एक टिप्‍पणी जिसे पोस्‍ट होना चाहिए : विचार करें दोबारा

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • प्रिय अविनाश जी
    देख रहा हूं आपका आमंत्रण सभी को लुभा रहा है लेकिन जैसा कि हर नई शुरूआत के पहले तरह तरह की आशंकाएं घेरती हैं वैसे ही इस ब्‍लॉगर्स की सभा के लिए भी लोगों ने आशंकाएं व्‍यक्‍त की हैं। लेकिन ब्‍लॉगर्स पढ़े लिखे सभ्‍य लोग हैं, इकट्ठा होंगे तो लड़ेंगे क्‍यों, साहित्‍य से जुड़े हुए लोग हैं, सृजनशीलता में विश्‍वास रखते हैं यदि ये साथ मिलकर बैठेंगे किसी बात के लिए सहमत होंगे तो नया ही कुछ बन पड़ेगा। व्‍यक्तिगत तौर पर सबसे ज्‍यादा यह महसूस होता है कि ज्‍यादातर ब्‍लॉगर्स अभी भी अपने इस हथियार को यानी कि अपने ब्‍लॉग पर आकर कुछ भी कह देने की क्षमता को इतनी गहराई से नहीं समझते। यह एक अमोघ अस्‍त्र है जो ब्‍लॉगस्‍पाट, वर्डप्रेस इत्‍यादि ने हमें दिया है। जिसका उन्‍नयन चिट्ठाजगत, ब्‍लॉगवाणी इत्‍यादि एग्रीग्रेटरों के बलबूते परवान चढ़ रहा है। सबसे पहले तो हमें इन सबका हार्दिक आभार प्रकट करना है उसके बाद आगे का कार्यक्रम स्‍टैप्‍स में तय कर लेना है।
    याद करें आज से 40 साल पहले छपने छपाने की बात तो कौन करे, किसी अच्‍छी कवि गोष्‍ठी में घुसकर सुनने के लिए रिरियाना पड़ता था। न तो किसी गोष्‍ठी का टेलीकास्‍ट होता था और न उसकी कोई लंबी चौड़ी समीक्षा आती थी। जो उस महफिल में घुस सका, केवल वही उस स्‍वाद को चख पाता था और आज हम सबकी महफिल चौबीसों घंटे, सातों दिन, बारह महीने सजी रहती है, चाहे तो सुनें चाहें तो सुनायें - जब चाहें अपनी बात कहें, जब चाहें तो दूसरों की बात सुनें, दूसरों के विचारों पर अपने विचार प्रकट करें और हर प्रकार से लाभान्वित हों। मेरी तरफ से चर्चा का पहला टॉपिक रखा जा सकता है

    ब्‍लॉगर्स का सामाजिक दायित्‍व
    या
    पंचों की राय सरमाथे पर अर्थात जो बहुमत की राय हो। दिन और वार दिन रविवार ही बेहतर रहेगा और समय होली के बाद का पहला या दूसरा रविवार। इन सब बातों हम ब्‍लॉगर्स ब्‍लॉग पर पहले तय कर सकते हैं।
    मिलने का समय दो सत्रों में होना चाहिए जो कम से कम कुल मिलाकर चार घंटे का हो, जिसमें पहले दो घंटे के बाद अल्‍पाहार के लिए ब्रेक रखा जा सकता है। मैं समझता हूं खाने पीने के लिए बहुत बड़ा आयोजन करने और ज्‍यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। क्षुधा और प्‍यास शांत करने तक का प्रोग्राम बनाना ही उचित होगा। सब लोग एक जैसा खाएं, एक जैसा पिएं, जो कि सादा हो और स्‍वास्‍थ्‍यकर। कोई किसी पर बोझ न बने, इसका इंतजाम आराम से आम सहमति से किया जा सकता है। उपरोक्‍त बातों को ध्‍यान में रखते हुए ब्‍लॉगर्स अपने साथ समान रुचि के लोगों को ला सकते हैं अर्थात जिनका खुद का ब्‍लॉग नहीं है तो क्‍या हुआ वे भी हमारे साथी ही हैं।
    मवार्क

    7 टिप्‍पणियां:

    1. ठीक कहा आपने, ब्लाग लेखन ने रचनाधर्मिता को बढ़ाया है। आने वाला समय एक से एक बढ़कर एक रचनाकारों का गवाह होगा।

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    2. एकदम से सच्ची बात. धन्यवाद

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    3. इस पोस्ट लिखने वाले महाशय का नाम नहीं है। पोस्ट अविनाश जी को सम्बोधित करते हुए लिखी गई है जिसे अविनाश जी ने पोस्ट क्या है। बहरहाल, जिन भी महाशय ने लिखी है, बिलकुल सही बात लिखी है। इस पर विचार होना चाहिए। होली बाद ही उचित रहेगा मिलना-मिलाना। इनके द्वारा सुझाया गया विषय भी अच्छा है।

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    4. सबसे पहली पोस्‍ट पर
      सबसे अंतिम टिप्‍पणी
      है इसकी पहचान जी।

      नहीं गया था ध्‍यान जी
      इसलिए इसे लगाया है
      पोस्‍ट बनाकर जिससे
      मिले इसे पहचान जी।

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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