आगरा ब्लॉगर मिलन : प्रयास - घर के भीतर देश बदलने का विश्वास
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
Labels:
आगरा ब्लॉगर मिलन,
डॉ. बीना शर्मा,
प्रयास
7 मई 2010 की रात में लिखचीत (चैट) पर माननीया बीना शर्मा जी ने जानना चाहा था कि मैं आगरा कब पहुंच रहा हूं। मैंने बतलाया कि सुबह 5 बजे चलने की योजना है। उन्होंने कहा कि आप यदि 10 बजे तक पहुंच सकें तो मैं चाहूंगी कि आप प्रयास में बच्चों से मिलें और संवाद स्थापित करें। परंतु 8 मई की सुबह जब 7.30 बजे मैंने फोन करके बतलाया कि चलने में देरी हो गई है और अब किसी भी तरह से दोपहर 12 या एक बजे से पहले पहुंचना संभव नहीं है। इस पर बीना जी ने कहा कि आप चाहें तो मैं बच्चों को रविवार को सुबह बुला लेती हूं। मैंने कहा कि बच्चों की एक दिन की छुट्टी को छु्ट्टी ही रहने दीजिए। अगली बार जब भी आगरा आना होगा तो मैं अवश्य ही आपके प्रयास को और गहरे उतर कर जानूंगा।
आप मिलने तो आयेंगे। मैंने कहा - आप निश्चित रहिये, जैसे ही मुझे समय मिलेगा। मैं मुलाकात के लिए निकल लूंगा। इसी कड़ी में मैं पहले 4 बजे के बाद डीएलए के डॉ. सुभाष राय जी से मिला और उनके साथ ही डॉ. एम एल परिहार जी से भी मुलाकात का सौभाग्य मिल गया। इसकी चर्चा आप ब्लॉगर से ब्लॉगर मिले : आगरा ब्लॉगर मिलन : चित्र और चर्चा में पढ़-देख चुके हैं।
10 मिनिट में पहुंचने की कहकर 30 मिनिट लगने का कारण मेरा रास्ते में भटकना रहा। डॉ. परिहार जी ने सही बतलाया था पर मैं ही समझ नहीं पाया और पहले चौक से मुड़ने के बजाय ट्रांसपोर्ट नगर तक चला गया। पूछने पर वापिस लौटा तो फ्लाई ओवर पर चढ़ गया और आगे साइड वे से लौटा, फिर डीएलए के नजदीक से निकला। मुझे अहसास हुआ कि वास्तव में पृथ्वी भी हिन्दी ब्लॉगिंग के माफिक गोल है। फिर सतर्कता से एक एक मोड़ पर पूछता हुआ न्यू सुभाषनगर के गेट से प्रवेश पा गया और इस सब में अतिरिक्त बीस मिनिट लग गए। खैर ...
बीना जी के घर के बाहर ही उनकी माताजी दिखलाई दीं| मैंने उन्हें नमस्ते किया और बीना जी के बारे में पूछा| तभी देखता हूँ कि साइड के कॉरीडोर में कुछ बच्चे अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे। उनसे पूछा तो उन्होंने घर का रास्ता दिखलाया और मैं घर के ड्राइंग रूम में पहुंच गया। बीना जी ने मेरा स्वागत खूब खुशमिजाजी से किया और अपने पतिदेव श्री शर्मा जी से भी मिलवाया। मेरे बारे में बीना जी, शर्मा जी से पहले से ही जिक्र कर चुकी थीं क्योंकि मेरा नाम बतलाने पर उन्होंने आगे बढ़कर मेरा हाथ थाम लिया और अपनी प्रसन्नता जाहिर की। वे अलीगढ़ विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर हैं और रोजाना बस से अप डाउन करते हैं। उनका पूरा सहयोग बीना जी को मिल रहा है तभी तो यह बगिया फल-फूल रही है| शर्मा जी एक सह्रदय कवि हैं|अब तक वे लगभग ५५ कविताओं की रचना कर चुके हैं पर कहीं प्रकाशित नहीं करवाई हैं| बीना जी का इन कविताओं को ब्लॉग पर डालने का विचार है और उन्होंने अपने इस कार्य को अंजाम देना शुरू कर दिया है| मुझे लगा यह पूरा परिवार ही इस नेक कार्य में लगा हुआ है| इनके बेटे वरुण चिकित्सक हैं और जब भी वे आगरा में होते हैं, इन बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, कभी संतुलित भोजन पर अपने विचार - इसी से ज्ञान का परिमार्जन भी होता रहता है।
