नहीं पड़ रहा अकाल
फिर भी बन रहा कंकाल
देश नहीं मैं
हड्डियों पर चढ़ी खाल
खाल पर खड़े बाल
आपको क्यों भयभीत कर रहे हैं ?
वही हड्डी वही खाल
खाल के बीच का माल
माल मॉल नहीं मांस
घट रहा है
आयु 45 वजन 78
आयु 47 वजन 53
आयु 52 वजन 56
दोनों की संधि रेखा
आयु 53 वजन 53
तीन माह में
और 3 किलो
घट जाऊं मैं
जैसे घट रही है उमर
घट रही है मेरी कमर
53 की संधि रेखा
14 दिसम्बर को आ पहुंची है
आएगी तो तेरह को
पर कहलाएगी 14 को
क्यों ?
यह आप मेरे से बेहतर जानते हैं
बिना अकाल के
मैं कंकाल हुआ जाता हूं
खूब खाकर भी वजन घटाता हूं
उम्र घट रही है
वजन घट रहा है
और
घट रही हैं चाहतें
सब कुछ पहले जैसा
अब नहीं रहा है
लिखना पढ़ना खूब रहा है
पर अब सोता ज्यादा हूं
पहले तो मन ही नहीं चाहता
मन चाहता है तो
तन कर देता है बगावत
विरोध मेरा कर रहे हैं
या विचारों का मेरे
जानता हूं मैं
विचार बदलने से
मांस नहीं बढ़ा करता
खूब खाओ तब भी
मांस नहीं चढ़ा करता
तेजी से चढ़ो अगर
सांस सबकी चढ़ जाती है
मैं तेजी से सोच तो सकता हूं
नए नए विचार
चला सकता हूं तेजी से
मैं अपनी कार
पर अपने तन की सरकार को
कैसे ड्राइव करूं
इसको चलाने के लिए
फर्जी लाइसेंस भी नहीं मिला करता
फर्जी डॉक्टर मिल जाते हैं
(असली डॉक्टरों से क्षमा याचना सहित)
ठग वे धन जाते हैं
तन को भी दूषित कर जाते हैं
ले जाते हैं धन, ले जाएं
तन न दूषित कर पाएं
धन के जाने/लुटने से
कभी विचार नहीं मरा करता
धन के बदले मांस मिल जाता है
जानवर का ही सही
पर सांस नहीं मिलता करता
माने कोई, न माने
किसी के रोकने से
कभी जाने वाला
नहीं रुका करता
ऐसा अगर हो जाता
सफर यूं ही चलता रहता
जाने से किसी के सफर कोई
नहीं कभी कोई रुका करता
किसी के मरने से
नहीं जाता कोई मर
यूं ही कोई फिर भी
बिला वजह डरा करता।
10 अगस्त 2011 को प्रात: 2.35 बजे लिखी गई कविता।
फिर भी बन रहा कंकाल
देश नहीं मैं
हड्डियों पर चढ़ी खाल
खाल पर खड़े बाल
आपको क्यों भयभीत कर रहे हैं ?
वही हड्डी वही खाल
खाल के बीच का माल
माल मॉल नहीं मांस
घट रहा है
आयु 45 वजन 78
आयु 47 वजन 53
आयु 52 वजन 56
दोनों की संधि रेखा
आयु 53 वजन 53
तीन माह में
और 3 किलो
घट जाऊं मैं
जैसे घट रही है उमर
घट रही है मेरी कमर
53 की संधि रेखा
14 दिसम्बर को आ पहुंची है
आएगी तो तेरह को
पर कहलाएगी 14 को
क्यों ?
