अविनाश वाचस्‍पति तू क्‍यों स्‍वस्‍थ हुआ

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    मेरा ठीक होना रास नहीं आया स्‍वजनों को
    उनकी मनमानी जाती रही
    मनमर्जी चल न सकेगी अब
    बड़ा बेटा, पुत्रवधू, धर्मपत्‍नी को
    आश्‍चर्य की बात है
    कलयुग में ऐसा भी होता है
    वैसे यह अब हत्‍यारा युग है
    कभी भी कुछ भी हो सकता है।
    यह मेरा बड़ा बेटा कहता है
    तो सच ही कहता है
    उसके मन की कौन थाह लेता है
    पीता है, पिलाता है पर मेरे लिए
    मेरी इंडिपेंडेंट कार नहीं लेने देता है
     कहता है बाप तू अस्‍पताल के
    आईसीयूू मेु क्‍यों नहीं मर गया
    तुझे ठीक करके तो बड़ा फजीता है
    रुपये जो मिल रहे थे उन पर
    लग गया पलीता है

    अब मैं खाना छोड़ चुका हूं
    इंसुलिन सिर्फ लगाकर अब
    मुझे मरना है
    नया मैं कुछ नहीं कर सकता
    और न मुझे करना है।

    1 टिप्पणी:

    1. वैसे यह अब हत्‍यारा युग है
      कभी भी कुछ भी हो सकता है।
      सच कहा आपने संबंधों से बचे या बिमारियों से .

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