किस करोगे या जीने पर चढ़ाेगे - कविता - अविनाश वाचस्‍पति

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  • आज तो आज है
    कल कल
    कल बीता भी हो सकता है
    और आने वाला भी
    परंतु आज को
    आज में जीना
    जीवन के सत्‍य
    की सीढ़ी है
    आओ मित्रों, दुश्‍मनों
    और स्‍वजनों
    चढ़ जाओ इस
    जीने पर।

    पर अगर मिल जाए
    चढ़ने के लिए लिफ्ट
    तो इसे किस्‍मत से
    चुम्‍बन यानी किस
    कहते हैं ।

    आप क्‍या चाहते हैं
    सीढ़ी चढ़ना
    पगडंडी पर बढ़ना
    या किस करना ???

    - अविनाश वाचस्‍पति
    मोबाइल 9560981946 ई मेल nukkadh@gmail.com

    1 टिप्पणी:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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