Posted on
  • by
  • नुक्‍कड़
  • in
  • Labels: , ,
  • ##Fever
    बुखार ने बोल दिया हमला कल रात
    बुखार ने मेरे कमजोर शरीर से की बात
    बुखार ने भी दिखलाई कल मेरे शरीर पर अपनी औकात

    मौका देख पत्‍नी और पुत्र भी हावी हो गए मुझ पर
    करते नहीं हो आराम इसलिए हुए हैं तुम्‍हारे यह हालात
    बुखार ने मौका देख कर मारी है तुम्‍हारे लात

    आराम कराे आराम करो
    फिर कुछ करना काम
    कुछ बरसों बात
    वैसे हम तुम्‍हारी उम्र बीत गई है
    पड़े रहा करो बिस्‍तर पर
    खाओ दवाई और करो रूलाई

    अब काम करने की कोशिश करोगे
    तो मर जाओगे
    लिखने के लिए कलम उठाओगे
    तो ढह जाओगे
    मन तुम्‍हारा तुम्‍हें लगता जवान है
    सोचते हो तुमसे बड़ा नहीं कोई पहलवान है

    शरीर में जान नहीं
    फिर भी गुर्राते हो
    हमें काटने के लिए आगे बढ़ आते हो
    ईश्‍वर देख रहा है तुम्‍हारी अठ‍खेलियां
    मस्तियां, रो रहो हो तुम भर भर कर
    हिचकियां
    सोच रहे हो झूले खा रहे हो
    पर तुूम तो मरने की डगर पर
    दौड़े जा रहे हो

    हम रोकते हैं तुम्‍हें
    पर तुम रुकते नहीं हो
    किसी के आगे तनिक झुकते नहीं हो

    भारत के तिरंगे झंडे नहीं हो
    हवा नहीं मिलेगी तो नहीं लहराओगे
    हवा चलेगी तो नया जीवन पाओगे
    हमें तो लगता है किसी दिन
    फड़फड़ाते हुए परिंदे की तरह उड़ जाओगे

    कैद तुम्‍हें यमराज करेगा
    भला वह तुमसे क्‍यों डरेगा
    बड़ी डींगे हांकते हो
    लिखने वाले का क्‍या हश्र होता है जमाने में
    क्‍या तुम नहीं जानते हो
    फिर खुद को कलम का पहलवान क्‍यों मानते हो।

     - अविनाश वाचस्‍पति, साहित्‍यकार सदन,195,पहली मंजिल, सन्‍त नगर, ईस्‍ट ऑफ कैलाश, नई दिल्‍ली 110065 मोबाइल 08750321868/09560981946

    0 comments:

    एक टिप्पणी भेजें

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz