोड बनने का काम शुरु है
आज सुबह घर से आफिस के लिये निकली, स्टाप पर करीब २० मिनट इंतजार करने के बाद जब कोई बस नहीं आई तो पूछताछ से मालूम हुआ की रुट में कुछ बदलाव लाया गया है, सभी बसें इस स्टाप से ना जाकर दूसरे स्टाप से जा रही हैं शायद वहाँ से प्रधानमंत्री का काफिला गुजरने वाला है तो भई उनकी सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुये ये बदलाव किये गये है अब पब्लिक का क्या है, वो तो किसी भी हाल में अपने को खुश रख लेती है, तो मैं भी बुङबुङाते हुये पैदल चलकर दूसरे स्टाप तक चली गई और बस आने का इंतजार करने लगी ज्यादा तो कुछ नहीं, लेकिन आफिस करीब ३०-४० मिनट देरी से पँहुची और रेड मार्क से उपस्थिती दर्ज की
खैर मुद्दा ये है की पब्लिक कब तक यूँही हर हाल में खुश रहने की कोशिश करती रहेगी आम आदमी की कीमत कुछ नहीं और एक मंत्री के लिये करीब १० सिपहसलार, अगर उनकों मालूम है की राजनीती में आने पर जान जोखिम में है तो फिर वो राजनीती में आते ही क्यों है, मेरा मानना यह है कि वो अगर ये बोलते है की हम निश्काम भावना से पब्लिक की सेवा करना चाहते है तो फिर ये दिखावा क्यों, इतने सुरक्षा इंतजामात क्यों?? आप इस पर क्या राय रखते है??
क्योंकि उन्हें पता है कि जनता बेवकूफ है ....अब ये जनता पर निर्भर करता है कि वो कब तक बेवकूफ रहेगी
जवाब देंहटाएंसंगीता मनराल, इनर वायस वाली को तो हम जानते हैं और वो ही इतना गंभीर मुद्दा उठा सकती हैं. मगर समय कुछ ऐसा बदला है कि सब नेता बोलते कुछ हैं, करते कुछ और-तो सुरक्षा तो चाहिये ही न!!
जवाब देंहटाएंनेताओं को पता है कि अगर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ामात नहीं किए गए तो उनकी पिछली करनी(दूसरों के साथ किए गए अन्याय) सामनी आ अपना रंग दिखा सकती है और कोई भी ऐरा-गैरा...नत्थू-खैरा बदले की भावना से ओत-प्रोत होकर उनका तिया-पाँचा कर सकता है
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