मैं हिन्दी का एक गरीब लेखक हूँ, रोटी के लिए पत्रकारिता करता हूँ| भारतीय ज्ञानपीठ से एक कविता संकलन प्रकाशित है| वे मेरे सहयोगी भी हैं और जनसंदेश टाइम्स के फीचर संपादक के रूप में काम कर रहे हैं| मेरे सपनों के पंख की तरह| पर मैंने उन्हें बेड़ियाँ डाल रखी हैं| काम, हर दम काम| योजना, संपर्क और उस पर अमल| बीवी, बच्चों तक के लिए समय ... कविताएं और बचा हुआ वक्तव्य पढ़ने के लिए यहां पर चटकाइये
कवि को पहचानते हैं आप : कविता को भी पहचान लीजिए : साखी पर ध्यान दीजिए
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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कविए हरे प्रकाश उपाध्याय,
कविता,
साखी