घर के बाहर प्रयास का बोर्ड लगा हुआ था। यह वो एन.जी.ओ.है जो वे और उनके पति मिलकर चलाते हैं बल्कि कहना चाहिये कि दौड़ा रहे हैं और इस धारणा के उलट कि एन.जी.ओ. खूब कमाई का जरिया होते हैं। इस संबंध में बाद में उन्होंने एक किस्सा भी सुनाया। चलिए उन्हीं के शब्दों में सुनिए-"अविनाश भाई, अक्टूबर में प्रयास के सौजन्य से स्थानीय आर.के.विद्यालय में निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया गया था| शर्माजी आगंतुकों का स्वागत करने के लिए मुख्य द्वार पर थे | मैं चिकित्सकों के साथ प्रथम तल पर व्यस्त थी| शर्माजी से वहाँ बैठे एक सज्जन ने जानना चाहा, क्यों साहब, मैडम ने इस चिकित्सा शिविर में कितना कमा लिया ? शर्माजी भौंचक्के से रह गए और बोले कितना पैसा मतलब ? यह संस्था तो हम लोग अपने निजी प्रयासों से चला रहे हैं| अपनी तनख्वाह का दसवां भाग हम बच्चों की शिक्षा-दीक्षा पर व्यय करते हैं| ये सभी चिकित्सक प्रयास के लिए अपनी निशुल्क सेवायें दे रहे हैं| जब बाद में मुझे इस घटनाक्रम की जानकारी हुई तो मन बहुत दुखी हुआ कि क्या सेवा-भाव से चलाये गए एन.जी.ओ. भी भ्रष्टाचार के गढ़ बनते जा रहे हैं|" मैंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जो कार्य वे कर रही हैं, ऐसे कार्य प्रत्येक नहीं कर सकता। अगर ऐसा होता तो समाज कब का बदल गया होता।
प्रयास के माध्यम से वे कामगारों के उन बच्चों का चहुमुखी विकास करने के लिए व्यावहारिक ज्ञान बांट रही हैं जो पैसा खर्च करके पढ़ने में समर्थ नहीं हैं। ज्ञान भी वो जो सबके दैनिक जीवन में रोज काम आता है। इसे सिर्फ मोटी -मोटी प्रचलित शिक्षा पुस्तकें पढ़कर हासिल नहीं किया जा सकता। उनसे तो केवल डिग्रियां बटोरी जाती हैं। बच्चों को बोलने की कला भी सिखलाई जाती है। उन्हें लिखना भी सिखाया जाता है। वे कविताएं भी रचते हैं और भावों को बुनते हैं। बीना शर्मा जी की वेबसाइट प्रयास और ब्लॉग अपनी बात है | अपनी बात में प्रयास के नन्हें अंकुरों की रचनाएं स्थान पाती हैं|
बीना जी केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा में प्रोफ़ेसर ,शिक्षाशास्त्र के पद पर कार्यरत हैं।
बीना जी से मिलकर मुझे बार -बार अनीता कुमार जी की याद आ रही थी जिनसे पिछले वर्ष मुंबई में मुलाकात हुई थी। ब्लॉग जगत में शायद ही कोई होगा जो अनीता कुमार जी के ब्लॉग कुछ हम कहें से परिचित नहीं होगा।
मुझे तो हैरानी होती है कि जब समाज को बदल डालने के धुनी ऐसे-ऐसे जाबांज मौजूद हैं तो समाज क्यों नहीं बदल रहा है या बदल रहा है तो उसके बदलने की गति धीमी है। वैसे कहा भी गया है कि सहज पके सो मीठा होय सम्भवत: यह सहज पकने की प्रक्रिया ही दिखलाई दे रही है।
सुधीर कुमार जी की कोशिशों से बीना शर्मा हिन्दी ब्लॉग जगत में वर्ष 2009 से सक्रिय हैं। उन्होंने हिन्दी ब्लॉग बनाने में पूरी मदद की है। अपना पूरा समय हिन्दी ब्लॉगिंग और प्रयास को इसलिए दे पा रही हैं क्योंकि अभी वह मेडिकल पर चल रही हैं |दर असल उनका ट्रांसफर भुवनेश्वर हो चुका है,पर घुटनों की तकलीफ के कारण वह चल-फिर नहीं सकतीं, अत: अवकाश पर हैं| हम सभी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं|
