अन्ना से जीत नहीं सकते इसलिए थकाना चाहते हैं

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  • पुष्कर पुष्प
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  • अन्ना से जीत नहीं सकते इसलिए थकाना चाहते हैं: अन्ना की परवाह होती तो सरकार अब तक फैसला ले चुकी होती

    देश के लिए 74 साल का एक बुजुर्ग दिल्ली में भूखा बैठा है और सरकारें इफ्तार पार्टियां उड़ा रही हैं। वे अन्ना हजारे से जीत नहीं सकतीं, इसलिए उन्हें थकाने में लगी हैं। सरकार की संवेदनहीनता इस बात से पता चलती है कि उसने कहा कि “अनशन अन्ना की समस्या है, हमारी नहीं।” इतनी क्रूर और संवेदनहीन सरकार को क्या जनता माफ कर पाएगी ? इसके साथ ही मुख्य विपक्षी दल की नीयत और दिशाहीनता पर सवाल अब उनके सांसद ही सवाल उठाने लगे हैं। भाजपा के सांसद यशवंत सिन्हा, शत्रुध्न सिन्हा, उदय सिंह औ

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    3 टिप्‍पणियां:

    1. बृहस्पतिवार, २५ अगस्त २०११
      संसद की प्रासंगिकता क्या है ?
      अन्ना जी का जीवन देश की नैतिक शक्ति का जीवन है जिसे हर हाल बचाना ज़रूरी है .सरकार का क्या है एक जायेगी दूसरी आ जायेगी लेकिन दूसरे "अन्ना जी कहाँ से लाइयेगा "?
      और फिर ऐसी संसद की प्रासंगिकता ही क्या है जिसने गत ६४ सालों में एक "प्रति -समाज" की स्थापना की है समाज को खंड खंड विखंडित करके ,टुकडा टुकडा तोड़कर ।जिसमें औरत की अस्मत के लूटेरे हैं ,समाज को बाँट कर लड़ाने वाले धूर्त हैं .
      मनमोहन जी गोल मोल भाषा न बोलें?कौन सी "स्टेंडिंग कमेटी "की बात कर रहें हैं ,जहां महोदय कथित सशक्त जन लोक पाल बिल के साथ ,एक प्रति -जन -पाल बिल भी भिजवाना चाहतें है ?संसद क्या" सिटिंग कमेटी" है जिसके ऊपर एक स्टेंडिंग कमेटी बैठी है .अ-संवैधानिक "नेशनल एडवाइज़री कमेटी"विराजमान है जहां जाकर जी हुजूरी करतें हैं .नहीं चाहिए हमें ऐसी संसद जहां पहले भी डाकू चुनके आते थे ,आज भी पैसा बंटवा कर सांसद खरीदार आतें हैं .डाकू विराजमान हैं .चारा -किंग हैं .अखाड़े बाज़ और अपहरण माफिया किंग्स हैं ।
      आप लोग चुनकर आयें हैं ?वोटोक्रेसी को आप लोग प्रजा तंत्र कहतें हैं ?
      क्या करेंगें हम ऐसे "मौसेरे भाइयों की नैतिक शक्ति विहीन संसद का"?

      समय सीमा तय करें मनमोहन ,सीधी बात करें ,गोल -गोल वृत्त में देश की मेधा और आम जन को न घुमाएं नचायें ।
      "अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल ".बारी अब तेरी है .

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    2. मंगलवार, २३ अगस्त २०११
      इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
      जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
      अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .

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    3. आज के सन्दर्भ से जुडी सार्थक पोस्ट ,आज ऐसी ही पोस्ट्स की अधिकाधिक दरकार है .
      अन्ना ,अन्ना ,अन्ना
      मैं भी अन्ना ,
      तू भी अन्ना ,
      वो भी अन्ना ,
      हम सब अन्ना !
      मुस्लिम समाज में भी है पाप और पुण्य की अवधारणा ./

      http://veerubhai1947.blogspot.com/
      Wednesday, August 24, 2011
      योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
      http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
      बृहस्पतिवार, २५ अगस्त २०११
      संसद की प्रासंगिकता क्या है ?/
      http://veerubhai1947.blogspot.com

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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