यमुनानगर। डीएवी गल्र्स कालेज और कथा यूके के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर कथा यूके और प्रवासी लेखकों पर एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन लंदन में लेबर पार्टी की काउंसलर जैकिया जुबैरी और कालेज प्राचार्या डा. सुषमा आर्य ने बुधवार को संयुक्त रुप से किया। इस प्रदर्शनी को मुंबई की मधु अरोड़ा ने क्यूरेट किया।
इस प्रदर्शनी में प्रवासी लेखकों का सचित्र परिचय, उनकी किताबों और कथा यूके की गतिविधियों को विस्तृत जानकारी दी गई। ज़किया जु़बैरी ने बताया कि प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य प्रवासी साहित्य को यहां से लोगों से परिचित करवाना है। ताकि जन-जन तक प्रवासी साहित्य पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि जब तक आलोचक साहित्य को पढक़र उसक आलोचना नहीं करेंगे, तब तक पता नहीं चल पाएगा कि उनके द्वारा लिखा गया साहित्य कितना प्रसांगिक है। उन्होंने कालेज प्रिंसिपल के सहयोग की सराहना की, जिनकी बदौलत यमुनानगर में उन्हें यह प्रदर्शनी लगाने का अवसर प्रदान हुआ। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में यमुनानगर में इस प्रकार की और भी प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी के माध्यम से प्रवासी कथाकारों की समस्याओं तथा जिन मुल्कों में वे रह रहे हैं, वहां पर क्या-क्या समस्याएं हैं, इसके बारे में बताया गया है।
साहित्यकारों ने अपने प्रवास के दौरान जो अनुभव किया है, उसे शब्दों में माध्यम से बयान किया गया है। उन्होंने लेखकों से आह्वान किया कि वे कल्पनाओं से बाहर आकर वास्तविकता से रू-ब-रू हों। ताकि लोगों तक सही जानकारी पहुंचाई जा सकें। प्रवासी साहित्यकारों का मुख्य उद्देश्य हिंदी को हमेशा जिंदा रखना है। क्योंकि हमारे आने वाली पीढिय़ां हिंदी से दूर होती जा रही है। जो कि हमारे लिए शर्म की बात है। इसका मुख्य कारण यह है कि हमारे बच्चे अंगे्रजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी सीखना बुरी बात नहीं है, लेकिन हमें हिंदी का भी उतना ही ज्ञान होना चाहिए, जितना अंगे्रजी का। कथा यूके के कथाकारों का मुख्य उद्देश्य बस इतना है कि हमारी पीढ़ी हिंदी को बोलना, पढऩा व लिखना सीख सकें।
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