साख ही नहीं रही तो अखबार निकालकर क्या करेंगे?: "10 जुलाई को पिछले 168 साल से रुपर्ट मार्डोक के न्यूज कार्पोरेशन से छपनेवाले ब्रिटिश अखबार न्यूज ऑफ दि वर्ल्ड ने बिना किसी विज्ञापन के 38 पन्ने का संस्करण निकाला और पहले पन्ने पर बड़े अक्षरों में लिखा- थैंक यू एंड गुड बाय। यह अखबार का आखिरी संस्करण था और यह बताने के लिए कि अब ये क्यों नहीं छपेगा, पूरे एक पन्ने के संपादकीय में अखबार ने अपने गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए लिखा कि जब इसकी साख ही नहीं रही तो प्रकाशित करके क्या करेंगे? अखबार के संपादक कॉलिन मेयर ने इसे साढ़े सत्तर लाख पाठकों की श्रद्धांजलि करार दिया। अखबार बंद करने के फैसले के वक्त मीडिया मुगल और न्यूज ऑफ दि वर्ल्ड के मालिक रुपर्ट मार्डोक ने भी ठीक इसी तरह की बात की थी और तब अपने यहां भी मार्डोक के इस बयान को पेशे और पत्रकारिता की ईमानदारी के तौर पर देखा गया। आगे चलकर जैसे-जैसे इस खबर की पेंच खुलती गयी, मार्डोक ने पहले से कहीं ज्यादा अपनी उदार छवि दुनिया के सामने पेश करने की कोशिश की। 16 जुलाई को ब्रिटेन के तमाम अखबारों में वी ऑर सॉरी शीर्षक से पूरे पन्ने का विज्ञापन छापा गया जिसमें कि नीचे मार्डोक के हस्ताक्षर थे। मार्डोक के ही एक दूसरे अखबार सैटरडे ने इसे प्रायश्चित का दिन बताया। अखबार बंद होने से लेकर अब तक मार्डोक और उनके बेटे जेम्स मार्डोक ने ब्रिटिश संसद के अलावे सार्वजनिक रुप से बार-बार दोहराया कि जो कुछ भी हुआ,उसकी भरपाई सिर्फ सॉरी कह देने से नहीं हो जाती और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें अभी भी लगता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया, समाज के लिए एक सकारात्मक शक्ति के तौर पर काम करता है और हम यह विश्वास हासिल करने के लिए आगे भी काम करते रहेंगे,हम लोगों के बीच ये भरोसा फिर से कायम कर सकेंगे।
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साख ही नहीं रही तो अखबार निकालकर क्या करेंगे?
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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...जोकरों ने ज़िम्मेदार लोगों के पिछवाड़े लतियाने और उन्हें सूली चढ़ाने के बजाय अख़बार ही बंद कर दिया
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