प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियाँ
घर के आँगन का विश्वास हैं बेटियाँ।
वक्त भी थामकर जिनका आँचल चले
ढलते जीवन की हर आस हैं बेटियाँ।
जिनकी झोली है खाली वही जानते,
पतझरों में भी मधुमास हैं बेटियाँ।
रेत सी जिंदगी में दिलों को छुवे
मखमली नर्म-सी घास हैं बेटियाँ।
तुम न समझो इन्हें दर्द का फ़लसफ़ा,
कृष्ण राधा का महारास हैं बेटियाँ।
उनकी पलकों के आँचल में खुशियाँ बहुत,
जिनके दिल के बहुत पास हैं बेटियाँ
गोद खेली, वो नाज़ों पली, फिर चली,
राम-सीता का वनवास हैं बेटियाँ।
जब विदा हो गई, हर नज़र कह गई,
जि़न्दगी भर की इक प्यास हैं बेटियाँ।
बहुत उम्दा ग़ज़ल !
जवाब देंहटाएंLatest post हे निराकार!
latest post कानून और दंड
बहुत सुंदर प्रस्तुति.. कल और आज कि साँझ है बेटियाँ..
जवाब देंहटाएंprathamprayaas.blogspot.in-
बहुत सुंदर प्रस्तुति.. कल और आज कि साँझ है बेटियाँ..
जवाब देंहटाएंprathamprayaas.blogspot.in-
वाह हरीश जी बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंsacchi bat .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गज़ल बेटियों के नाम..
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए पूर्णता का अहसास है बेटियाँ
जवाब देंहटाएं