मैं तो जाने कबसे कह रहा हूं
पर आपको इंडिया टुडे पत्रिका में प्रकाशित
उभार के चित्र देखने से ही फुरसत नहीं है
उभार होते हैं शरीर पर भार
भार जो सामने वाले की आंखों पर लद जाता है
उसे बुखार चढ़ जाता है
कितनों का तो उतर जाता है
यह बुखार चढ़ाने
उतारने की देसी प्रक्रिया है
आजकल तेजी पर है
पहले रोजी पर थी
भार जो कभी कम नहीं होता
भार जिसे तोलने के लिए
जरूरत नहीं होती है तराजू की
भार जिसके सब होना चाहते हैं आभारी
आप भी कर लें तैयारी
अभी तो इंडिया टुडे ने दिखाया है
और ब्लॉग का पाठक गश खा गया है
जब ब्लॉगर दिखलाएंगे तो
क्या इंडिया टुडे वाले भी गश खाएंगे।
मनोविकृति को बनाओ उज्ज्वल कृति
इस तरह विचारों को मत बनाओ बेईमान
कहना लो मान
फिर लेना जान
मीडिया में सर्वोपरि रहेगा
हमारा आपका सबका ब्लॉगिस्तान।
कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
मीडिया में सर्वोपरि रहेगा
जवाब देंहटाएंहमारा आपका सबका ब्लॉगिस्तान।