आज 23 मार्च है, यानी शहीद दिवस क्योंकि आज ही के दिन भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश सरकार ने फांसी कि सजा सुनाई थी. हम नहीं जानते कि ये महान शहादत का दिन कितनो को याद है मगर हमें याद हैं क्योंकि हम महसूस कर सकते हैं. वो तो मर कर भी अमर हो गए और हम उन्हें याद न कर जीते जी स्वयं को मुर्दा कैसे कहला सकते हैं? होना तो ये चाहिए कि १५ अगस्त एवम २६ जनवरी की ही तरह ये दिवस भी पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ तिरंगा फहरा कर मनाया जाना चाहिए. जिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के क्रांतिकारी हौसलों से सम्पूर्ण बर्तानी जड़ें हिल गई थी, उनकी शहद आज कितनो को याद है? उन दिनों भगतसिंह की शोहरत से प्रभावित होकर डॉ. पट्टाभिसीतारमैया ने लिखा है — "यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भगतसिंह का नाम भारत में उतना ही लोकप्रिय था, जितना कि गांधीजी का।" भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की जांबाजी, दिलेरी और देश के लिए मर मिटने के हौसले देखते हुवे लाहौर के उर्दू दैनिक समाचारपत्र 'पयाम' ने लिखा था — "हिन्दुस्तान इन तीनों शहीदों को पूरे ब्रितानिया से ऊंचा समझता है। अगर हम हज़ारों-लाखों अंग्रेज़ों को मार भी गिराएं, तो भी हम पूरा बदला नहीं चुका सकते। यह बदला तभी पूरा होगा, अगर तुम हिन्दुस्तान को आज़ाद करा लो, तभी ब्रितानिया की शान मिट्टी में मिलेगी। ओ ! भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव, अंग्रेज़ खुश हैं कि उन्होंने तुम्हारा खून कर दिया। लेकिन वो ग़लती पर हैं। उन्होंने तुम्हारा खून नहीं किया, उन्होंने अपने ही भविष्य में छुरा घोंपा है। तुम जिन्दा हो और हमेशा जिन्दा रहोगे।" शहीद-ए-आज़म अमर शहीद सरदार भगतसिंह का नाम विश्व में 20वीं शताब्दी के अमर शहीदों में बहुत ऊँचा है। भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है।
हमारे देश का ये भी एक दुर्भाग्य ही है कि हमारे देश के को चलाने वाले कितने ऐसे राजनेता हैं जो देश के स्वाभिमान से जुड़े दिवसों को याद रखते हैं . क्या हम उन महान वीर सपूतों को याद न करके उनकी शहादत का रोज़ खून नहीं करते ? आज के दिन मैं इन तीनो शहीदों को नमन करने के साथ-साथ देश के उन सपूतों को भी नमन करता हूँ जिन्होंने आज़ादी के समय और आज़ादी के बाद से लेकर अब तक भारत पर आए हर संकट में अपने प्राणों की आहूति देकर अपने देश के सम्मान और सीमाओं की रक्षा की है और आगे के लिए भी इन्ही हौंसलों के साथ हर मौसम और हालात में इस देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने सर पर कफ़न बांधे तैनात हैं.
अंत में मेरे दिल की बात कहना चाहूँगा कि हमारे राष्ट्रीय सम्मान, गौरव और शहादत के प्रतीक शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के नाम से भारत रत्न, अशोक चक्र, परमवीर चक्र आदि के स्तर का सम्मान भी शुरू करना उन महान सपूतों को एक सच्छी श्रद्धांजलि होने के साथ-साथ इस देश के समस्त वीरों का सच्चा सम्मान भी होगा..
अपने देश के लिये ही जीने और उसी के लिए शहीद भी हो जाने वाले इन वीर सपूतों की इस महान शहादत को दिल से नमन करता हूँ.. भारत माता की जय ! हिंद जय हिंद !!
हमारे देश का ये भी एक दुर्भाग्य ही है कि हमारे देश के को चलाने वाले कितने ऐसे राजनेता हैं जो देश के स्वाभिमान से जुड़े दिवसों को याद रखते हैं . क्या हम उन महान वीर सपूतों को याद न करके उनकी शहादत का रोज़ खून नहीं करते ? आज के दिन मैं इन तीनो शहीदों को नमन करने के साथ-साथ देश के उन सपूतों को भी नमन करता हूँ जिन्होंने आज़ादी के समय और आज़ादी के बाद से लेकर अब तक भारत पर आए हर संकट में अपने प्राणों की आहूति देकर अपने देश के सम्मान और सीमाओं की रक्षा की है और आगे के लिए भी इन्ही हौंसलों के साथ हर मौसम और हालात में इस देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने सर पर कफ़न बांधे तैनात हैं.
अंत में मेरे दिल की बात कहना चाहूँगा कि हमारे राष्ट्रीय सम्मान, गौरव और शहादत के प्रतीक शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के नाम से भारत रत्न, अशोक चक्र, परमवीर चक्र आदि के स्तर का सम्मान भी शुरू करना उन महान सपूतों को एक सच्छी श्रद्धांजलि होने के साथ-साथ इस देश के समस्त वीरों का सच्चा सम्मान भी होगा..
अपने देश के लिये ही जीने और उसी के लिए शहीद भी हो जाने वाले इन वीर सपूतों की इस महान शहादत को दिल से नमन करता हूँ.. भारत माता की जय ! हिंद जय हिंद !!
नमन...
जवाब देंहटाएंसभी अमर बलिदानियों को हमारा शत शत नमन !!
जवाब देंहटाएंइंक़लाब जिंदाबाद !!
शहीद भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु जी को मेरा शत शत नमन
जवाब देंहटाएंबन्धक आजादी खादी में,
जवाब देंहटाएंसंसद शामिल बर्बादी में,
बलिदानों की बलिवेदी पर,
लगते कहीं नही मेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!