कुकुरमुत्ते की तरह फैलते मीडिया संस्थान: "सच है कि शुरूआती दौर में संचार को अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने वालों के पास कोई माध्यम, मीडिया को लेकर शैक्षिक व तकनीकी योग्यता नहीं रहा था। फिर भी शुरूआती दौर में जो काम हुआ एक मकसद के साथ। जन संचार के माध्यम मीडिया को जन हथियार बनाया गया और इसके माध्यम से जनता को शिक्षित करने, खबर, सूचना पहुचाने के साथ-साथ मनोरंजन करने का काम किया। इसने अपने को इतना मजबूत बना लिया और इसे लोकतंत्र का चैथा खंभा कहा जाने लगा। संचार का माध्यम यानी मीडिया। आमतौर पर पे्रस और पत्रकारिता को आज के आधुनिक स्वरूप में समग्र रूप से मीडिया के नाम से ही जाना जाता है। प्रेस यानी मीडिया, पत्रकारिता यानी मीडिया। यह पत्रकारिता के लिए सबसे प्रचलित नाम है। जो जन संचार से संबंध रखता है।
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कुकुरमुत्ते की तरह फैलते मीडिया संस्थान
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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