अभी अभी विश्वस्त सूत्रों से खबर मिली है कि हिन्दी ब्लॉग जगत के एक मशहूर ब्लॉग ने खुदकुशी कर ली है। ब्लॉग की पोस्ट में कहा गया है कि यह खुदकुशी वो खुदखुशी से कर रहा है। इस हादसे के लिए उसका ब्लॉगर जिम्मेदार नहीं है।
गूगल पुलिस ने इस संबंध में जो वक्तव्य दिया है, वो वास्तव में हैरान करने वाला है। वक्तव्य में कहा गया है कि ब्लॉग चाहे तो भी स्वयं खुदकुशी नहीं कर सकता है। इसमें जरूर उस ब्लॉगर का षडयंत्र शामिल है, जिसने उस ब्लॉग का निर्माण किया था।
यह भी बतलाया गया है कि टिप्पणियों की कम संख्या के मद्देनजर ब्लॉग ने यह आत्मघाती कदम उठाया है।
इससे उन ब्लॉगों के ब्लॉगर डरे हुए हैं, जिनके ब्लॉगों पर कम टिप्पणियां या बिल्कुल टिप्पणियां नहीं आती हैं।
कुछ ब्लॉगरों ने तो इस दुर्घटना के लिए ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि अगर दोनों एग्रीगेटर बंद न होते तो ब्लॉग को खुदकुशी के लिए ऐसा गैर-जिम्मेदाराना कदम नहीं उठाना पड़ता।
कुल मिलाकर स्थिति भी सोचनीय है कि क्यों गूगल उस ब्लॉग को जीवनदान दे देता है। उस पर ऐलोवेरा की पोस्ट लगाने से ब्लॉग में प्राण वापिस लौट सकते हैं।
इस हादसे पर कनाडा स्थित उड़नतश्तरी ब्लॉग के मॉडरेटर ने कहा है कि वे तो सदा से ही टिप्पणियां बिना किसी भेद भाव के देते रहे हैं, उन्हें पहले से ही अंदेशा था, कि ब्लॉग जगत में कभी कुछ ऐसा घट सकता है। सामूहिक ब्लॉग नुक्कड़ ने इस घटना/दुर्घटना की जिम्मेदारी तो सब ब्लॉगरों को सूचित करने की जिम्मेदारी तो ली है परंतु उसका नाम बतलाने से पहले ही ठिठक गया है। अब आप बतलायें कि वो ब्लॉग कौन सा है, उस ब्लॉगर का क्या नाम है ?
गूगल पुलिस ने इस संबंध में जो वक्तव्य दिया है, वो वास्तव में हैरान करने वाला है। वक्तव्य में कहा गया है कि ब्लॉग चाहे तो भी स्वयं खुदकुशी नहीं कर सकता है। इसमें जरूर उस ब्लॉगर का षडयंत्र शामिल है, जिसने उस ब्लॉग का निर्माण किया था।
यह भी बतलाया गया है कि टिप्पणियों की कम संख्या के मद्देनजर ब्लॉग ने यह आत्मघाती कदम उठाया है।
इससे उन ब्लॉगों के ब्लॉगर डरे हुए हैं, जिनके ब्लॉगों पर कम टिप्पणियां या बिल्कुल टिप्पणियां नहीं आती हैं।
कुछ ब्लॉगरों ने तो इस दुर्घटना के लिए ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि अगर दोनों एग्रीगेटर बंद न होते तो ब्लॉग को खुदकुशी के लिए ऐसा गैर-जिम्मेदाराना कदम नहीं उठाना पड़ता।
कुल मिलाकर स्थिति भी सोचनीय है कि क्यों गूगल उस ब्लॉग को जीवनदान दे देता है। उस पर ऐलोवेरा की पोस्ट लगाने से ब्लॉग में प्राण वापिस लौट सकते हैं।
इस हादसे पर कनाडा स्थित उड़नतश्तरी ब्लॉग के मॉडरेटर ने कहा है कि वे तो सदा से ही टिप्पणियां बिना किसी भेद भाव के देते रहे हैं, उन्हें पहले से ही अंदेशा था, कि ब्लॉग जगत में कभी कुछ ऐसा घट सकता है। सामूहिक ब्लॉग नुक्कड़ ने इस घटना/दुर्घटना की जिम्मेदारी तो सब ब्लॉगरों को सूचित करने की जिम्मेदारी तो ली है परंतु उसका नाम बतलाने से पहले ही ठिठक गया है। अब आप बतलायें कि वो ब्लॉग कौन सा है, उस ब्लॉगर का क्या नाम है ?
ब्लाग और ब्लागर का नाम बताने का ईनाम क्या है?
जवाब देंहटाएंलगता है दिनेश जी सरेंडर करना चाह रहे हैं
जवाब देंहटाएंनाम तो बता देते महाराज ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग तो आत्महत्या तब करे जब उस पर हर दम कुछ बेतुका बेमतलब का लिखा जाये ब्लॉग टिप्पणियों के लिए नहीं अच्छा लिखे जाने के लिए जीता है |
जवाब देंहटाएंमेरे दोनों हाथ ऊपर हैं
जवाब देंहटाएंaaap he bata de shrimaan ji
जवाब देंहटाएंहा हा हा अप्रैल फ़ूल बनाने का अच्छा तरीका खोजा है।
जवाब देंहटाएंएप्रिल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया...
जवाब देंहटाएंजो भी ब्लाग/ब्लागर,कम टिप्पणियों के कारण,खुदकुशी(ब्लागिंग से छुटकारा) का प्रोग्राम बना रहा हॆ.कृपया हमारे गुरु’लंगोटवाले बाबा का आशिर्वाद’ अवश्य ले लें.शर्तियां लाभ होगा.बाबा के आशिर्वाद के बाद से,कई ब्लाग/ब्लागर खुदकुशी का प्रोग्राम केन्सिल कर चुके हॆं.बाबा के आश्रम का पता इस प्रकार हॆ:-
जवाब देंहटाएंhttp://www.hasgulley.blogspot.com