आज सुबह चार बजकर तैंतीस मिनिट पर क्‍या हुआ, भई क्‍या हुआ - हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग की तरंग

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  • अविनाश वाचस्पति
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    इसमें आप कुछ तलाशिए
    तलाशेंगे आप
    आपको मानेंगे हम
    वैसे नहीं है
    यह कोई जंग
    फिर भी इसमें
    दिखलाई देते हैं
    ब्‍लॉगिंग के रंग।

    1 टिप्पणी:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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