हिंदी ब्‍लॉगिंग की टूटती कमर : डॉ. अमर कुमार का जाना

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • नुक्‍कड़ समूह की विनम्र आदरांजलि
    अभी थोड़ी देर पहले भाई अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने फोन करके इस दुखद घटना की जानकारी दी .मैं बिलकुल सन्न और हतप्रभ रह गया.अभी पिछली बारह अगस्त को पहली बार उनसे भेंट हुई थी.उनसे मिलने के बाद हमने उनसे यह कहा था कि मैं उन पर एक पोस्ट लिखूँगा,वापस आने के बाद कुछ लिखा भी पर न जाने कैसे-कैसे व्यवधान आते गए और आज देखो उस कहानी का उपसंहार लिख रहा हूँ जिसकी प्रस्तावना, कथानक कुछ भी न लिख पाया था!

    बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए,जबसे मैं डॉ. साहब से परिचित हुआ ! कोई छः महीने हुए होंगे जब वो अचानक मेरे ब्लॉग पर आये और उनकी टीप पढकर मैं उनके ब्लॉग पर पहुँचा ! उनका लेखन तो अच्छा लगा ही ,रायबरेली के हैं  ... पूरा पढ़ने और अपनी बात कहने के लिए यहां पर क्लिक कीजिए
     
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