झॉपड़्पट्टी का कुत्ता करोड़्पति.

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  • मनुदीप यदुवंशी
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  • क्या बक्वास है. जिसे देखो वो आस्कर जीतने के नशे मॅ इस कदर चूर है कि बेहोशी के आलम से बाहर आना ही नही चाहता. देश का बुद्धिजीवी बहुत खुश है. देश का ऐसा युवा बेहद प्रफुल्लित है जो विवेकहीन है. पूरा देश थोथे मजे मॅ मग्न है. अरे कितनी शर्म की बात है कि कोई धारावी मॅ रहने वाले को कुत्ता बताकर उनके जीवन स्तर पर कोई चलचित्र बनाता है. सारी दुनिया के सामने दिखाता है और यह कहता है कि " ये देखो... भारत मॅ क्या हालात है...और वहाँ के लोग कुत्ते जैसा (पश्चिमी मानदण्ड के अनुसार) जीवन जीते हुये भी करोड़पति कैसे बन जाता है." छी: कितने मूर्ख है हम सब कि उनके इस महिमामण्ड़ित उत्सव मॅ हुये अपने इस अपमान पर कितने प्रसन्नचित है???? अरे मेरे देश के लोगो समझो... यह पुरस्कार उस निर्देशक को मिला है जो यह बता सका कि भारत मॅ झॉपड़ी मॅ रहने वाला कुत्ता कैसे बनकर रहता है...उस कलाकार को कोई पुरस्कार नही जिसने उस कुत्ते का किरदार निभाया...क्या यह विचार करने के लिये बाध्य नही करता....?

    क्या रहमान ने कभी इससे बहतर कोई संगीत नही गढा??? क्या गुलज़ार साहब ने इससे बहतर कोई गीत नही लिखा??? क्या कोई दे सकता है इन सवालॉ के जवाब??? दे तो सब सकते है...पर देना नही चाहते.

    क्या "तारे ज़मीं पर" फिल्म किसी लिहाज़ से घटिया थी??? हाँ एक तल पर वो उचित नही थी...कि उस का निर्देशन किसी अमेरोकन या फिर किसी अंग्रेज़ ने नही किया था. जबकि तारे ज़मीं पर ने जिस मानवीय भाव को छूआ वो अपने आपमॅ एक अनूठा विषय है... लेकिन आस्कर के लिये वह योग्यता के किसी पयदान पर नही टिकी क्यॉकि वो शुद्ध रूप से भारतीय निर्माण है... और पश्चिम ये कैसे सहन कर ले कि कोई भारतीय कैसे कला का इतना बड़ा सम्मान हासिल करे.

    हमे यह बात समझनी चाहिये कि कला, ज्ञान, विज्ञान, कौशल का गुण आदि विधाऑ मॅ हम से अधिक समृद्ध सकल विश्व मॅ कोई नही है. और हमॅ अपने देश के सम्मान की रक्षा करनी चाहिये और अपना विरोध दर्ज करना चाहियेअ.

    11 टिप्‍पणियां:

    1. आस्‍कर मिलने की खुशी भी हम भारतीयों को होनी ही चाहिए...वैसे आपका कहना भी बिल्‍कुल सही है..महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..

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    2. Please do not feel upset. They have indicated their present taste and appreciated the things to whom they give importance . We can`t change the taste of some body in just few day and can`t change the taste of some nations in few years. ????? ok .


      OSCAR MAY BE TREATED AS A PLATEFORM / FORUM. JUDGES WILL GO ON CHANGING WITH TIME.

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    3. thank you Sangeeta ji. Aapki sehmati milne se mujhe sntosh hua ki log hain jo is dard ko samajh sakte hain:-)

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    4. आपने सही बात कहा, आज आस्‍कर के नाम पर व्‍यापारियत को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह जीत में भले भारतीय समिल हो किन्‍तु एक कटपुतलियो की भातिं जिनकी डोर अंग्रेजो के हाथ में थी।

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    5. आने वाले कल की सोचो जो बीत गया उसका क्या? अगर यह सब इतना ही बुरा होता तो हम भारतीय ऐसी फिल्म के लिए हाँ क्यों करते! पता नहीं सही या ग़लत लेकिन शायद इस रात बाद कोई सुबह अपनी आँखें खोल दे!

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    6. फ़िल्म बुरी नहीं है ...भारत की ग़रीबी सत्य है, महिमामंडित करने पर विभिन्न मत होंगे ही. संगीत साधारण है...रिंगा रिंगा गाना अच्छा है पर उसका कोई ज़िक्र नहीं. पुरूस्कार विवादों से परे हों प्रायः होता नहीं है. भारतीयों के ओस्कर पाने पर अच्छा लगता है भले ही वे उनके बेहतर काम के लिए न हों ....

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    7. और हाँ, एक बात रह गई...मूल कहानी /उपन्यास एक भारतीय विकास स्वरुप की रचना है .. जिसे पहले ही कई अन्य भाषाओं मैं अनूदित भी किया जा चुका है...

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    8. सभी प्रतिक्रिया लेखकॉ का मै धन्यवाद करता हूँ. मै अपनी जगह गलत भी हो सकता हूँ. आस्कर मिलले से मुझे गर्व का अनुभव हुआ है. लेकिन जो मैने लिखा क्या वो एसा पक्ष नही है जो कहीं ज्यादा सत्य प्रतीत होता है?? यह खिल्ली है उस हिस्से की जो कभी समाज से अलग नही होगा, और यह वर्ग वहाँ भी पनपता है जिस देश के व्यकित ने इस फिल्म का निर्देशन किया है. क्या फर्क रह गया उन फिरंगी गोरॉ और इन महाशय मॅ . वो हमॅ हिन्दुस्तानी ब्लैक ड़ाग कहते थे..और ये हमे स्लम ड़ाग मिलियनायर कह गये... सम्मानीय अपमान का विशेषण !!!

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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