क्या वास्तव में गांधी ऐसे थे?

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  • उपदेश सक्सेना
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  •                       (उपदेश सक्सेना)

    मोहनदास करमचंद गांधी को भारत में बापू का दर्ज़ा भले ही दिया गया हो, अंग्रेज उनकी छवि बिगाड़ने का कोई मौक़ा हाथ से जाने नहीं देते.महात्मा गाँधी ने अपनी लाठी के बल पर अंग्रेजों को इस देश से भागने में अपना सर्वोच्च योगदान दिया था मगर ब्रिटिश लोग आज भी शायद अपनी इस बेदखली के कारण गांधी से नाराज़ हैं.अब एक ब्रिटिश इतिहासकार जेड ऐडम्स ने पंद्रह साल के अध्ययन(?) और शोध के बाद “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन” किताब लिखी है जिसमें गांधी को सेक्स कुंठित व्यक्ति बताया गया है. इस विवादित पुस्तक के बारे में जानकारी होने के बावजूद भारत में गांधी के नाम पर सरकार चलाने वाले खामोश हैं. पुस्तक में मुख्यतः गांधी और विभिन्न लड़कियों के ‘रिश्तों’ को सनसनीखेज़ तरीके से पेश किया गया है.एक जगह ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में नग्न स्नान भी करते थे. 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य की यह किताब जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होगी।
    दुनिया ने भी गांधी के भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में दिए योगदान के कारण और उनके निजी जीवन में सादगी को लेकर उन्हें आध्यात्मिक नेता माना है.एडम्स की किताब यह कहती है कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को संतृप्त किया करते थे जो उनकी पूजा करती थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर का हिस्सा बनती थीं.ऐडम्स का दावा है कि लंदन से क़ानून की पढ़ाई करने के बाद गांधी की छवि सेक्स के मामले में एक ऐसे कठोर नेता की बनी जो अपनी शारीरिक भूख की मांग से अपने समर्थकों को वशीभूत कर लेता है.किताब में लिखा है कि ‘गांधी ने अपने आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन बनाया था कि उनकी छवि 20वीं सदी के धर्मवादी नेताओं जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश की तरह बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स अपील से अनुयायियों को क़रीब-क़रीब ज्यों का त्यों वश में कर लेते थे.लेखक के मुताबिक गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे.किताब में एक जगह लिखा गया है कि,हालांकि अन्य उच्चाकांक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल कर लिखते थे.इस किताब की शुरुआत गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ने ख़ुद लिखा कि उनके अंदर सेक्स-ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्र में 12 साल की कस्तूरबा से विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता करमचंद गांधी जब मृत्यु-शैया थे उस समय किशोर गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे थे। किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। ऐडम्स ने गांधी और उनके क़रीबी लोगों के कथनों का हवाला देकर उन्हें अत्यधिक कामुक साबित करने का पूरा प्रयास किया है.किताब में पंचगनी में ब्रह्मचर्य के प्रयोग का भी वर्णन किया है,जहां गांधी की सहयोगी सुशीला नायर गांधी के साथ निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर नहाती भी थीं। इस बारे में हालांकि गांधी ने ख़ुद लिखा है,कि “नहाते समय जब सुशीला निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो मेरी आंखें कस कर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है.”किताब के ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18साल की मनु को बुलाया और कहा “अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें.”ऐडम्स का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला,मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा अस्पष्ट बात कही. जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है.कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी और उनके सेक्स-प्रयोगों से जुड़े सच को छुपाती रही है.गांधी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सलाह दी गई.सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप ही रहीं.ऐडम्स के अनुसार सुशीला नायर,मनु और आभा के अलावा बड़ी तादाद में महिलाएं गांधी के क़रीब आईं.कुछ उनकी बेहद ख़ास बन गईं.बंगाली परिवार की विद्वान और ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध जगज़ाहिर है.हालांकि गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी “आध्यात्मिक पत्नी” हैं. किताब में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया। एडम्स मानते हैं कि ‘मैं जानता हूं इस एक किताब को पढ़कर भारत के लोग मुझसे नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन विश्वविद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की सराहना की, मुझे बधाई दी.’

    5 टिप्‍पणियां:

    1. "जानकारी देने के लिए धन्यवाद "
      कुंठित कौन है ये तो लेख पढ़कर समझ में आ रहा है ,गाँधी एक ऐसी शक्सियत है जो पूरे विश्व में जानी जाती है ,उनपर लिखेंगे तो किताब बिकेगी ही ..विवादस्पद हुई तो बेस्ट सेलर... कुछ सुने सुनाये तथ्यों पर अपनी कल्पना का मुलम्मा चढ़ा रहे है ये लोग

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    2. मैं ऐसी बातों में कटाई विश्वास नहीं रखती. ये एक ऐसा विषय है की आप किसी के बारे में गलत भी कह दें तो लोग विश्वास कर लेंगे बगैर ये सोचे समझे की सच्चाई क्या है? उनकी सोच गाँधी के प्रति अच्छी कैसे हो सकती है? ये तो दूसरे देश की बात है, इसके प्रति विरोध दर्ज करतीहूँ.

