हरियाणवी सिनेमा को समर्पित रहा आज का दिन


प्रथम हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का अंतिम दिन हरियाणवी सिनेमा को समर्पित रहा। इस अवसर पर अपने जमाने की सुपरहिट हरियाणवी फिल्म चंद्रावल का विशेष प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म 1984 में बनी थी। इसके निर्देशक जयंत प्रभाकर थे। इसमें मुख्य भूमिकाएं उषा शर्मा, जगत झाकड़, अनूप लाठर, चौधरी ओंकार सिंह तिवतिया, दरयाव सिंह मलिक, नसीब सिंह, राजू मान, राम पाल बलहारा, अरविंद प्रभाकर, देवी शंकर प्रभाकर, रेखा वर्मा की थीं। फिल्म की कहानी देवी शंकर प्रभाकर ने लिखी थी। इसमें भाल सिंह ने गाना गाया था। फिल्म के प्रदर्शन के दौरान इसके दो कलाकार अनूप लाठर और दरयाव सिंह मलिक दर्शकों के बीच उपस्थित थे। आयोजकों की ओर से इन दोनों कलाकारों का सम्मान किया गया। फिल्म के प्रदर्शन के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए अनूप लाठर ने कहा कि हरियाणा में कम बजट की अच्छी फिल्में बन सकती हैं, बशर्ते सरकार और समाज दोनों सहयोग करें। दरयाव सिंह मलिक ने कहा कि मुख्य समस्या यह है कि सरकारें फिल्मों के टैक्स माफ नहीं करतीं। उन्होंने जाट नामक फिल्म का हवाला दिया, जिसका टैक्स माफ न करने की वजह से वो रिलीज नहीं हो पाई, और आखिरकार निर्माता को उसकी सीडी रिलीज से ही काम चलाना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा अकेला ऐसा राज्य है जहां की सरकारें कलाकारों का सम्मान नहीं करतीं। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया था। लेकिन हरियाणा सरकार ने इसके बाद भी आज तक मुझे कोई सुविधा नहीं दी। उन्होंने जानकारी दी कि चंद्रावल पांच लाख रुपए में बनी थी और उसने साढ़े तीन करोड़ का बिजनेस किया। अनूप लाठर ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वे पिछले 25 वर्षों से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में युवा कार्यक्रम और संस्कृति विभाग के निदेशक पद पर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनका पद और वेतनमान नहीं बढ़ा गया, उन्हें कोई प्रोन्नति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि उन्होंने रंगमंच और सिनेमा में अपना कैरियर छोड़कर हरियाणा की संस्कृति के लिए काम करने के लिए यह नौकरी शुरू की थी। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करे और राज्य फिल्म विकास निगम की स्थापना करे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे शीघ्र ही हरियाणवी में एक बड़ी फिल्म बनाएंगे।

प्रथम हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में आज हरियाणा के चर्चित अभिनेता यशपाल शर्मा की केंद्रीय भूमिका वाली फिल्म तृशा दिखाई गई। यह फिल्म एक ईमानदार व्यक्ति की कहानी है, जो अपने जीवन से खुश है, लेकिन बाद में वो स्थितियों के चक्रव्यूह मे फंस जाता है। यशपाल शर्मा के अलावा फिल्म में दिव्या दत्ता, दधि पांडेय और कमल चोपड़ा भी मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म का निर्देशन पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट के छात्र रहे सुषेन भटनागर ने किया है। फिल्म के निर्माता हैं आनंद कामत। यह फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है। देश में इसका यह पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था।
प्रथम हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की समापन फिल्म चीन की हीरो थी। इसके निर्देशक झांग यीमू हैं। करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए बजट की यह फिल्म दुनिया भर में कफी चर्चा बटोर चुकी है। इसे चीन की अब तक की सबसे महंगी फिल्म माना जाता है। इसे ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भी नामांकित किया गया था। फिल्म की विशेषता यह है कि इसमें चीन के पारंपरिक मार्शल आर्ट को आधुनिक तकनीक और स्पेशल इफेक्ट की सहायता से पूरी भव्यता के साथ फिल्माया गया है। इसमें तीरंदाजी का अदभुत कौशल है और वीरता की महागाथाएं हैं, फिल्म का संगीत बेहद उम्दा है। और रंगों का प्रयोग चमत्कृत कर देने वाला है।

दुनिया भर में चर्चित फिल्म गांधी माई फादर के निर्देशक फिरोज अब्बास खान मुंबई से खास तौर से फिल्मोत्सव में आए। और उन्होंने दर्शकों से संवाद किया। उन्होंने कहा है कि सिनेमा की संस्कृति को आम लोगों के बीच ले जाने के लिए इस तरह के फिल्मोत्सवों का आयोजन बेहद जरूरी है। फिरोज अब्बास खान ने कहा कि अच्छा सिनेमा बनता रहे इसके लिए जरूरी है कि दर्शकों तक उसे पहुंचाया जाए। श्री खान समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे।
समापन समारोह में वरिष्ठ फिल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज और अजय ब्रह्मात्मज विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल थे।

7 टिप्‍पणियां:

  1. प्रथम हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह ....

    बधाई हो

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  2. एक हरियाणवी रह गया इस समारोह को देखे बगैर। खैर चंद्रावल फिल्म की तो बात ही कुछ और थी। आज भी उसके गाने गीत संगीत समारोह में बजाए जाते हैं।

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  3. प्रादेशिक स्तर पर सिनेमा एक सशक्त माध्यम है व समस्या उन्मूलन के लिये कारगर है। स्व भाषा और प्रान्तीयता की झलक लोकजन को उससे जोडती है और सामंजस्य पैदा करती है साथ ही प्रेरक का काम भी ।

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  4. हरियाणवी सिनेमा ! बढ़िया है। देखती तो बचपन की यादें ताजा हो जातीं।
    घुघूती बासूती

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  5. अकेले-अकेले ही घूम आए मित्र.... :-(

    खैर!...जानकारी के लिए शुक्रिया

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  6. जानकारी के लिये धन्यवाद पर कम से कम मुझे भी निमंत्रण दिया होता आपने।खैर...

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