एक दिन में चार मुलाकातें पुष्ट कर रही हैं कि हिन्दी ब्लॉगिंग और इंटरनेट इंसान को इंसान से जोड़ने का जरिया बन चुके हैं। बस आपके मन में मिलने का भाव होना चाहिए, इंसानों का अभाव यहां पर नहीं है। बस इस माध्यम की इस खूबी को अपनाने और अपना बनाने की जरूरत है।
बीना जी को देखकर फख्र होता है और विश्वास होता है कि जब समाज में और विशेषकर भारत में ऐसी प्रतिभाएं मौजूद हैं तो भारत को फिर से सिरमौर बनने से कोई नहीं रोक सकता। बच्चों की पढ़ाई की शुरूआत स्वर, व्यंजन, वर्ण से कर सबसे पहले आधार मजबूत किया जाता है। जो अध्यापक पढ़ाते हैं उन्हें पहले बीना जी स्वयं अपनी शिक्षा पद्धति से परिचित करवाती हैं और फिर उसका लाभ बच्चों को मिलता है। ऐसे शिक्षा प्रयासों की समाज में बेहद जरूरत है।
हर संस्था का कार्य करने का अपना तरीका होता है यहाँ अपनी सेवायें देने वालों के प्रति बहुत जागरूक रहने की आवश्यकता है क्योंकि बच्चों का पूरा भविष्य इसी शिक्षा पर आधारित होता है| अध्यापकों के द्वारा बोर्ड पर लिखे गए वाक्यों में कोई गलती ना हो,इस बात का बीना जी विशेष ध्यान रखती हैं। फिर भी कभी –कभी कुछ छूट ही जाता है|
सिलाई का किस्सा
एक मास्टर कपड़े की कटाई करके बच्चों को सिलाई करने के लिए देता था और जब बच्चों की परीक्षा ली गई तो एक दो बच्चों के अतिरिक्त बच्चे कपड़े की कटाई नहीं कर पाये जबकि काटे बिना कपड़ों का सिलाई का नंबर नहीं आता है तो इस प्रकार की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। जरा सा ध्यान चूका तो कहीं न कहीं लापरवाही हो जाती है। सीखने वाले से अधिक दायित्व सिखाने वाले का हो जाता है |हम सभी एक सी शिक्षा पद्धति के शिकार हैं, जहां आधार मजबूत करने पर तो द्रष्टि ही नहीं जाती |
पिछली रात को प्रयास की बेवसाइट देखी थी तभी मेरे मन में ख्याल आया था कि मेरे पास बच्चों की पत्रिका हंसती दुनिया की जो प्रतियां मौजूद हैं, उन्हें मैं उन बच्चों के लिए ले जाऊंगा और जब मैंने लगभग 18 प्रतियां बीना जी को दीं तो उन्होंने कहा कि, अविनाश जी, आप नहीं जानते कि आपने हमारे बच्चों को कितना बड़ा खजाना दे दिया है। बच्चे इसमें से कविताएं और कहानियां याद करेंगे। बच्चों में पढ़ने की आदत का विकास करने के लिए एक पुस्तकालय भी है। भारतीय संस्कृति को ध्यान में रख कर अच्छी पुस्तकों का चयन किया गया है|
बातचीत में काफी विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। जितना याद भर रह गया है उतना लिख दिया है। पर आपमें से भी कभी किसी का आगरा जाना हो तो प्रयास का अवलोकन करना मत भूलिएगा। इस प्रकार के कार्य मन को एक सुकून देते हैं। समाज के विकास का एक सर्वोत्तम मार्ग प्रशस्त करते हैं।
बीना जी का कहना है कि इनके एन.जी.ओ. प्रयास पर डाक्यूमेंट्री बनाने का विचार चल रहा है और मेरे मन में कि इन पर ही डाक्यूमेंट्री बननी चाहिए, का विचार पल रहा है। मेरी अपील है डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माताओं से कि वे बीना शर्मा जी से मिलें और इस कार्य को अंजाम दें।
बीच में चाय नाश्ता भी हुआ। पर कैमरे की गैर-हाजिरी के कारण इस अवसर के चित्र न संजो पाने का मुझे बेहद अफसोस है। आपको भी है न ?
