इस पोस्ट के साथ ही नुक्कड़ पर 250 पोस्ट पूरी हो गई हैं। नुक्कड़ अपने सभी साथी लेखकों, पाठकों, ब्लॉगर साथियों का इस उपलब्धि के लिए आभार करता है। आप सबको जानकर असीम प्रसन्नता होगी कि हिन्दी ब्लॉग्स यानी चिट्ठों की संख्या प्राप्त सूचना के अनुसार 10000 के उपर चढ़ चुकी है। इससे पता लग रहा है कि हिन्दी कितनी बढ़ चुकी है। इस चढ़ने, बढ़ने और अंग्रेजी से लड़ने, लड़ने नहीं, मनों में धमकने के लिए आप सबकी भूमिका को नहीं भुलाया जा सकता है। एक बार फिर सभी का आभार। करते रहें नुक्कड़ को इसी तरह प्यार। मार्च में वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक 300 पोस्ट का लक्ष्य हासिल करने के लिए कीबोर्डबद्ध रहें सभी नुक्कड़ग्रहवासी।
एक निवेदन और आप लोग सदा इस बात का ध्यान रखें कि पोस्ट को 24 घंटे प्रमुखता से एग्रीगेटर्स पर जमे रहने के लिए अधिकाधिक पसंद पर चटका लगाने और टिप्पणी लगाने यानी राय प्रकट करने की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके लिए आप सभी का सहयोग सदा की तरह मिलता रहेगा। इसी विश्वास के साथ। फिर नुक्कड़ पर। हिन्दी को आगे बढ़ाने की इस मुहिम में लगे एग्रीग्रेटर्स की महती भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
नुक्कड़ पर यदि कोई ब्लॉगर साथी शोध करना चाहे और बतलायें कि अब तक की अवधि में इस ब्लॉग की पोस्टों की क्या विविधता रही, टिप्पणियों में क्या रहा, इसे और अधिक पाठकों तक पहुंचाने के लिए क्या किया जा सकता है, किन और लेखकों को इससे जोड़ा जाना चाहिए, और भी ऐसी संभावनाओं पर आप सबकी राय बेबाकी से सदा की तरह आमंत्रित हैं।
चलते चलते बतला रहा हूं कि साहित्य शिल्पी पर होली के अवसर पर जारी की गई कार्टूनक्रीड़ा में यह कार्टून जारी किया गया है। जिसे जो न देख पाए हों, इसे देखें और होली के बाद भी इसका आनंद लें। और अधिक आनंद लेने के मूड में हों तो इसे भी पढ़ें हिलियाना और जूतियाना पर टिप्पणी देने से न डरें और न पसंद पर चटका लगाने से।
250वीं पोस्ट है नुक्कड़ पर और टिप्पणियां अपार : कौन शोध करेगा
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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250वीं पोस्ट पर बहुत-बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएंबधाई बहुत बहुत...
जवाब देंहटाएंहमारी ओर से लगातार टिप्पणियां न मिलने की क्षमायाचना सहित :)
wah ji wah
जवाब देंहटाएंbadhai ho 250 th post par ...
aapka aashirwad rahe to hum bhi jaldi hi is snkhya ko prapt kar lenge //////
jai ho ..guruji ki jai ho
सरजी,शोध शब्द से अब मेरी कंपृकंपी छूटती है। मैं जल्द ही अपने शोध से मुक्त होना चाहता हूं। ये लेबर पेन की तरह होता है, आपको खुलकर जीने नहीं देता। इसलिए मैं तो नक्कड में हाथ नहीं ही डालूंगा। बाकी लोग अपना नफा-नुकसान और रुझान देखकर तय करेंगें। वैसे आपके लिए 250 कोई बड़ी संख्या नहीं है। उम्मीद करता हूं कि आप एक और शून्य लगने तक जमे रहेंगें, उसके आगे भी।..
जवाब देंहटाएं२५०वी पोस्ट पर बहुत-बहुत बधाई और भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही हम आपकी प्रस्तावित संख्या प्राप्त करेंगे ।
जवाब देंहटाएं२५० पोस्ट की बधाई ।
बधाई!
जवाब देंहटाएंAvinash Bhai
जवाब देंहटाएंThis is one of your most important posts and needs a serious response. How long a post should remain on the front of a blog - is an important question and needs to be discussed among bloggers themselves. As far as response is concerned, most of the responses are - Badhaai, Kya Baat hai!, Chha gaye guru!, 250 post kee badhai.., dil ko chhoo leney wali kavita hai, kahani maramsparshi hai, etc etc. I really do not know how relevant such comments are.
