अपनी मातृभूमि......... राष्ट्रीय प्रतीक..... संस्कृति...... सभ्यता और जीवन दर्शन का सम्मान किसी भी देश के नागरिकों का धर्म भी है और कर्तव्य भी। आज की पीढी में देखने में आ रहा है देश की गरिमा और स्वाभिमान का भाव मानो है ही नहीं। देश के कर्णधारों के ह्दय में अपनी जन्मभूमि के प्रति जो नैर्सगिक स्वाभिमान होना चाहिए उन संस्कारों की अनुपस्थिति विचारणीय भी है और चिंताजनक भी। पूरी पोस्ट कृपया यहाँ पढ़ें.......
बच्चों को घर से मिलें राष्ट्रधर्म के संस्कार....डॉ. मोनिका शर्मा
Posted on by डॉ. मोनिका शर्मा in
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Avashyak binduon par prakash daala hai, khoobsurati ke saath
जवाब देंहटाएंBadhaai