जिंदादिली की मिसाल एक चौराहा

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  • डॉ आशुतोष शुक्ल Dr Ashutosh Shukla
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  • मेरे घर के पास एक चौराहे पर जिसका नाम यहाँ के पुराने किराना व्यवसायी पराग शाह के नाम पर है. वैसे तो मेरे नगर लहरपुर जो कि जनपद सीतापुर में है उसकी खासियत ही छोटे छोटे चाय के होटल हैं. यहाँ की एक विशेषता और कि ये सभी होटल अपनी चाय में नमक का इस्तेमाल करते हैं अब यह तो नहीं कह सकते कि ये नमक इश्क का ही है क्योंकि रेखा भारद्वाज ने ओंकारा के एक गाने में इश्क के नमक का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया है. पर हमारे यहाँ की चाय का नमक बिलकुल वैसे ही है जैसे कि देश की राजनीति में सक्रिय एक स्वनाम धन्य नेताजी हैं जो राजनीति में अमर छौंक लगाने का बड़ा ही सुन्दर काम करते हैं. लोग कहते हैं कि पराग शाह चौराहा हमारे शहर की जान है क्योंकि जब सारा शहर सो जाता है तो कुछ लोग यहाँ पास ही पड़े खाली स्थान पर लेट कर पता नहीं किस बारे में बात करते रहते हैं, कभी यहाँ पर कुछ नव-युवक किसी मुट्ठी में कर लेने वाली मोबाइल सेवा का उपयोग कर अपनी प्रेमिकाओं से तल्लीनता से बतियाते मिल जायेंगें. किसी शहर का छोटा सा चौराहा किस तरह से सौहार्द की मिसाल हो सकता है, आप यहाँ पर देख सकते हैं। कभी भी कोई यहाँ से जाना चाहे तो वह जाम में से बिना किसी झिकझिक के निकल जाता है क्योंकि सभी लोग दूसरे के काम में टांग अड़ाने से ज्यादा अपने काम में व्यस्त रहना चाहते हैं... जो लोग दिन में छोटी बात पर भी झगडा करने से नहीं चूकते हैं वे भी यहाँ पर विनम्र दिखाई देते हैं. हाँ एक बात और कि कभी भी झगडा होने पर यहाँ पर २०० लोगों की भीड़ तो कुछ सेकेंड्स में ही जुट जाती है जैसे कि वे कहीं पर बैठ कर अचानक प्रकट होने की ट्रेनिंग लेकर आये हों.. अब देखिये और बताइए कि क्या आपके आस पास कोई ऐसा चौराहा भी तो नहीं है जिसकी जिंदादिली पर अभी तक आपकी नज़र ही न पड़ी हो ?

    4 टिप्‍पणियां:

    1. हमारे यहां पर जो चौराहे हैं
      उन भीड़ वाहनों की होती है

      लगता है जाम सुबह दोपहर

      और शाम, अब तो रात भी

      नहीं बची है इससे।

      वाहन एकाएक प्रकट होते हैं

      थे कहां, एकदम निकट होते हैं।

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    2. होते थे पहले तरह तरह के चौराहे ...अब किसी चौराहे पर जमा होने के लिए लोगों को फुर्सत कहां होती है।

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    3. आदमी नहीं होत है ,समय होत बलवान

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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