Labels:
आगरा ब्लॉगर मिलन,
डॉ. बीना शर्मा,
प्रयास
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
एक छोटे प्रयास को समाज के सामने लाने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं की आकांक्षी
बढ़िया लगा जानकर!!
जवाब देंहटाएंएक अपील:
विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
बढ़िया प्रयास..एक सराहनीय मिशन ...बीना जी और उनके इस समाज सेवा के विषय में जान कर अच्छा लगा ऐसे बहुत कम लोग है..बीना जी को नमस्कार...
जवाब देंहटाएंबीना जी पुण्य का काम कर रही हैं
जवाब देंहटाएंइनके सार्थक प्रयास को हम नमन करते हैं।
अविनाश,
इनसे मिलवाने के लिए धन्यवाद
बीना शर्मा जी एवं शर्मा जी के जज्बे...हिम्मत और लगन को सलाम
जवाब देंहटाएंBeena ji se milkar achha laga..
जवाब देंहटाएंSaraahniya lekh !
बीनाजी का कार्य सराहनीय है और प्रेरणादायी भी | धन्यवाद |
जवाब देंहटाएं- पंकज त्रिवेदी
बीनाजी से कल मेरी बात हुई थी। उन्होंने बड़ी आत्मीयता से कहा कि आगरा में रहकर भी हम इतने दिनों तक मिल नहीं पाये। मुझे कई बार आश्चर्य होता है नियति का निश्चय देखकर। वे केंद्रीय हिंदी संस्थान में पढ़ाती हैं। 2005-7 के बीच बेरोजगारी के दिनों में मैं भी संस्थान के पत्रकारिता विभाग में अध्यापन करता रहा। डीएलए के प्रकाशन की शुरुआत तक लगभग छह महीने मैं नियमित संस्थान जाता रहा। वहां तमाम लोगों के साथ उठना-बैठना होता था पर बीनाजी से मिल नहीं सका या हम मिले पर उस तरह नहीं कि याद रहे। खैर इस सूत्र को अविनाश वाचस्पति जी ने जिस प्रगाढ़ता से जोड़ दिया, वह अब बना रहेगा। मैं प्रयास को आगे बढ़ते देखना चाहूंगा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रयास!
जवाब देंहटाएंय़ुभकामनाएं!
अविनाश जी,
जवाब देंहटाएंबीना जी से मिलवा कर आपने बहुत अच्छा किया, ये प्रयास सदा फलता फूलता रहे यही मेरी कामना है. ऐसी निःस्वार्थ समाज सेवा लोगों कि नजर में उनकी अपनी सोच के अनुसार ही दिखलाई देती हैं.
शायद ऐसे ही लोगों की बदौलत पृथ्वी टिकी हुयी है…………बीना जी की निष्ठा को शत शत नमन्………ये कोई छोटा प्रयास नही है……………ये तो हम सबके लिये प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त करता है………………ये ही प्रयास धीरे धीरे सच में देश को भी बदलने की क्षमता रखते हैं…………………नि:स्वार्थ सेवा भाव हर किसी मे आजकल नही पाया जाता…………॥बीना जी के इस प्रयास के लिये हमारी शुभकामनायें………………भगवान उनके इस कार्य मे सफ़लता और हिम्मत प्रदान करता रहे।
जवाब देंहटाएंवीणा जी के सद्प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाए कम है...बहुत ही सराहनीय और अनुकरणीय कार्य कर रही हैं...
