मीडिया धंधा है या चौथा खंभा?: मीडिया धंधा है या चौथा खंभा? जस्टिस मजीठिया की अध्यक्षता में बने समाचार पत्र कर्मचारियों के वेतन बोर्ड की रिपोर्ट को लेकर यह विवाद एक बार फिर छिड़ गया है. समाचार पत्रों के मालिक कह रहे हैं कि समाचार पत्र धंधा है और जब सरकार किसी और धंधे में कर्मचारियों का वेतन तय नहीं करती तो समाचार पत्र के कर्मचारियों का वेतन सरकार क्यों तय कर रही है. यह विवाद एकतरफा है. इसलिए कि यह विवाद समाचार पत्र के पन्नों पर चलाया जा रहा है और वहाँ वही छप रहा है जो समाचार पत्रों के मालिक तय कर रहे हैं. इस विवाद में कर्मचारियों का पक्ष शायद ही कहीं आ रहा है. मीडिया कम-से-कम इस विवाद में निष्पक्ष होने का जोखिम नहीं उठा सकता क्योंकि यह समाचार पत्रों के मालिकों के लिए धंधे का मामला है और यहाँ उनके तटस्थ होने का सवाल ही नहीं उठता.
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मीडिया धंधा है या चौथा खंभा?
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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धंधा तो यह है ही साथ ही अपनी शब्द शक्ति से यह मतों का ध्रुवीकरण भी करता है. यहीं से इसकी भ्रष्टाचार की कहानी भी आरंभ होती है.
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