अन्‍ना हमारे हम अन्‍ना के : भ्रष्‍टाचार अन्‍न खा गया रे (कविता)


इतना भी अहिंसक नहीं है
यह आंदोलन
जितना हम आप और वे
समझ रहे हैं
इसमें भ्रष्‍टाचार का मारा जाना
पक्‍का तय है
वे कह रहे हैं
फिर कैसे और क्‍यों
और कौन
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