Secondly there are same 20/25 names who react on each post. As in so-called Main Stream of literature the writers are the readers and readers are writers, even in blogging bloggers are readers and readers are bloggers. Off course there are exceptions. It seems that we are in a hurry to write; more hurry to publish and even more hurry to give some useless comments. There is nothing serious happening about blogging.
Just to let you know, that for Ph.D or even M.Phil, the matter available on the internet is not permitted to be used. Only the printed books or journals can be quoted in the thesis. If research begins on blogging, I donot know how much material could be used from blogs. It is a wonderful idea.
I wish blogging best of health and future.
Tejinder Sharma
Katha UK, London
badhai bahut bahut .
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित विचार। एक रचनाकार से ऐसी ही अमूल्य टिप्पणी की दरकार होती है। यह ऐसी टिप्पणी होती है जो टीपी भी नहीं जा सकती। इसे दो निगाहों से नहीं, त्रिनेत्र के माध्यम से पढ़ा और विचार फिर मंथन किया जाता है। यह एक टिप्पणी ही सभी टिप्पणियों पर भारी है और वजनी करामात कहा जाना चाहिए इसे। यह मात्र टिप्पणी नहीं है, एक मंथन है, चिंतन है। ब्लॉगर्स में सभी प्रकार के रचनाकार हैं। जो नवोदित हैं उन्हें सदैव ही प्रोत्साहन की दरकार रहती है। तभी उनका लेखन विकास की ओर अग्रसर होता है। परन्तु स्थापित रचनाकारों को इस तरह की कोई जरूरत नहीं रहती है। इसका यह आशय भी नहीं है कि सीखना बंद कर देना चाहिए बल्कि सीखना तो सदा चलता रहता है। हम अब भी सीख रहे हैं। जो पूरा सीख चुका है, ऐसा दावा करता है, समझ लो वो चुक गया है। और चुकना कोई नहीं चाहेगा। चाहना भी नहीं चाहिए। ब्लॉगिंग एक नया क्षिति है, उसकी सीमाओं को अभी कोई पूरी तरह से समझ नहीं पाया है। इसे समझें। तो अवश्य ही रचनात्मक जगत में ब्लॉगिंग से आगे जाकर भी एक क्रांति का सूत्रपात होने वाला है। आप और हम सब शीघ्र देखेंगे। इस विधा के उन्नयन के मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं। अभी तो उद्भव है। उद्गम है। हम देख रहे हैं प्रिंट मीडिया, ब्लॉग मीडिया, मीडिया के सभी तरह के प्रकारों के मध्य से एक नया मीडिया प्रस्फुटित होने ही वाला है। उसकी चकाचौंध से सब चमकेंगे। अभी इतना ही बाकी फिर ....
जवाब देंहटाएं२५० पोस्ट के मुकाम पर आने की बहुत बहुत बधाई..ऐसे ही बढ़ते चलें. अनेक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंअविनाश जी बहुत - बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएं250 पर बधाई।
जवाब देंहटाएं२५० वीं पायदान पर पहुँचने के लिए बधाई और कामना करता हूँ कि आप हजारो पोस्ट लिखे.
जवाब देंहटाएंPriy Avinash jee,
जवाब देंहटाएं250 post par meree badhaaee aur
shubh kamnayen.
तेजेन्द्र जी की बात में दम है
जवाब देंहटाएंअविनाश जी बहुत बहुत बधाई... हिंदी की गति तो हिंदी वालों से ही है...
जवाब देंहटाएंबधाई देना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंअविनाश बाबू को
दो सौ पचासवीं पोस्ट पर
नुक्कड़ की।
ब्लॉगर की दुनिया में
आप एक नाम हैं नामचीन
आपकी प्रेरणा से मैंने भी
बलॉग की दुनिया में
अपना पहला क़दम रखा था।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद भी।
- sk.dumka@gmail.com
अविनाश जी को बधाई. पर मै तेजेंद्र शर्मा जी के विचारॉ से भी सहमत हूँ. और आपका कथन भी विचार करने वाला है कि हम सदैव सीखते रहते है.
जवाब देंहटाएंफिर भी नम्बर गेम तो है ही. आपको मेरी शुभ काम नायॅ.