वेबकुल्फियों की चुस्कियां : बहुत स्‍वादिष्‍ट एवं जायकेदार हैं : सृजनगाथा में

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • हिन्‍दी ब्‍लॉग गधा नहीं, घोड़ा है। घोड़े सी तेज रफ्तारयुक्‍त विचारों की दौड़, सिर्फ इसी माध्‍यम पर निरंकुश स्‍वरूप में संभव है।
    आज मूर्खता को छिपाया नहीं, बतलाया जाता है और बतलाने के लिए ब्‍लॉग से बेहतर माध्‍यम और कोई नहीं है। इससे पहले आप मूर्खता करते थे तो लालकिले पर महामूर्ख की पदवी से सम्‍मानित होने का इंतजार करते थे और वो सदा इंतजार ही रहता था और आप दुनिया से भी सिधार जाते थे क्‍योंकि वहां तक मूर्ख लोगों की पहुंच ही नहीं थी। मैंने खुद काफी सोचा परंतु कामयाबी तो तब मिलती, जब उसमें शामिल हो पाता। आज तक मुझे महामूर्ख सम्‍मेलन में शामिल होने तक का आमंत्रण नहीं मिला तो उसमें विजेता बनने का भाग्‍य कैसे




     
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