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एक दूसरे तीसरे और चौथे से पहली बार मिले चार हिन्‍दी ब्‍लॉगर


पहली बार मिले होंगे, क्‍या ऐसा लग रहा है
दक्षिण भारत, मुम्बई, गुजरात से प्रकाशित होने वाले हिन्दी समाचारपत्रों के ऑनलाईन संस्करण की अनुपलब्धता के चलते उनकी जानकारियों से वंचित होने की बात करते हुए हम भोजन करने लगे। स्वादिष्ट भोजनोपरांत हमारी चर्चा आगे बढ़े इससे पहले ही अविनाश वाचस्पति जी की कॉल आ गई। उन्होंने केवल इतना ही पूछा कि कहाँ हैं? मैंने बताया राधारमण जी के घर पर, तो उनकी ओर से कहा गया कि वे भी हमारा साथ देने पहुँच रहे हैं।

अविनाश जी का इंतज़ार करते तक हमारी जो बातें हुईं उससे मुझे किंचित हैरानी हुई। राधारमण जी ब्लॉग जगत की हर उथल-पुथल से ना सिर्फ वाकिफ़ हैं बल्कि कई विवादास्पद व पुरानी बातें भी उनके संज्ञान में हैं। अविनाश जी की कॉल फिर आई, वह रास्ता भटक गए थे। हम दोनों परिसर के ग़ेट तक जा कर अविनाश जी को साथ ले आए। पूरा पढ़ने और प्रतिक्रिया के लिए क्लिक कीजिए
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पाबला जी का जन्‍मदिन : नुक्‍कड़ खुश हुआ (अविनाश वाचस्‍पति)


आज नुक्‍कड़ बाग बाग हो गया
मत समझिएगा बगीची हो गया

पाबला जी का जन्‍मदिन है आज
वैसे हम तो मनाते हैं दिल से रोज


जो मनाते हैं जी सबका जन्‍मदिन
रोज उनका भी समझें है जन्‍मदिन

पाबला जी के रूप हैं अनेक सभी नेक
कई कई रूपों में आते जाते भाते हैं

देख ब्‍लॉगर देख, देख ब्‍लॉगवाणी देख
देख चिट्ठाजगत देख, देख तू भी देख

जिसको न दिखे वो भी देखे पाबला जी
न सुने जिसको वो भी सुने पाबला जी
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