आपको अंदाजा तो होगा। चर्चा में भी है मामला। पर इतना महंगा हो जाएगा। इसका इल्म नहीं होगा। पर यह सच है कि घरेलू गैस सिलैंडर अब एक हजार रुपये का रिफिल किया जाया करेगा। जितना यह सच है, उतना सच यह भी है कि जो वस्तु बीते दिनों में सस्ती लग रही थी, वो उन दिनों में बहुत महंगी मानी गई थी और बहुत शोर मचाया गया था।
यह हाल प्रत्येक वस्तु का है। चाहे वो पेट्रोल हो, चीनी हो, चाय की पत्ती हो, एक कप चाय की कीमत हो, पैन हो, कलम हो, स्याही हो, बिजली की यूनिट हो, पानी की लिमिट हो, वैसे ऐसा भी नहीं है कि सब वस्तुएं महंगी ही लगती हैं। अब सस्ती वस्तुओं की सूची भी देख लीजिए। सैलरी सदा कम लगती है। सुख सदा कम लगता है। बस ये दो वस्तुएं ही गिना रहा हूं। बाकी आप टिप्पणियों में गिनवा दीजिए। सस्ती और महंगी दोनों।
भूल गए अब आप कि बात एलपीजी के घरेलू गैस सिलैंडर से शुरू हुई थी, जिसका मूल्य एक हजार रुपये हो रहा है। यह सपना नहीं, हकीकत है। पर ऐसे स्वप्नों को भी दु:स्वप्न ही कहा जाता है। वैसे महंगाई खुब खुश है। उसका विकास, देश का विकास भी है।
विकास सभी चाहते हैं। इधर टिप्पणियां कम हैं तो यह भी दुख का कारण है। पर इसके मूल में फेसबुक है। यह लिंक फेसबुक पर जितनी पसंद पा रहा है, टिप्पणियां पा रहा है। उतना यह पोस्ट नहीं। इससे फेसबुक तो खुश है परंतु ब्लॉग खुश नहीं है।
पर आपने अभी तक चित्र के बारे में नहीं बतलाया। इन दोनों चित्रों के मध्य 5 किलो का जो पैकेट रखा हुआ है। उसका मूल्य 50 वर्ष पहले क्या था, इसे आप बतलाइये, पूछ सकते हैं। मदद ले सकते हैं।
इसी तरह चित्र के दोनों ओर जो बैठे हुए हैं। उनके लिए भी मदद ले लेंगे। तो मुझे क्या पता चलेगा। इसलिए इसमें भी छूट है। पर चर्चा किस बात की हो रही है, इसमें कोई छूट नहीं है। चित्र किसने खींचा है, इसमें भी छूट नहीं है। पैकेट में क्या है, यूरिया है या ..... इसमें भी छूट नहीं है।
अब इसे इम्तहान भी मत मानिए।
पर बतला अवश्य दीजिए। परिणाम शीघ्र ही एक पुस्तक में आपके चित्र सहित प्रकाशित किए जाएंगे।
यह हाल प्रत्येक वस्तु का है। चाहे वो पेट्रोल हो, चीनी हो, चाय की पत्ती हो, एक कप चाय की कीमत हो, पैन हो, कलम हो, स्याही हो, बिजली की यूनिट हो, पानी की लिमिट हो, वैसे ऐसा भी नहीं है कि सब वस्तुएं महंगी ही लगती हैं। अब सस्ती वस्तुओं की सूची भी देख लीजिए। सैलरी सदा कम लगती है। सुख सदा कम लगता है। बस ये दो वस्तुएं ही गिना रहा हूं। बाकी आप टिप्पणियों में गिनवा दीजिए। सस्ती और महंगी दोनों।
भूल गए अब आप कि बात एलपीजी के घरेलू गैस सिलैंडर से शुरू हुई थी, जिसका मूल्य एक हजार रुपये हो रहा है। यह सपना नहीं, हकीकत है। पर ऐसे स्वप्नों को भी दु:स्वप्न ही कहा जाता है। वैसे महंगाई खुब खुश है। उसका विकास, देश का विकास भी है।
विकास सभी चाहते हैं। इधर टिप्पणियां कम हैं तो यह भी दुख का कारण है। पर इसके मूल में फेसबुक है। यह लिंक फेसबुक पर जितनी पसंद पा रहा है, टिप्पणियां पा रहा है। उतना यह पोस्ट नहीं। इससे फेसबुक तो खुश है परंतु ब्लॉग खुश नहीं है।
पर आपने अभी तक चित्र के बारे में नहीं बतलाया। इन दोनों चित्रों के मध्य 5 किलो का जो पैकेट रखा हुआ है। उसका मूल्य 50 वर्ष पहले क्या था, इसे आप बतलाइये, पूछ सकते हैं। मदद ले सकते हैं।
इसी तरह चित्र के दोनों ओर जो बैठे हुए हैं। उनके लिए भी मदद ले लेंगे। तो मुझे क्या पता चलेगा। इसलिए इसमें भी छूट है। पर चर्चा किस बात की हो रही है, इसमें कोई छूट नहीं है। चित्र किसने खींचा है, इसमें भी छूट नहीं है। पैकेट में क्या है, यूरिया है या ..... इसमें भी छूट नहीं है।
अब इसे इम्तहान भी मत मानिए।
पर बतला अवश्य दीजिए। परिणाम शीघ्र ही एक पुस्तक में आपके चित्र सहित प्रकाशित किए जाएंगे।
आपकी पोस्ट यहाँ भी है………http://tetalaa.blogspot.com
जवाब देंहटाएंduniya fir bhi chalti rahegi!
जवाब देंहटाएंहमे क्या जी...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने। वैसे कुछ लोगों का कथन है कि फेसबुक ब्लॉग को खा रहा है।
जवाब देंहटाएं---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
दोनों में अविनाशजी एक तो आप हैं बस यही 50% उत्तर हमारा समझिये ।
जवाब देंहटाएंआपका एक पूर्व प्रश्न - बोलकर रास्ता बताने वाला मोबाईल उम्मीद है अब तक आपको मिल गया होगा । वैसे मैंने परसों आपको फोन लगाया था जो आप किसी कारण उठा नहीं पाये बाद में मैं इधर-उधर व्यस्त हो गया ।
जरूर मेरा वाहन मुझे हिला रहा होगा या स्वप्न मुझे सुला रहा होगा सुशील भाई
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