यह आप मेरे से बेहतर जानते हैं
बिना अकाल के
मैं कंकाल हुआ जाता हूं
खूब खाकर भी वजन घटाता हूं
उम्र घट रही है
वजन घट रहा है
और
घट रही हैं चाहतें
सब कुछ पहले जैसा
अब नहीं रहा है
लिखना पढ़ना खूब रहा है
पर अब सोता ज्यादा हूं
पहले तो मन ही नहीं चाहता
मन चाहता है तो
तन कर देता है बगावत
विरोध मेरा कर रहे हैं
या विचारों का मेरे
जानता हूं मैं
विचार बदलने से
मांस नहीं बढ़ा करता
खूब खाओ तब भी
मांस नहीं चढ़ा करता
तेजी से चढ़ो अगर
सांस सबकी चढ़ जाती है
मैं तेजी से सोच तो सकता हूं
नए नए विचार
चला सकता हूं तेजी से
मैं अपनी कार
पर अपने तन की सरकार को
कैसे ड्राइव करूं
इसको चलाने के लिए
फर्जी लाइसेंस भी नहीं मिला करता
फर्जी डॉक्टर मिल जाते हैं
(असली डॉक्टरों से क्षमा याचना सहित)
ठग वे धन जाते हैं
तन को भी दूषित कर जाते हैं
ले जाते हैं धन, ले जाएं
तन न दूषित कर पाएं
धन के जाने/लुटने से
कभी विचार नहीं मरा करता
धन के बदले मांस मिल जाता है
जानवर का ही सही
पर सांस नहीं मिलता करता
माने कोई, न माने
किसी के रोकने से
कभी जाने वाला
नहीं रुका करता
ऐसा अगर हो जाता
सफर यूं ही चलता रहता
जाने से किसी के सफर कोई
नहीं कभी कोई रुका करता
किसी के मरने से
नहीं जाता कोई मर
यूं ही कोई फिर भी
बिला वजह डरा करता।
10 अगस्त 2011 को प्रात: 2.35 बजे लिखी गई कविता।
कौन सी चक्की का आटा खाते हो, मुझे भी बता दो,
जवाब देंहटाएंसच्चाई अच्छी लगी।
केन्द्रीय भंडार से मिलने वाला भागीदारी 139 रुपये का दस किलो, पर आप संदर्भ तो बतलाइये, क्यों जानना चाह रह हैं ?
जवाब देंहटाएंsacaayi ka sunder chitran.............
जवाब देंहटाएंअविनाश जी,
जवाब देंहटाएंजो लोग शारीरिक मेहनत नहीं कर पाते होंगे, शायद उनको वजन घटाने में मदद करे।
अब मैं अपने जानने वालों को इसे ही खाने के लिये सलाह दूँगा।
वजन घटने का भेद तो यह है भाई
जवाब देंहटाएंपहले यह बात क्यों नहीं थी बताई
वजन घटाया नहीं जाता, घट जाता है
अच्छी कविता , बधाई !
जवाब देंहटाएंजल्द स्वस्थ हों|शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंway4host
आप स्वस्थ रहें, ईश्वर से मेरी यही मनोकामना है।
जवाब देंहटाएंखाने से वजन घटता है,कुछ परिस्थियाँ ऐसी भी बनती हैं।
aapke sheeghra swasthya laabh subh kaamnaye...:)
जवाब देंहटाएंआपके स्वास्थ्य की कामना हम सब करते हैं...
जवाब देंहटाएंआप शीघ्र स्वस्थ हों, यही कामना है !
जवाब देंहटाएंaata to ham bhi vahi khaate hain,par aap abhi kahaan jaate hain ?
जवाब देंहटाएंkhoob jiyenge,khaali ek kaam karo,
netaon ka khoon choosna ab band karo !
संतोष भाई अगर चूसने के अतिरिक्त अन्य कोई उपाय, जैसे नलकी लगाकर निकालना चालू करेंगे, फिर नेता जिएंगे कैसे, जिएंगे वे नहीं तो उनका खून चूसेंगे, मतलब आपकी तर्ज पर किसी को भी पिलाएंगे कैसे। अपन का खून तो अब न चूसने और न पीने के काबिल रहा है क्योंकि उसमें हेपिटाइटिस सी मौजूद मिला है।
जवाब देंहटाएंअपना ध्यान रखें और शीघ्र स्वस्थ हों। ब्लॉगजगत को आपके प्रयासों की दरकार है।
जवाब देंहटाएंexcellent realistic poem
जवाब देंहटाएंईश्वर से प्रार्थना है आप जल्द स्वस्थ हों।
जवाब देंहटाएंप्रिय अविनाश वाचस्पति जी आप सब को ढेर सारी शुभकामनाएं इस पावन पर्व रक्षाबंधन पर -
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना ...
भ्रमर५
मुझे विश्वास है कि आप प्रभुकृपा से शीघ्र स्वस्थ हो जाएंगे. मेरी शुभकामनाएं. मेरा विचार है कि प्राणायाम व आर्युवेद बहुत प्रभावी हैं इस प्रकार की व्याधियों में.
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