मौसम की आहट महसूसते ही मौसम पर भी लिख डालते हैं। अच्छा मौसम लेखकों का तब कहा गया है जब उनकी रचनाएं खूब छपें और हरे नीले लाल करेंसी नोट छापें। जितना वे न लिख पा रहे हों, पर वे छप उससे भी अधिक रहे हों। मिसाल के तौर पर खुशवंत सिंह को ही देखिए। वे जितना लिखते हैं उससे ज्यादा छपते हैं और छपने से ज्यादा इस तरह से छपते हैं कि उनका लिखा कई भाषाओं में अनूदित होकर पूरा पढ़ने और महसूसने और अभिव्यक्ति के लिए क्लिक कीजिए, वे कह रहे हैं तो आप भी चुप मत रहिए
खुशवंत सिंह का मौसम
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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Avinash Vachaspati,
jandesh times,
khushwant Singh
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