जवाब देंहटाएंउनके कार्य से परिचित करवाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
गैर-सरकारी-संगठन के रूप में बीणा जी का प्रयास अनेक समाजसेवियों के लिए प्रेरणास्रोत होगा। इसे प्रचारित करने के लिए अविनाश जी का आभारी रहेगा हिन्दी समाज।
जवाब देंहटाएंवीणा जी, का भुवनेश्वर में स्वागत है। ईश्वर उनके स्वास्थ्य को शीघ्र दुरस्त करें ताकि वे उत्कल भूमि को भी कुछ दिन अपने अमूल्य स्नेह से सींच सकें।
बीना जी का प्रयास सराहनीय है। उनकी निस्वार्थ सेवा भावना समाज के अन्य लोगों के लिये प्रेरणास्रोत है। लेकिन, इसके साथ समाज की एक ओर तस्वीर और सोच सामने आयी कि लोग इस समाजसेवा को भी कमाने का धंधा मानते हैं, तभी तो वे शर्मा जी से 'कितना कमा लिया' जैसे सवाल पूछते हैं। इसे बदलने की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंवीणा जी नमस्कार, अविनाश जी ने आज बात-बात में मुझे यह पोस्ट पढने की अपील की. सो मुझे इस ब्लॉग पर आने का अवसर मिला. अवसर क्या मिला समझो मुझे यह पोस्ट पढनी थी. आपके प्रयास देख दिल गदगद हो गया. धन्य है आप. आपको नमन और आपके मिशन में अगर मै कोई साथ दे सकूँ तो ख़ुशी होगी. समय मिले तो कभी मेरी गुफ्तगू में भी शामिल हो मेरा हौसला बढ़ाये.
जवाब देंहटाएंwww.gooftgu.blogspot.com
अनेक छोटे प्रयास मिल कर बड़े बन जाते हैं।
जवाब देंहटाएंबीनाजी का कार्य सराहनीय है ||
जवाब देंहटाएंउनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा ||
धन्यवाद ||
सकल मनोरथ है जग मही, करमहीन नर पावत नाही
जवाब देंहटाएंबहुत भाग्यशाली और कर्मयोगी होते हैं ऐसे लोग जो अपना जीवन ऐसे पुनीत मनोरथ लगा देते हैं...
अगर इंसान के हौसले पक्के, इरादे नेक तथा प्रयोजन परमारथ का हों, तो ऐसा कुच्छ भी नहीं तो इंसान ना कर पाए और उसका अंजाम भी अच्छा ही होना निश्चिन्त है ! इस शाश्वत सत्य को बीना जी ने तथा उनके परिवार ने अपने इस सत्कर्म से जीवंत कर दिया है ! आदरणीय बीना जी ने अपने सत्प्रयासों से जिस प्रकार बच्चों के प्रति स्नेह, समर्पण और ममता दी है, वन्दनीय है, प्रशंशनीय है, पूजनीय है, अनुकरणीय है और प्रेरणीय है. आपके इन पवित्र प्रयासों से औरों को भी सत्मार्ग, जो सही मायनो में आत्म संतुष्टि देता है, की तरफ ले जाने की इच्छा शक्ति जागृत होगी, इन्ही शुभकामनाओं के साथ आपका हार्दिकअभिनन्दन और वंदन.
साथ ही साधुवाद श्री अविनाश सर का जिन्होंने बीना जी के इस सत्कर्म का परिचय करवा कर इस पुनीत कर्म में अपना हाथ भी बंटाया..
शेष शुभम....
बीना जी का प्रयास अत्यंत सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंज़ाहिर है , सारे एन जी ओ एक जैसे नहीं होते ।
बढ़िया आगरा संस्मरण।
बिना जी के सद्प्रयासों से अवगत हुआ ....इस महत्वपूर्ण पोस्ट को मैं अविनाश जी की अनुमति से ब्लॉग उत्सव में शामिल कर रहा हूँ ...विचारों का जितना विस्तार होगा उतना हिंदी ब्लोगिंग की समृद्धि होगी ......इस पोस्ट के लिए अविनाश जी का आभार !
जवाब देंहटाएंबीना जी के कार्य के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी. आपका धन्यवाद. व बीना जी व उनके सभी सहयोगियों को ढेंरों शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंसच कहूं अविनाश भाई , तो ब्लोग्गिंग का असली मकसद तो ऐसी ही पोस्टें होती हैं और ऐसे ही मुद्दे भी । आझ बीना जी के बारे में उनके प्रयासों के बारे में जानकर बहुत ही प्रभावित हुआ । लगता है मैं कुछ कर सकूंगा इस दिशा में कम से कम उनके प्रयास का परिचय आम जन तक पहुंचाने में तो अवश्य ही । सार्थक पोस्ट । बेहतरीन पोस्टों में संकंलित किया गया
जवाब देंहटाएंबीना जी का कार्य सराहनीय है...
