कोई भी हिन्दी ब्लॉग बनाए
टंकी पर चढ़ने से बच जाए
पॉसीबल नहीं है
पासीबल तो
भ्रष्टाचार मिटाना भी नहीं है
पेट्रोल के रेट घटाना भी नहीं है
पर 'अन्ना हमारे'
टंकी पर जल्दी चढ़ गए
ब्लॉग मिटाने में जुट गए
भ्रष्टाचार मिटाने आए
ब्लॉग बंद करके खुश हो गए
खुद नहीं पोस्ट लगाते हैं
ऐसा ही होता है
ब्लॉग पर कौन सी जगह पर
हम भी जानें, हस्ताक्षर होता है
पर हम क्यों विवाद में पड़ रहे हैं
न्यू मीडिया पर नई पुस्तक
दि संडे इंडियन में आई है समीक्षा
पढ़ते हैं उसे इमेज पर क्लिक करके
और पुस्तक मंगवा कर सारे हिंदी ब्लॉगर
गहन अध्ययन मनन चिंतन कर रहे हैं
जो भी पुस्तक खरीदना चाहें
वे nukkadh@gmail.com पर तुरंत मेल भिजवाएं
अद्यतन की हुई पूरी जानकारी पाएं।
यह पोस्ट है या विज्ञापन। वैसे अन्ना हजारे के ब्लाग का आईडी क्या है?
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंhttps://annahazaresays.wordpress.com/ यह लीजिए अजीत जी। वैसे यह पोस्ट और विज्ञापन का कॉम्बो पैक है। इसमें पुस्तक की समीक्षा वाला पन्ना लगाया गया है और हिन्दी ब्लॉगिंग की प्रवृत्ति से न बच पाने के अन्ना हजारे को सामने लाया गया है ताकि प्रत्येक जन हिन्दी ब्लॉगिंग और ब्लॉगिंग पर पुस्तक के संबंध में जानकारी ले सके। आज तो सब कुछ बाजारमय है फिर विज्ञापन से कैसे परहेज करें और क्यों परहेज करें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अविनाश जी। इन्हें भी हिन्दी में लिखने का आग्रह करिए ना।
जवाब देंहटाएंहम भी टंकी पर चढ़ने को तैयार हैं !!
जवाब देंहटाएंअजीत जी, तीनों भाषाओं में हैं जिनमें हिंदी भी है आप देखिए https://annahazaresays.wordpress.com/2011/10/19/%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%AB-%E0%A4%B0%E0%A4%BE/
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अविनाश जी।
जवाब देंहटाएंब्लांगिग के बारे में अपने ग्यान को थोडा बढाईये जब आपने शुरुआत भी नही की होगी , उस समय से ब्लागिंग और प्रोफ़ाइल बना रहा हूं। २००३ में शुरु किया था । आप किताब बेचे ज्यादा अच्छा है । ब्लागर तो बनने से रहें। हाम टेट में पैसा नही है , पेपर निकालकर नही कमा सकते तो ब्लागिंग करके हीं नाम कमाइये और किताब बेचिये ।
जवाब देंहटाएंमैं तो सीख ही रहा हूं और सीखते रहना चाहता हूं। आपसे भी जरूर सीखूंगा, पीछे नहीं हटूंगा मदन कुमार तिवारी जी। अपने गर्म तवा को कुछ ठंडा करें तो हम आपकी ओर बढ़ें। नहीं तो डर के मारे आपको दूर से ही देखते रहें खड़ें। रही पुस्तक बेचने और छापने की बात तो न हमने छापी है और न हम बेच रहे हैं। जो सीखना चाहते हैं उन्हें बतला रहे हैं। आप क्या समझे थे कि हम किताब बेच-छाप कर कमीशन खा रहे हैं। बेचने वाले तो पूरा वतन बेच गए और हम अपने वेतन से घर और ब्लॉग दोनों चला रहे हैं। क्या आपको खबर है ? आज तो पूरा देश ही बना धुरंधर है। सब भ्रष्टाचार का तो विरोध कर रहे हैं परंतु अपने गिरहबान में नहीं झांक रहे हैं। वैसे यह जरूरी नहीं है कि जो भ्रष्टाचारी नहीं होगा, वही इसका विरोध करेगा। बुराई का विरोध बुराईधारक करे तो जल्दी असर होता है। उसी असर की प्रतीक्षा में हैं हम, आदरणीय तिवारी सर।
जवाब देंहटाएंअन्ना के ब्लॉग पर 18 लेख अंग्रेजी में, 16 मराठी में और मात्र दो हिन्दी में थे…अब कोई बताए कि अन्ना लिख किसके लिए रहे हैं या लिखवा किसके लिए रहे हैं…
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