आपने देखा यह चित्र
इसमें आप कुछ तलाशिए
तलाशेंगे आप
आपको मानेंगे हम
वैसे नहीं है
यह कोई जंग
फिर भी इसमें
दिखलाई देते हैं
ब्लॉगिंग के रंग।
आज सुबह चार बजकर तैंतीस मिनिट पर क्या हुआ, भई क्या हुआ - हिन्दी ब्लॉगिंग की तरंग
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
Labels:
Avinash Vachaspati
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
4/33 आपने पोस्ट लगाई:)
जवाब देंहटाएं