जवाब देंहटाएंअविनाश जी बीना जी से मिलाने के लिए हम आप के कृतज्ञ हैं। उनके और उनके पति के प्रयासों के बारे में जानना बहुत अच्छा लगा। कुछ महीने पहले आगरा गयी थी, पता होता तो जरूर उनसे मिलती।
जवाब देंहटाएंउनके बारे में डाकुमेन्टरी बने आप ने ऐसी अपील की है डाकुमेंटरी बनाने वालों से, मेरे ख्याल से आप खुद ये काम बहुत अच्छे से कर सकते हैं।
आप की बात से एक सपना जन्म ले रहा है मेरे मन में कि काश कुछ ऐसा हो जाए कि हिन्दी ब्लोगजगत रामराज्य बन जाए यानि कि अपनी हर जरूरत , हर इच्छा को हम खुद पूरा कर सकें। हम में से ही कोई खड़ा हो के कहे कि मैं ये काम कर सकता हूँ। हिन्दी ब्लोगजगत में शिक्षक है, डॉक्टर हैं, कृषि से जुड़े लोग हैं, तकनीकी ज्ञान बांटने वाले हैं, मीडिया वाले हैं, क्या कोई डॉकुमेंटरी बनाने वाला नहीं जो निस्वार्थ ये सेवा दे सके?
अद्भुत हौसला...हिम्मत...और जज़्बा....सलाम है इस दम्पति को....
जवाब देंहटाएंमैं इससे पहले 6 डॉक्यूमेंट्री बना चुका हूं...और विधा में सिद्धहस्त हूं....भोपाल के वृद्धगृह आसरा पर भी फिल्म बना चुका हूं...पर फिलहाल कुछ आर्थिक तंगी से ग्रस्त हूं...अगर कोई साथी इस डॉक्यूमेंट्री के लिए आवश्यक फंड जुटाने में मदद करे...या उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित कराए...तो मैं स्वेच्छा से अवैतनिक तौर पर जितना भी वक्त लगेगा देकर...अच्छी से अच्छी डॉक्यूमेंट्री इस प्रयास पर बनाने-लिखने का प्रयास करूंगा....बाकी हम ब्लॉगर साथी मिलकर भी ये काम अंजाम दे सकते हैं....
एक बार साथ तो आएं....कोई लिखेगा...कोई शूट पर चलेगा...कोई संगीत तैयार कर देगा...कोई ग्राफिक्स तैयार करेगा...कोई एडिट करेगा तो कोई वॉइस ओवर करेगा....बहुत मज़ा आएगा...सच्ची कसम से....
देखा अविनाश जी हमने कहा था न कि हम में से ही कोई बीड़ा उठा सकेगा। मंयक जी धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंएक सराहनीय प्रयास!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाऎँ!!!
मेरे प्रिय मित्रों,
जवाब देंहटाएंमेरे कदमों को मजबूती देने के लिए मैं आप सबकी ह्रदय से आभारी हूँ
मेरा मन कुछ नए सपने बुन रहा है|आपका एक _शब्द मेरी प्रेरणा है|
आपके सुझावों का प्रयास में सदा स्वागत है|
प्रयास की जानकारी और बीना जी के सफल कदम के लिए बधाई .
जवाब देंहटाएंबीनाजी,
जवाब देंहटाएंआपके, अपने, हम सबके 'प्रयास' के यश को इस प्रकार विस्तीर्ण होते देखना कितना सुखद अनुभव है इसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाऊँगी ! 'प्रयास' के लिए कितनी शुभकामनायें, कितने सपने और कितनी योजनाये, मन में संजोये बैठी हूँ मिलने पर बताऊँगी ! अभी मेरी ढेर सारी बधाइयाँ और अभिनन्दन स्वीकार करें !
पहले तो माफी कि इतनी अच्छी पोस्ट समयाभाव के कारण पहले नहीं पढ़ पाया। फिर बधाई अविनाश जी को वह देश भर में घूम घूमकर ऐसे ब्लॉगरों को सामने ला रहे हैं। और अब बात बीना जी की।
जवाब देंहटाएंबीना जी की उनके इस प्रयास के लिए जितनी तारीफ की जाए कम है। उनकी मंशा अपनी इस संस्था पर डॉक्यूमेंट्री बनाने की है, तो मैं निर्देशन की अपनी सेवाएं नि:शुल्क देने को हाज़िर हूं।