क्या मालूम किसकी मर्जी कितनी है
कौन चाहता है जुड़े रहना और लिखना
कोई चाहता है जमे रहें बिना लिखें
सूरतें दोनों ही अच्छी हैं
पर न चाहते हैं लिखना
न चाहते हैं बने रहना
वे बेबाकी से कह जाएं
जो नुक्कड़ समूह से लेखन की सदस्यता छोड़ना चाहते हैं, स्वयं बतला दें
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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नुक्कड़ के लेखकों से विनम्र अनुरोध
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ओये होये क्या हो गया?
जवाब देंहटाएंआजकल पारा गरम हो रहा है
मौसम तो नरम हो रहा है
क्या बारिश का ना असर हो रहा है
100 पर फ़िर मामला अटक गया लगता है, गुगल से बोल कर लेखक संख्या बढवाईए :)
जवाब देंहटाएंललित भाई गूगल कोई गल नहीं करता है।
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