आपने देखा यह चित्र
इसमें आप कुछ तलाशिए
तलाशेंगे आप
आपको मानेंगे हम
वैसे नहीं है
यह कोई जंग
फिर भी इसमें
दिखलाई देते हैं
ब्लॉगिंग के रंग।
आज सुबह चार बजकर तैंतीस मिनिट पर क्या हुआ, भई क्या हुआ - हिन्दी ब्लॉगिंग की तरंग
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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Avinash Vachaspati
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ये सब कथा कहानी छोड़ कर मेल पढ़ कर निपटाईये. कुल ५६६०६ मेल में से ३८७११ बिना पढ़ी रखी हैं. काम की न हो तो डिलीट करिये. बाकी ४.३३ पर इतना जरुर हुआ कि आपने स्क्रिन शॉट लिया और अजब बात है, इतनी इतनी सुबह सुबह काफी लोग चैट पर मौजूद हैं.
जवाब देंहटाएंक्या माजरा है समझ नहीं आ रहा।
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