टिक ! टॉक !……टिक ! टॉक !……टिक ! टॉक !……
उलटी गिनती शुरू हो चुकी है…..
हिंदी ब्लागिंग और साहित्य के सफर में एक बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पड़ाव आने में अब चंद घंटे शेष हैं…. जहाँ दिल्ली ने दूर दूर से आने वाले मेहमानों के लिए पलक पाँवड़े बिछा रखे हैं वहीँ आने मेहमानों के दिल भी उछाह और उल्लास से लबरेज़ हो रहे हैं…. कुछ सवारियाँ चल चुकी हैं कुछ प्रयाण के लिए तैयार हैं….
इधर रवीन्द्र प्रभात जी की परिकल्पना, गिरिराज शरण अग्रवाल जी के संकल्प, अविनाश वाचस्पति जी की प्रतिबद्धता और नुक्कड़ समूह की अथक परिश्रम ने से दिल्ली के हिंदी भवन हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार और ब्लागर्स के मिलन के लिए शिद्दत से तैयार और बेकरार है….
इसे कुछ दिन पहले हिंदी साहित्य और ब्लागिंग को लेकर हुए मंथन के धनात्मक प्रभाव का नमूना मानिए जब अंतरजाल, ब्लागिंग और हिंदी साहित्य एक ही मंच पर एक साथ सह अस्तित्व की परिकल्पना के साथ उपस्थिति दर्ज करा रहे होंगे. यह समारोह अपने आप में अनूठा समारोह होगा जहाँ अकादमिक साहित्य और अंतर्जालीय अभिव्यक्ति के परस्पर हिंदी हित में एकजुट होने की नयी संभावनाएँ तलाशेगा…
इस समारोह में दूर दूर से सशरीर उपस्थित हो रहे तमाम ब्लागर और साहित्यकारों के अतिरिक्त जबलपुर से पधार रहे स्वनामधन्य पॉडकास्टर श्री गिरीश जी बिल्लोरे द्वारा अंतरजाल पर समारोह के जीवंत प्रसारण के माध्यम से देश विदेश से सैकड़ों ब्लागर समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने वाले हैं…
नई दिल्ली आई टी ओ के पास 11 दीन दयाल मार्ग पर हिंदी भवन के सभागार में दिनांक 30 अप्रैल को हिंदी साहित्यकारों एवं हिंदी ब्लागर्स का एक मंच पर उपस्थित होना निश्चित रूप से हिंदी के हित में एक ऐतिहासिक पड़ाव होगा…
दिल्ली और आसपास रहने वाले ब्लागर्स के लिए तमाम ऐसे मित्रों से मिलने का स्वर्णिम अवसर होगा जिनकी आभासी छवि अपने दिलों में संजोये उन्हें पढते सुनते रहे हैं…
हम दिल्ली और एन सी आर वाले सभी ब्लॉगर और साहित्यकारों की तरफ से बाहर से आने वाले सभी ब्लागर्स का हार्दिक स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि यह समारोह अपने आप में एक अनुपम और अविस्मरणीय छवि हमारे आपके दिलों में छोड़ जाएगा…
हम स्वागत करते हैं सभी आगंतुकों का…
दिल्ली के बाहर से आने वाले मेहमानों को अवगत कराना चाहूँगा कि हिंदी भवन नयी दिल्ली स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर आई टी ओ के समीप स्थित है… यह तिलक ब्रिज रेलवे स्टेशन से पैदल दूरी पर है… फिर भी किसी प्रकार की समस्या अथवा द्विविधा की स्थिति में निम्न फोन नंबरों पर संपर्क करें…
अविनाश वाचस्पति- 9868166586
पद्म सिंह -9716973262
रवीन्द्र प्रभात –09415272608
हिंदी ब्लॉगिंग पर दो पुस्तकें विशेष रूप से इस समारोह की शोभा होंगी जिनका विमोचन इस समारोह की विशेष उपलब्धि होगी… यह अपने आप में शायद पहली किताब होगी जिसकी लगभग 150 से अधिक प्रतियाँ प्रकाशित होने से पूर्व बिक चुकी हैं….
मुदित हुआ मन आँगन मधुमित पवन हुई है
सुनने को पदचाप हृदय गति थमी हुई है
स्वागत करते हैं हम सब दिल खोल आपका
राहों राहों अपलक आँखें जमी हुई हैं
आते हैं वो जिनसे ख्वाबों में मिलते थे
जिनसे पुष्प ह्रदय में नित नूतन खिलते थे
जिनके आभासी स्वरुप दिल में बसते थे
जिनसे दिल की कहते थे रोते हँसते थे….
पावन बेला मित्र मिलन की आ पहुंची है
आशाओं को पंख मिले, छाती हुलसी है
स्वागत है स्वीकारो अब आतिथ्य हमारा
भूलो हँस कर जो कुछ कमी बची रहती है
…… आपका पद्म सिंह 9716973262
हम टिक टॉक, टिक टॉक करते नहीं दुगड़ दुग, दुगड़ दुग, दुगड़ दुग करते घोड़े पर आएंगे...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
बिल्कुल सच कहा है आपने ... बहुत ही स्वर्णिम पल है यह सभी ब्लागर्स के लिये ... आयोजन की सफलता के लिये शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंJAM BHI PAHUNCH RAHE HAIN JI...
जवाब देंहटाएं............
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