दैनिक लोकसत्य में प्रकाशित खबर खफा हैं गजोधर भैया |
गजोधर भैया
क्यों सबको खुश रखते हैं
क्योंकि दुखी होने के रास्ते
उस खुशी से ही
निकलते हैं
उन्होंने बहुत बरस पहले
किया था खुश
खुश होकर लोग हंसे
आज भी हंस रहे हैं
वे चाहे दुखी हो रहे हो
वे हंसते ही रहेंगे
हंसाने वाले की
यही तो नियति है
हंसने में इसी से
आती प्रगति है
गुंडों का सत्संग कराया
गजोधर भैया ने
गुंडों ने तो नहीं
बेगुंडों ने उन्हें
दुख से भूनकर
खफा कर दिया
उनका जिक्र भी नहीं किया
और
दफा कर दिया
अब धारा नई बनानी होगी
144 की तरह
फिल्म वालों पर लगानी होगी
गजोधर भैया की
यही तो नई कहानी होगी
सब हंसेंगे
हंस रहे होंगे
हंसते रहेंगे
गजोधर भैया
खुशी के फूल
सदा महकते रहेंगे।
जी हां, यह पहली बार नहीं है जब सिनेमाजगत कटघरे में खड़ा हुआ है। इससे पहले भी कई वाकये हो चुके हैं। गुलजार द्वारा सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के गीत का एडेप्टेशन हो, फिल्म 'स्लमडाग मिलियनेयर' में गोपाल सिंह नेपाली के गीत को सूरदास का गीत बताया जाना हो, चेतन भगत की कहानी को '3 ईडियट्स' में इस्तेमाल किया जाना हो या फिर अन्य वाकये, ये सभी दिखाते हैं कि सिनेमा जगत किसी अच्छी कृति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना तो जानता है, लेकिन सही व्यक्ति को उसका क्रेडिट नहीं देना जानता।
जवाब देंहटाएंफिल्म वाले जो न कर गुजरें...खैर, ये सब एक ही गठरी के हैं, सेटल हो जायेगा मसला. :)
जवाब देंहटाएंसाहित्यिक चोरों की एक पूरी ज़मात है देश दुनिया में .तमाम कला बेशक अनुसरण और नक़ल होतीं हैं लेकिन वे कमसे कम दिखें तो असली .और फिर कहावत है -गिव दा डेविल हिज़ ड्यू .मानी जो जिस सम्मान का अधिकारी वह उसे दिया जाना चाहिए .गजोधर भैया को इन चीज़ों से ऊपर उठना चाहिए .उनका सामान चोरी होने लगा .चोरों को पसंद आया ये तो भैया ख़ुशी की ही बात हुई न .
जवाब देंहटाएंgajodhar bhaiya kanpur ki saan hai chhotawriters.blogspot.com
जवाब देंहटाएंसाहित्यिक चोरों की एक पूरी ज़मात है देश दुनिया में,सही कहा , चाहे संगीत हो गीत हो धुन हो कहानी हो चोर चोरी से बाज़ नहीं आते बताते भी नहीं ,राजू की मौलिक सोच ही राजू की पहचान है
जवाब देंहटाएंगजोधर भैया ....बहुत ही स्वाभाविक करेक्टर है ...अदाभित है ..जो आम आदमी की जिन्दगी को बखूबी दर्शाता है ..बढ़िया पात्र चुना आपने
जवाब देंहटाएं