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    3. कहा जाता है की किसी सामाजिक ,निडर,तर्कसंगत व्यवहार वाले व्यक्ति को हराना हो ,या उसके विचारों को बढ़ने से रोकना हो,तो उसपर झूठे चारित्रिक आरोप लगाना शुरू कर दो / इस मिथ्या बकवास ,जो इस किताब के जरिये सिर्फ पैसों के लिए किया जा रहा है, उस पर मानसिक रूप से कोई बीमार व्यक्ति ही विश्वास कर सकता है / रही इस देश के सरकार द्वारा विरोध की तो क्या कहें /इस देश की सारी व्यवस्था सड़ चुकी है / जनता का पैसा भ्रष्ट नेताओं और अधिकारीयों के अय्यासी पर खर्च हो रहा है / अब इस देश में सभी सरकारी खर्चों और घोटालों की सामाजिक जाँच ,देश भर के इमानदार समाज सेवकों और बुद्धिजीवियों से कराकर, ,इनको जनता के सामने सजा देने की जरूरत है / तब जा कर हालात में कुछ सुधार होगा /ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको और आपके दोस्तों को अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /

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    4. इस सम्पूर्ण लेख को पढ़कर यह समझ में नहीं आता है कि गाँधी जी कि हत्या के इतने वर्षों को पश्चात उनके निजी जीवन में किसी को ताक-झाँक करने कि क्या सूझ रही है और वो इससे क्या सिद्ध करना चाहते हैं?
      आज के समय में जब इन बातों का गाँधी की स्वलिखित पुस्तक के अतिरिक्त कोई अन्य पुख्ता प्रमाण नहीं हैं तो ऐसे में इन बातों को छेड़ने का क्या प्रयोजन है?
      गाँधी जी ने देश के लिए जो कुछ भी किया वह जगजाहिर है और जो कुछ भी उनमें कमियां थीं वे अपनी पुस्तक "सत्य के साथ मेरे प्रयोग" में स्वीकार कर चुके हैं फिर इन बातों को इतना सनसनीखेज कर के प्रस्तुत करने का एकमात्र कारण पीत-प्रसिद्धि ही दिखाई देता है.
      गाँधी जी कोई अवतार नहीं थे वे भी हमारी तरह एक इंसान थे, एक ऐसे इंसान जिन्होंने अपने जीवन को सार्थक कर दिया. एक इंसान होने के नाते उनमें भी कमियां हो सकती हैं पर वे कमियां देश के लिए किये गए महान त्याग के आगे कहीं नहीं ठहरती हैं. अपने जीवन को लोगों के समक्ष एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर चुके इस व्यक्ति पर कोई टिपण्णी न की जाये तो ही बेहतर होगा क्योंकि अपनी बातों को प्रमाणित करने का कोई पुख्ता तरीका आज किसी के पास नहीं है.

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    5. जैसा की सभी जानते हैं यह व्यवसायीकरण का युग है ! आज लोगों को सच नहीं मनोरंजन चाहिए ,इसलिए श्रीमान जेड अदम्स ने इस विषय पर लिखना ठीक समझा जो की प्रकशित होने से पहले ही मशहूर हो जाए और जो पूरी तरह से विश्वसनीय भी नहीं है ,बेशक गांधीजी पूरी तरह से महान पुरुष नहीं थे ,उन्होंने भी अपने जीवनकाल में बहुत से गलत निर्णय लिए लेकिन फिर भी उन्होंने अपने जीवन को देश के लिए न्योछावर कर दिया और देश आज़ाद होने पर भी कोई राजनीतिक पद नहीं लिया ! गलतियां हर इंसान से होती हैं ! जहां तक मुझे लगता है गांधीजी को पूर्ण रूप से आदर्श पुरुष नहीं कहा जा सकता लेकिन उनके जीवन से हम काफी कुछ सीख सकते हैं जैसे वह एक अच्छे नेता थे ! उस समय में ४० करोड लोगों को आज़ादी के लिए एकजुट करना कोई आसान काम नहीं था !हर व्यक्ति के अन्दर एक विशेष गुण होता है ,और उस गुण को अपने अन्दर समाहित कर लेना गुण ग्राहकता कहलाता है ! जहां तक इस किताब की बात है यह तो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है की वह किसी व्यक्ति के गुण पहले देखता है या दोष !

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