...........तो आम जनता क्यों वोट डाले?

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  • उपदेश सक्सेना
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  • मतदान को अनिवार्य करने की वकालत करने वालों को शायद यह खबर सुनकर धक्का लगा होगा कि खुद प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की वोट डालने में रूचि नहीं है. उनका नाम असम की दिसपुर विधानसभा सीट में दर्ज है, इस सीट पर कल मतदान हुआ मगर मनमोहन के लिए मतदान से ज्यादा दिल्ली की व्यस्तता प्राथमिकता में थी. सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर का नाम इस विधानसभा सीट में मतदाता के तौर पर दर्ज है. प्रधानमंत्री पिछले दो दशकों से असम से राज्यसभा के सदस्य हैं और तब से ही राज्य के मतदाता भी हैं. दिसपुर शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला स्थित मतदान केंद्र संख्या 175 की मतदाता सूची में क्रम संख्या 721 पर सिंह का नाम था। आधिकारिक तौर पर सिंह, असम के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया की विधवा और असम की पूर्व मंत्री हेमोप्रवा सैकिया के किरायेदार हैं। हालांकि वह राज्य सचिवालय परिसर के पास स्थित सैकिया परिवार के आवास 'सारूमतारिया' में कभी नहीं रहे। प्रधानमंत्री ने 2009 में संपन्न लोकसभा चुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था लेकिन उससे पहले 2006 में हुए असम विधानसभा चुनावों में उन्होंने वोट नहीं डाला था। इन चुनावों से ठीक एक दिन पहले ही सिंह और उनकी पत्नी असम से चले गए थे। चुनाव के नियमों के अनुसार प्रधानमंत्री डाक से मतदान नहीं कर सकते क्योंकि यह सुविधा केवल चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों और सैन्य कर्मियों के लिए ही है.प्रधानमंत्री दिल्ली में अपने कार्यक्रम के चलते मतदान किये बिना ही दिल्ली उड़ लिए. यदि इस देश के प्रधानमन्त्री की ही मतदान के प्रति ऐसी बेरुखी है तो चुनाव आयोग की शत-प्रतिशत मतदान की अपील और इस दिशा में किये जाने वाले प्रयास भोथरे हैं. हो तो यह भी सकता है कि प्रधानमंत्री शायद इसलिए वोट नहीं डालते कि उन्हें अपने पद की गरिमा के लिहाज से किसी विधायक को चुनना गवारा नहीं है.

    2 टिप्‍पणियां:

    1. वोट डालना केवल उनके लिए ज़रूरी है जिन्हें कुछ अच्छा होने की ग़लतफ़हमी रहती है. जिनके पास सबकुछ है या जिन्हें पता है कि कुछ नया नहीं होने वाला है, उनके लिए चुनाव बस एक छुट्टी है.

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