हमारे
एक बड़े हैं, कुछ नकचढ़े हैं, पुराने में पूरा भरोसा रखे हुए हैं कि ओल्ड इज़
गोल्ड, नए पर नाक-भौंह सिकोड़ते हैं तो देखते ही बनता है. बच्चों के बर्थडे आए
नहीं कि नसीहत चालू…’हमारा ज़माना था कि लोग मंदिर जाते थे. शांत मन से
प्रार्थना करते थे. भगवान के आगे दिया जला कर रखते थे, पर आज इन्हें देखो,
मोमबत्तियां बुझाकर अंग्रेज़ी में हल्ला करते हैं...हैप्पी बर्थडे टू यू’.
जब
से शहरों में लोगों ने मोमबत्ती-जुलूस निकालने शुरू किए हैं, इनका पारा नीचे आने
से कुछ इस तरह इन्कार करता रहता है…’ये भी कोई बात हुई कि पश्चिम की देखा-देखी
चालू हो लिए मोमबत्तियां लेकर. अरे भई हमारे यहां तो बस साल-चौमासे मज़ारों पर ही
दिया-बत्ती करने की रवायत रही है. ये कौन सा नया मोमबत्ती-राग है कि जिसे देखो
मुंह पे पाउडर-लाली पोत कर मोमबत्ती लिए चल देता है.’
‘मुझे
तो पक्का लगता है कि इस सबके पीछे ज़रूर वो ही बुझी हुई फ़िल्म-अभिनेत्री रही होगी
जो उम्र के चलते फ़िल्मों से फ़ारिग़ होकर एक अरसे से मोमबत्तियां बनाने में
ताबड़-तोड़ जुटी हुई है…आखि़र फ़िल्मों वाले क्यों और कितनी मोमबत्तियां ख़रीदते
रह सकते हैं. जैसे फ़िल्म बनाकर उसे भुनाने के लिए हर कोई नए-नए पैंतरे नापने लगता
है ठीक वैसे ही, इस लुगाई ने जुलूसियों को शुरू-शुरू में कुछ मोमबत्तियां ज़रूर
मुफ़्त में बांटी होंगी, फिर शाम के झुरमुटे में बिना फ़्लैश के जब टी.वी. कैमरों
की फ़ुटेज बहुत अच्छी निकली तब तो जैसे लाटरी ही खुल गई… हर कोई जुलूसिया ख़ुद ही
मोमबत्तियां जुटाने लगा.’
‘लेकिन
मोमबत्ती लेके चलना कोई खाला जी का बाड़ा भी नहीं है. इसके भी अपने फ़ंडे हैं
मियां. मोमबत्ती का गर्म मोम पिघल कर जब अंगूठे और अंगुलि पर टपकता है तो नारों के
साथ-साथ उह-आह-ओह भी सुनाई देने लगती है. मोमबत्ती अपनी तरफ झुकाई जा नहीं सकती,
आगे झुकाओ तो आसमान पर थूके समान वह मोम अपने ही पैरों पर गिरने लगता है… और आगे
चलने वाला, नारों को धता बता कर कनखियों से घूरता है कि मोम कहीं मेरे कपड़ों पर न
गिरा दीजो भइय्ये, सो अलग.’
कुल
मिला कर लुब्वोलवाब ये है कि अब इनकी चिंता नोएडा के किसानों को लेकर है …. अगर
किसानों ने अपनी ज़मीनें खाली कराने के झांसे से, ज़्यादा नोट ऐंठने वाले जुलूसों
में अगर मोमबत्तियां भी बरतनी शुरू कर दीं तो देखा-देखी देश के सभी किसान पीछे हो
लेंगे इस चाल में… भगवान न करें कहीं मोमबत्तियों का टोटा पड़ जाए और देश, सारे
काम-धंधे छोड़ कर ‘पहले मोमबत्ती आयात करो’ के नारों से गूंजने लगे.
0000
-काजल कुमार
मोमबत्ती-जुलूस नया चलन है और हिट है इसलिए जब मोमबत्ती से ही काम चलता है तो काहे को तोप चलाई जाये !
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएं