बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!क्लिक करके देखते हैं साहिब!
जानदार और शानदार विवेचना हेतु आभार।=====================कृपया पर्यावरण संबंधी इस दोहे का रसास्वादन कीजिए।==============================शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
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बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंक्लिक करके देखते हैं साहिब!
जानदार और शानदार विवेचना हेतु आभार।
जवाब देंहटाएं=====================
कृपया पर्यावरण संबंधी इस दोहे का रसास्वादन कीजिए।
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शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी